इतवार -अनूप सेठी: Difference between revisions

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बाजार ख्रीदारी स्थगित कर दें अगले हफ्ते तक
बाजार ख्रीदारी स्थगित कर दें अगले हफ्ते तक
केरोसिन ले लें दस रुपए ज्यादा देकर
केरोसिन ले लें दस रुपए ज़्यादा देकर


एक पुरसुकून दोपहर हो
एक पुरसुकून दोपहर हो

Revision as of 07:40, 5 March 2012

इतवार -अनूप सेठी
कवि अनूप सेठी
मूल शीर्षक जगत में मेला
प्रकाशक आधार प्रकाशन प्राइवेट लिमिटेड, एस. सी. एफ. 267, सेक्‍टर 16, पंचकूला - 134113 (हरियाणा)
प्रकाशन तिथि 2002
देश भारत
पृष्ठ: 131
भाषा हिन्दी
विषय कविता
प्रकार काव्य संग्रह
अनूप सेठी की रचनाएँ

आओ इतवार मनाएँ
देर से उठें
चाय पिएँ
और चाय पिएँ
अखबार को सिर्फ उलट पलट लें
हाथ न लगाएं
सिर्फ चाय का गिलास घुमाएँ

किसी को न बुलाएँ
नहाना भी छोड़ दें
खाना अकेले खाएँ

बाजार ख्रीदारी स्थगित कर दें अगले हफ्ते तक
केरोसिन ले लें दस रुपए ज़्यादा देकर

एक पुरसुकून दोपहर हो
ढीलमढाल पसरे रहें

पुरानी एलबम निकालें
पहली सालगिरह याद करें
बातें करें
बचपन की, कालेज की, नाटक की कविताई की

सारे सपनों की धूल झाड़ें
बिस्तर के इर्द गिर्द बिछा लें
इतवार की शाम
आँखों में आँखें डाल सो जाएँ

एक इतवार तो हो
अपने से बाहर निकल
अपने में खो जाएँ।

                        (1985)\


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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