भारतीय मूर्तिकला: Difference between revisions

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thumb|180px|बोधिसत्व मैत्रेय [[चित्र:Buddha-3.jpg|thumb|140px|बुद्ध, मथुरा]] भारतीय मूर्तिकला भारत के उपमहाद्वीपों की सभ्यताओं की मूर्तिकला परंपराएँ, प्रकार और शैलियाँ का संगम है। मूर्तिकला भारतीय उपमहाद्वीप में हमेशा से कलात्मक अभिव्यक्ति का प्रिय माध्यम रही है। भारतीय भवन प्रचुर रूप से मूर्तिकला से अलंकृत हैं और प्रायः एक-दूसरे से अलग नहीं किए जा सकते।

इतिहास

अन्य कलाओं के समान ही भारतीय मूर्तिकला भी अत्यन्त प्राचीन है। यद्यपि पाषाण काल में भी मानव अपने पाषाण उपकरणों को कुशलतापूर्वक काट-छाँटकर विशेष आकार देता था और पत्थर के टुकड़े से फलक निकालते हेतु 'दबाव' तकनीक या पटककर तोड़ने की तकनीक का इस्तेमाल करने लगा था, परन्तु भारत में मूर्तिकला अपने वास्तविक रूप में हड़प्पा सभ्यता के दौरान ही अस्तित्व में आई। इस सभ्यता की खुदाई में अनेक मूर्तियाँ प्राप्त हुई हैं जो लगभग 4000 वर्ष पूर्व ही भारत में मूर्ति निर्माण तकनीक के विकास का द्योतक हैं।

भारतीय मुर्तिकला की परंपा सिंधु घाटी सभ्यता से फैली। उस काल में मिट्टी की छोटी मूर्तियाँ बनाई गई। मौर्य काल (तीसरी शताब्दी ई.पू.) के महान गोलाकार पाषाण स्तंभों और उत्कीर्णित सिंहों ने दूसरी और पहली शताब्दी ई.पू. में स्थापित हिंदू और बौद्ध प्रसंगों वाली परिपक्व भारतीय आकृतिमूलक मूर्तिकला का मार्ग प्रशस्त किया।

शैलियों और परंपराओं की व्यापक श्रेणी भारत के विभिन्न भागों में शताब्दियों तक फली-फूली, लेकिन नौवीं-दसवीं शताब्दी तक आते-आते भारतीय मूर्तिकला एक ऐसे रूप में पहुँच गई, जो अब तक मामूली परिवर्तनों के साथ बनी हुई है। 10वीं शताब्दी से यह मूर्तिकला मुख्यतः स्थापत्यीय अलंकरण के एक भाग के रूप में तुलनात्मक रूप से छोटी व औसत श्रेणी की असंख्या आकृतियों को इस प्रयोजन के लिए बनाकर प्रयोग की जाने लगी थी।

मूर्तिकला का उपयोग

भारतीय मूर्तिकला की विषय-वस्तु हमेशा लगभग काल्पनिक मानव रूप होते थे, जो लोगों को हिंदू, बौद्ध या जैन धर्म के सत्यों की शिक्षा देने के काम आते थे। अनावृत्त मूर्ति का प्रयोग शरीर को आत्मा के प्रतीक और देवताओं के कल्पित स्वरूपों को दर्शाने के लिए किया जाता था। मूर्तियों में हिंदू देवताओं के बहुत से सिर व भुजाएँ इन देवताओं के विविध रूपों और शक्तियों को दर्शाने के लिए आवश्यक माने जाते थे।

प्रमुख शैलियाँ

भारतीय मूर्ति कला की प्रमुख शैलियाँ इस प्रकार हैं-

  1. सिंधु घाटी सभ्यता की मूर्ति कला
  2. मौर्य मूर्तिकला
  3. मौर्योत्तर मूर्तिकला
  4. गान्धार कला की मूर्तियाँ
  5. मथुरा कला की मूर्तियाँ
  6. गुप्तकाल की मूर्तिकला
  7. बाकाटक की मूर्तिकला
  8. मध्यकाल की भारतीय मूर्तिकला
  9. चोल मूर्तिकला
  10. आधुनिक मूर्तिकाल


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

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