रोहिणी: Difference between revisions

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Revision as of 10:20, 27 May 2010

  • वसुदेव की अर्द्धागिनी तथा बलराम की माता का नाम रोहिणी था।
  • इन्होंने देवकी के सातवें गर्भ को दैवी विधान से ग्रहण कर लिया था और उसी से बलराम की उत्पत्ति हुई थी।
  • यदु वंश का नाश होने पर जब वसुदेव ने द्वारिका में शरीर त्यागा तो रोहिणी भी उनके साथ सती हुई थी।
  • वसुदेव देवकी के साथ जिस समय कारागृह में बन्दी थे, उस समय ये नन्द के यहाँ थीं और वहीं इन्होंने बलराम को जन्म दिया।
  • कृष्णभक्ति-काव्य में वात्सल्य की दृष्टि से रोहिणी का चरित्र यशोदा के चरित्र की छाया मात्र है।
  • अत: उसका स्थान गौण ही कहा जायेगा।
  • कृष्ण और बलराम की परिचर्या में ही उसका दो एक बार उल्लेख आया है।
  • बलराम का यह कथन कि रोहिणी यशोदा के समान प्रेम नहीं कर सकती, कदाचित देवकी के सम्बन्ध में ही प्रतीत होता है क्योंकि मथुरा में बलराम द्वारा रोहिणी की आलोचना में विशेष संगति नहीं है।