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'''तबरहिंद''' को कुछ [[अरब]] इतिहास लेखकों ने, जिनमें अलउतबी भी है, [[भटिंडा]] ([[पंजाब]]) को 'तबर-हिन्द' नाम से उल्लिखित किया है। पहले सुबुक्तगीन और फिर [[महमूद ग़ज़नवी]] ने भटिंडा पर आक्रमण किया था। इस समय यहाँ का राजा जयपाल था, जिसने [[उत्तर भारत]] के कई प्रमुख राज्यों की सहायता से आक्रमणकारियों का डट कर सामना किया था।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=390|url=}}</ref> | '''तबरहिंद''' को कुछ [[अरब]] इतिहास लेखकों ने, जिनमें अलउतबी भी है, [[भटिंडा]] ([[पंजाब]]) को 'तबर-हिन्द' नाम से उल्लिखित किया है। पहले सुबुक्तगीन और फिर [[महमूद ग़ज़नवी]] ने भटिंडा पर आक्रमण किया था। इस समय यहाँ का राजा [[जयपाल]] था, जिसने [[उत्तर भारत]] के कई प्रमुख राज्यों की सहायता से आक्रमणकारियों का डट कर सामना किया था।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=390|url=}}</ref> | ||
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तबरहिंद को कुछ अरब इतिहास लेखकों ने, जिनमें अलउतबी भी है, भटिंडा (पंजाब) को 'तबर-हिन्द' नाम से उल्लिखित किया है। पहले सुबुक्तगीन और फिर महमूद ग़ज़नवी ने भटिंडा पर आक्रमण किया था। इस समय यहाँ का राजा जयपाल था, जिसने उत्तर भारत के कई प्रमुख राज्यों की सहायता से आक्रमणकारियों का डट कर सामना किया था।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |पृष्ठ संख्या: 390 |