उत्तरकाशी: Difference between revisions

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'''रेल मार्ग''' [[देहरादून]] यहाँ का सबसे नजदीकी रेल स्‍टेशन है। दिल्‍ली, [[मुंबई]] तथा [[जयपुर]] से यहाँ के लिए सीधी रेल सेवा है। <br />
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'''सड़क मार्ग''' उत्तरकाशी सड़क मार्ग द्वारा देश के प्रमुख शहरों से जुड़ा हूआ है। दिल्‍ली के कश्‍मीरी गेट से उत्तरकाशी के लिए बस खुलती हैं। इसके अलावा देहरादून से भी उत्तरकाशी के लिए सीधी बस सेवा है। ऋषिकेश से भी यहाँ के लिए बसें खुलती है।
'''सड़क मार्ग''' उत्तरकाशी सड़क मार्ग द्वारा देश के प्रमुख शहरों से जुड़ा हूआ है। दिल्‍ली के कश्‍मीरी गेट से उत्तरकाशी के लिए बस खुलती हैं। इसके अलावा देहरादून से भी उत्तरकाशी के लिए सीधी बस सेवा है। ऋषिकेश से भी यहाँ के लिए बसें खुलती है।
==पर्यटन==
उत्तरकाशी पर्यटकों के लिए लोकप्रिय है, यहाँ कई तीर्थस्थल भी है और कई मनोहर प्राकृतिक दृश्य भी। यहीं गंगा औऱ [[यमुना नदी|यमुना]] जैसे नदियों का उद्गम स्थल है।
*[[विश्‍वनाथ मंदिर उत्तरकाशी|विश्‍वनाथ मंदिर]]
*[[शक्‍ित मंदिर उत्तरकाशी|शक्‍ित मंदिर]]
*[[मनीरी उत्तरकाशी|मनीरी]]
*[[गंगनी उत्तरकाशी|गंगनी]]
*[[दोदीताल उत्तरकाशी|दोदीताल]]
*[[दायरा बुग्‍याल उत्तरकाशी|दायरा बुग्‍याल]]


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Revision as of 05:58, 5 June 2010

शिव की नगरी

उत्तराखंड के सुरम्य व मनोरम स्थल उत्तरकाशी को देवाधिदेव भगवान शंकर का निवास माना जाता है और यह कहा जाता है कि उन्होंने इस स्थान पर गोपी का रूप धारण करके तप किया था। जिस जगह उन्होंने तपस्या की, वह स्थान आज भी 'गोपेश्वर महादेव' के नाम से प्रसिद्ध है। उत्तरकाशी ऋषिकेश से 155 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह शहर भागीरथी नदी के तट पर बसा हुआ है। उत्तरकाशी धार्मिक दृष्‍िट से भी महत्‍वपूर्ण शहर है। यहाँ भगवान विश्‍वनाथ का प्रसिद्ध मंदिर है। यह शहर प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है। यहाँ एक तरफ जहाँ पहाड़ों के बीच बहती नदियाँ दिखती हैं वहीं दूसरी तरफ पहाड़ों पर घने जंगल भी दिखते हैं। यहाँ आप पहाड़ों पर चढ़ाई का लुफ्त भी उठा सकते हैं। उत्तरकाशी को प्राचीन समय में विश्वनाथ की नगरी कहा जाता था। कालांतर में इसे उत्तरकाशी कहा जाने लगा। केदारखंड और पुराणों में उत्तरकाशी के लिए 'बाडाहाट' शब्द का प्रयोग किया गया है। केदारखंड में ही बाडाहाट में विश्वनाथ मंदिर का उल्लेख मिलता है। पुराणों में इसे 'सौम्य काशी' भी कहा गया है। हिमालय की सुरम्य घाटी में उत्तरकाशी समुद्र तल से एक हजार छह सौ इक्कीस फुट की ऊँचाई पर गंगोत्री मार्ग पर गंगा-भागीरथी के दाएं तट पर स्थित है तथा पूर्व और दक्षिण की ओर नदी से घिरा है। इसके उत्तर में अस्सी गंगा और पश्चिम में वरणा नदी है। वरणा और अस्सी के मध्य का क्षेत्र 'वाराणसी' के नाम से प्रसिद्ध है। इसे 'पंचकाशी' भी कहा जाता है। यह वरुणावर्त पर्वत की घाटी में स्थित है तथा इसके पूर्व में केदारघाट और दक्षिण में मणिकर्णिका घाट हैं।

खानपान

उत्तरकाशी के अधिकांश रेस्‍टोरेंटों में शाकाहारी खाना मिलता है। यहाँ का प्रमुख भोजन झंगुरा, मंडुआ तथा भट्ट है। इसके साथ-साथ रायता तथा रोटी भी यहाँ के लोग खाते हैं। कुछ होटलों में विशेष अनुरोध पर गढ़वाली भोजन बनाया जाता है।

यातायात और परिवहन

हवाई मार्ग यहाँ सबसे नजदीकी हवाई अड्डा देहरादून में जौली ग्रांट है। यहाँ दिल्‍ली से एयर डक्‍कन की प्रतिदिन दो उड़ाने जाती है। 
रेल मार्ग देहरादून यहाँ का सबसे नजदीकी रेल स्‍टेशन है। दिल्‍ली, मुंबई तथा जयपुर से यहाँ के लिए सीधी रेल सेवा है। 
सड़क मार्ग उत्तरकाशी सड़क मार्ग द्वारा देश के प्रमुख शहरों से जुड़ा हूआ है। दिल्‍ली के कश्‍मीरी गेट से उत्तरकाशी के लिए बस खुलती हैं। इसके अलावा देहरादून से भी उत्तरकाशी के लिए सीधी बस सेवा है। ऋषिकेश से भी यहाँ के लिए बसें खुलती है।

पर्यटन

उत्तरकाशी पर्यटकों के लिए लोकप्रिय है, यहाँ कई तीर्थस्थल भी है और कई मनोहर प्राकृतिक दृश्य भी। यहीं गंगा औऱ यमुना जैसे नदियों का उद्गम स्थल है।