महारानी विक्टोरिया: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
No edit summary
Line 15: Line 15:
==निधन==
==निधन==
[[1901]] ई. में जब उनकी मृत्यु हुई, तो सारे [[भारत]] में शोक मनाया गया।  
[[1901]] ई. में जब उनकी मृत्यु हुई, तो सारे [[भारत]] में शोक मनाया गया।  
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक=|पूर्णता=|शोध=}}


==चित्र वीथिका==
==चित्र वीथिका==
Line 22: Line 24:
</gallery>  
</gallery>  


{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक=|पूर्णता=|शोध=}}
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=भारतीय इतिहास कोश |लेखक= सच्चिदानन्द भट्टाचार्य|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान |संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=430|url=}}
{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=भारतीय इतिहास कोश |लेखक= सच्चिदानन्द भट्टाचार्य|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान |संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=430|url=}}

Revision as of 12:28, 19 April 2013

thumb|200px|महारानी विक्टोरिया महारानी विक्टोरिया (1819-1901), 1837 ई. में ग्रेट ब्रिटेन और आयरलैण्ड की महारानी के रूप में सिंहासन पर आरूढ़ हुई थीं। 1877 ई. में उन्हें भारत की सम्राज्ञी घोषित किया गया था। अपने उदार विचारों के कारण ही वह भारतीय जनमानस में प्रसिद्ध हुई थीं।

जन्म

विक्टोरिया का जन्म सन 1819 ई. में मई माह में हुआ था। जब वे मात्र आठ महीने की ही थीं, तभी उनके पिता का देहांत हो गया था। विक्टोरिया के मामा ने उनका पालन-पोषण किया और शिक्षा-दीक्षा का कार्य बड़ी निपुणता से संभाला। वे स्वयं भी एक बड़े योग्य और अनुभवी व्यक्ति थे। उनकी संगत में ही विक्टोरिया ने राजकाज का कार्य सम्भालना शुरू कर दिया था।

विवाह

विवाह हो जाने के बाद विक्टोरिया अपने पति को राजकाज से दूर ही रखती थीं, लेकिन धीरे-धीरे पति के प्रेम, विद्वत्ता और चातुर्य आदि गुणों से प्रभावित होने पर वे पतिपरायण बनकर उनकी इच्छानुसार चलने लगीं। किंतु 43 वर्ष की अवस्था में ही वे विधवा हो गईं। इस दुःख को सहते हुए भी उन्होंने 39 वर्ष तक बड़ी ईमानदारी और न्याय के साथ शासन किया।

भारत में लोकप्रियता

मात्र अठारह वर्ष की उम्र में ही विक्टोरिया राजगद्दी पर आसीन हो गई थीं। भारत का शासन प्रबन्ध 1858 ई. में ईस्ट इण्डिया कम्पनी के हाथ से लेकर ब्रिटिश राजसत्ता को सौंप दिया गया।thumb|left|महारानी विक्टोरिया इसकी जो उदघोषणा, महारानी के नाम से की गई, उससे वह भारतीयों में जनप्रिय हो गईं, क्योंकि ऐसा विश्वास किया जाता था कि उदघोषणाओं में जो उदार विचार व्यक्त किए गए थे, वे उनके निजी और उदार विचारों के प्रतिबिम्ब स्वरूप थे।

नीति

महारानी विक्टोरिया ने कभी भी भारत-भ्रमण नहीं किया और भारतीय प्रशासन का संचालन संवैधानिक शासक की हैसियत से करते हुए उन्हीं नीतियों का अनुमोदन किया, जिसकी सिफ़ारिश उनके उत्तरदायी मंत्रियों ने की। ड्यूक ऑफ़ कनाट महारानी विक्टोरिया का पुत्र और इंग्लैंण्ड के राजघराने का प्रमुख सदस्य था। फिर भी उन्होंने भारतीयों के बीच बड़ी लोकप्रियता अर्जित की है।

सम्मान में स्थापित भवन

महारानी विक्टोरिया के भारत की सम्राज्ञी नियुक्त होने की खुशी में दो स्थानों हरदोई में विक्टोरिया मेमोरियल हरदोई तथा कोलकाता में विक्टोरिया मेमोरियल कोलकाता भवनों का निर्माण किया गया। सुल्तानपुर में महारानी विक्टोरिया की याद में उनकी पहली जयन्ती पर 'सुंदर लाल मेमोरियल हॉल' का निर्माण करवाया गया था। वर्तमान समय में इसे विक्टोरिया मंज़िल के नाम से जाना जाता है।

निधन

1901 ई. में जब उनकी मृत्यु हुई, तो सारे भारत में शोक मनाया गया।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

चित्र वीथिका

टीका टिप्पणी और संदर्भ

भारतीय इतिहास कोश |लेखक: सच्चिदानन्द भट्टाचार्य |प्रकाशक: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान |पृष्ठ संख्या: 430 |


संबंधित लेख

  1. REDIRECT साँचा:रानियाँ और महारानियाँ