सोनार क़िला जैसलमेर: Difference between revisions
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[[जैसलमेर]] [[राजस्थान]] का सबसे ख़ूबसूरत शहर है और [[जैसलमेर पर्यटन]] का सबसे आकर्षक स्थल माना जाता है। जैसलमेर का गौरवशाली दुर्ग त्रिभुजाकार पहाड़ी पर स्थित हैं। इसकी सुरक्षा के लिए इसके चारों ओर परकोटे पर तीस-तीस फीट ऊँची 99 बुर्जियाँ बनी हैं। चूँकि यह क़िला और इसमें स्थित सैंकड आवासीय भवन पीले पत्थरों से बने हुए है और सूर्य की रोशनी में स्वर्णिम आभा बिखेरते हैं इसलिए इसे सोनार क़िला के नाम से पुकारा जाता है। | [[जैसलमेर]] [[राजस्थान]] का सबसे ख़ूबसूरत शहर है और [[जैसलमेर पर्यटन]] का सबसे आकर्षक स्थल माना जाता है। जैसलमेर का गौरवशाली दुर्ग त्रिभुजाकार पहाड़ी पर स्थित हैं। इसकी सुरक्षा के लिए इसके चारों ओर परकोटे पर तीस-तीस फीट ऊँची 99 बुर्जियाँ बनी हैं। चूँकि यह क़िला और इसमें स्थित सैंकड आवासीय भवन पीले पत्थरों से बने हुए है और सूर्य की रोशनी में स्वर्णिम आभा बिखेरते हैं इसलिए इसे सोनार क़िला के नाम से पुकारा जाता है। | ||
अन्य वैष्णव मंदिरों के अलावा दुर्ग में स्थापत्य एवं शिल्प कला के सजीव केन्द्र के रूप में जैन मंदिर बने हुए हैं। "जिन भद्र सूरि ज्ञान भण्डार" दुर्ग स्थित [[जैन]] मंदिरों के तहखानों में बना हुआ है। जिन भद्रसूरि ज्ञान भण्डार प्राचीन ताड पत्रों व कागज़ी पुस्तकों एवं ग्रंथों के संग्रह के लिए प्रसिद्ध हैं। इसमें कई प्राचीन ग्रंथों का भण्डार हैं, जो [[संस्कृत भाषा|संस्कृत]], [[मागधी भाषा|मागधी]], [[ | अन्य वैष्णव मंदिरों के अलावा दुर्ग में स्थापत्य एवं शिल्प कला के सजीव केन्द्र के रूप में जैन मंदिर बने हुए हैं। "जिन भद्र सूरि ज्ञान भण्डार" दुर्ग स्थित [[जैन]] मंदिरों के तहखानों में बना हुआ है। जिन भद्रसूरि ज्ञान भण्डार प्राचीन ताड पत्रों व कागज़ी पुस्तकों एवं ग्रंथों के संग्रह के लिए प्रसिद्ध हैं। इसमें कई प्राचीन ग्रंथों का भण्डार हैं, जो [[संस्कृत भाषा|संस्कृत]], [[मागधी भाषा|मागधी]], [[पालि भाषा|पालि]], [[गुजराती|गुजराती भाषा]], [[मालवी|मालवी भाषा]], [[डिंगल|डिंगल भाषा]] व अन्य कई भाषाओं में अनेकों विषयों पर लिखे गये हैं। | ||
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Revision as of 06:12, 19 June 2010
जैसलमेर राजस्थान का सबसे ख़ूबसूरत शहर है और जैसलमेर पर्यटन का सबसे आकर्षक स्थल माना जाता है। जैसलमेर का गौरवशाली दुर्ग त्रिभुजाकार पहाड़ी पर स्थित हैं। इसकी सुरक्षा के लिए इसके चारों ओर परकोटे पर तीस-तीस फीट ऊँची 99 बुर्जियाँ बनी हैं। चूँकि यह क़िला और इसमें स्थित सैंकड आवासीय भवन पीले पत्थरों से बने हुए है और सूर्य की रोशनी में स्वर्णिम आभा बिखेरते हैं इसलिए इसे सोनार क़िला के नाम से पुकारा जाता है।
अन्य वैष्णव मंदिरों के अलावा दुर्ग में स्थापत्य एवं शिल्प कला के सजीव केन्द्र के रूप में जैन मंदिर बने हुए हैं। "जिन भद्र सूरि ज्ञान भण्डार" दुर्ग स्थित जैन मंदिरों के तहखानों में बना हुआ है। जिन भद्रसूरि ज्ञान भण्डार प्राचीन ताड पत्रों व कागज़ी पुस्तकों एवं ग्रंथों के संग्रह के लिए प्रसिद्ध हैं। इसमें कई प्राचीन ग्रंथों का भण्डार हैं, जो संस्कृत, मागधी, पालि, गुजराती भाषा, मालवी भाषा, डिंगल भाषा व अन्य कई भाषाओं में अनेकों विषयों पर लिखे गये हैं।