आई में आ गए -काका हाथरसी: Difference between revisions

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पार्टी में बीस खस्ता कचौडी उडा गये॥
पार्टी में बीस खस्ता कचौडी उडा गये॥


जब देखा अपने दल में कोई दम नही रहा।
जब देखा अपने दल में कोई दम नहीं रहा।
मारी छलांग खाई से 'आई' में आ गये॥
मारी छलांग खाई से 'आई' में आ गये॥



Revision as of 12:47, 2 September 2013

आई में आ गए -काका हाथरसी
कवि काका हाथरसी
जन्म 18 सितंबर, 1906
जन्म स्थान हाथरस, उत्तर प्रदेश
मृत्यु 18 सितंबर, 1995
मुख्य रचनाएँ काका की फुलझड़ियाँ, काका के प्रहसन, लूटनीति मंथन करि, खिलखिलाहट आदि
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
काका हाथरसी की रचनाएँ

सीधी नज़र हुयी तो सीट पर बिठा गए।
टेढी हुयी तो कान पकड कर उठा गये॥

सुन कर रिजल्ट गिर पडे दौरा पडा दिल का।
डाक्टर इलेक्शन का रियेक्शन बता गये॥

अन्दर से हंस रहे है विरोधी की मौत पर।
ऊपर से ग्लीसरीन के आंसू बहा गये॥

भूखों के पेट देखकर नेता जी रो पडे।
पार्टी में बीस खस्ता कचौडी उडा गये॥

जब देखा अपने दल में कोई दम नहीं रहा।
मारी छलांग खाई से 'आई' में आ गये॥

करते रहो आलोचना देते रहो गाली।
मंत्री की कुर्सी मिल गई गंगा नहा गए॥

काका ने पूछा 'साहब ये लेडी कौन है'?
थी प्रेमिका मगर उसे सिस्टर बता गए॥


 


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