पुणे: Difference between revisions

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प्रमुख धार्मिक, ऐतिहासिक और पर्यटक स्थल सह्याद्रिके आसपास तथा भीमा नदी के किनारे स्थित इसकी ढलानों पर अवस्थित हैं। [[सिंहगढ़ महाराष्ट्र|सिंहगढ़]] जैसे कुछ विख्यात मराठा क़िले अब आधुनिक आरामगाह में परिवर्तित कर दिए गए हैं। यहाँ के धार्मिक केंद्रों में [[भीमशंकर ज्योतिर्लिंग|भीमशंकर]], जो भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। संत कवि तुकाराम का जन्म स्थल देहू, आचार्य रजनीश का आश्रम (ओशो कम्यूम इंटरनेशनल सेंटर)। इसके निकट ही संत मेहरबाबा से संबंधित स्थान मेहराजाद और मेहराबाद हैं।
प्रमुख धार्मिक, ऐतिहासिक और पर्यटक स्थल सह्याद्रिके आसपास तथा भीमा नदी के किनारे स्थित इसकी ढलानों पर अवस्थित हैं। [[सिंहगढ़ दुर्ग|सिंहगढ़]] जैसे कुछ विख्यात मराठा क़िले अब आधुनिक आरामगाह में परिवर्तित कर दिए गए हैं। यहाँ के धार्मिक केंद्रों में [[भीमशंकर ज्योतिर्लिंग|भीमशंकर]], जो भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। संत कवि तुकाराम का जन्म स्थल देहू, आचार्य रजनीश का आश्रम (ओशो कम्यूम इंटरनेशनल सेंटर)। इसके निकट ही संत मेहरबाबा से संबंधित स्थान मेहराजाद और मेहराबाद हैं।
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स्थापना

[[चित्र:Sinhagarh-Fort-Pune.jpg|thumb|सिंहगढ़ क़िला, पुणे
Sinhagarh Fort]] पुणे भूतपूर्व पूना शहर, महाराष्ट्र राज्य, दक्षिण पश्चिम भारत, मूला और मूथा नदियों के संगम स्थल पर स्थित है। ‘दक्कन की रानी’ के नाम से विख्यात पुणे मराठियों की सांस्कृतिक राजधानी है। 17वीं शताब्दी में मराठा राज्य की राजधानी के रूप में पहली बार इस नगर को महत्व प्राप्त हुआ था। कुछ समय तक इस पर मुग़लों का कब्जा रहा, लेकिन बाद में 1714 से यह पुनः मराठा राज्य की राजधानी बन गया, अंततः 1817 में यह अंग्रेजों के अधिकार में चला गया। इसने बंबई प्रेज़िडेंसी की मौसमी राजधानी की भूमिका निभाई और आज़ादी के बाद यह विकासशील देश बन गया, जो हर दिशा में फैल रहा था। विशेष रूप से इसका विस्तार पुणे-मुंबई रेल और सड़क मार्गों के समानांतर हुआ, जो पिंपरी और चिंचवड से गुज़रते हैं।

इतिहास

[[चित्र:Infosys-Campus-Pune.jpg|इन्फोसिस, पुणे
Infosys, Pune|thumb|left]] पुणे शिवाजी महाराज के जीवन व मराठा साम्राज्य के इतिहास का एक महत्वपूर्ण अंग है। इस प्रकार मराठों और अंग्रेजों, दोनों को अपनी-अपनी शक्ति और कमज़ोरी का पता चल गया और अगले बीस वर्षों तक उनके बीच शांति रही। मराठा सरदारों में आपसी दुश्मनी और प्रतिद्वन्द्विता चलती रही और 25 अक्टूबर 1802 ई॰ को तत्कालीन पेशवा बाजीराव द्वितीय को अपने चंगुल में करने के लिए शिन्दे और होल्कर में पूना के बाहर युद्ध हुआ। बाजीराव द्वितीय कायर और षड़यंत्रकारी था और उसे राज्य के हित की कोई चिन्ता नहीं थी। जिस समय पूना का युद्ध चल ही रहा था, वह प्रतिद्वन्द्वी मराठा सरदारों के चंगुल से अपने को बचाने के लिए पूना से भागकर बसई अंग्रेजों की शरण में चला गया। वहाँ उसने 31 दिसम्बर 1802 ई॰ को बसई की लज्जाजनक संधि कर ली, जिसके द्वारा उसने पेशवा पद फिर से प्राप्त करने का मनोरथ बनाया था। इस प्रकार बाजीराव द्वितीय ने मराठा राज्य की स्वतंत्रता बेच दी और वह अंग्रेजों के द्वारा पुनः पूना की गद्दी पर आसीन कर दिया गया। परन्तु मराठा सरदारों, विशेष रूप से शिन्दे, भोंसले और होल्कर ने इस व्यवस्था को स्वीकार नहीं किया और फलस्वरूप दूसरा मराठा-युद्ध (1803-05 ई॰) छिड़ गया।

यातायात और परिवहन

पुणे शहर भारत के अन्य महत्वपूर्ण शहरों से सड़क, रेलवे व हवाईमार्ग से जुड़ा हुआ है। पुणे का विमानतल से पहले केवल देश के अन्य शहरों के लिए उड़ाने थी, मगर सिंगापुर व दुबई के लिए उड़ा आने के बाद इसे अन्तरराष्ट्रीय दर्जा प्राप्त हुआ है।

कृषि और खनिज

ज्वार, बाजरा, गन्ना और चावल यहाँ की मुख्य फ़सलें हैं।

उद्योग और व्यापार

[[चित्र:Purandarh-Fort-Pune-1.jpg|thumb|पुरंदर क़िला, पुणे
Purandarh Fort, Pune]] यहाँ स्थित आधुनिक विशाल औद्योगिक इकाइयों में कार, स्कूटर, ट्रक एंटीबायोटक, औषधि, आधुनिक अभियांत्रिकी पुर्ज़े तथा तेल से चलने वाले इंजनों का निर्माण होता है। अन्य इकाइयाँ चिंचवड तथा पूर्व में भोसारी समेत आसपास के क्षेत्रों में स्थित हैं। नए उद्योग पूणे-शोलापुर मार्ग पर स्थित स्थान को पसंद करते हैं।

पुणे के आसपास के क्षेत्र, जिसे अब वृहद (ग्रेटर) पुणे कहा जाता है। इसमें सह्याद्रि पहाडियाँ, बालघाट श्रृंखला (उत्तर) और महादेव पहाडियाँ (दक्षिण) शामिल है, और भीमा नदी की ऊपरी घाटी का हिस्सा भी मिला हुआ है।

शिक्षण संस्थान

लबें अरसे से पुणे शैक्षणिक और सांस्कृतिक केंद्र रहा है, पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू इसे भारत का ऑक्सफ़ोर्ड और कैब्रिज कहते थे। यहाँ के विख्यात शैक्षणिक संस्थानों में पुणे विश्वविद्यालय (स्थापना 1948), फ़र्ग्युसन कॉलेज, इंस्टिट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट एजुकेशन ऐंड रिसर्च, इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट एजुकेशन ऐंड रिसर्च, इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ इन्फ़ॉर्मेशन टेक्नोलॉजी, इंस्टिट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट एजुकेशन, महाराष्ट्र एकेडमी ऑफ़ इंजीनियरिंग ऐंड एजुकेशनल रिसर्च, एकेडमी ऑफ़ कम्युनिकेश्न स्किल, एकेडमी ऑफ़ पोलिटिकल ऐंड सोशल रिसर्च , छत्रपति शिवाजी मेडिकल कॉलेज, सी॰ए॰ मेडिकल कॉलेज ऑफ़ आल्टरनेटिव मेडिसिन, कॉलेज ऑफ़ कंप्यूटर ऐंड इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग, डी॰ इंस्टिट्यूट ऑफ़ वोकेशनल कोर्सेस, इंस्टिट्यूट ऑफ़ बिजनेस मैनेजमेंट ऐंड रिसर्च, फ़िल्म ऐंड टेलीविजन इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडिया, और बी॰डी॰ इंस्टिट्यूट ऑफ़ फ़ैशन टेक्नोलॉजी शामिल हैं। यहाँ अंतराष्ट्रीय स्तर के शोध संस्थान हैं, जैसे भंडारकर ओरिएंटल रिसर्च इंस्टिट्यूट (स्थापना 1917), गोखले इंस्टिट्यूट ऑफ़ पॉलिटिक्स ऐंड इकोनॉमिक्स तथा दक्कन कॉलेज पोस्ट ग्रेजुएट रिसर्च इंस्टिट्यूट, जो मानव विश्वविद्यालय भी है और इटंर यूनिवर्सिटी सेंटर फ़ॉर एस्ट्रोनॉमी ऐंड एस्ट्रोफ़िज़िक्स एक स्वायत्त संस्था है। [[चित्र:University-Of-Pune.jpg|पुणे विश्वविद्यालय
University Of Pune|thumb|left]] इस नगर में स्थित सरकारी कार्यालयों में शिक्षा निदेशालय, सेंकेंड्री स्कूल सर्टिफ़िकेट परिक्षा बोर्ड, महाराष्ट्र स्टेट ब्यूरो टेक्स्ट बुक प्रोडेक्शन ऐंड करीकुलर रिसर्च, तिलक महराष्ट्र विद्यापीठ तथा विभिन्न राजनितिक, सामाजिक और शैक्षिक नेताओं द्वारा स्थापित संस्थाओं द्वारा वित्त प्रदत्त शैक्षणिक संस्थान शामिल हैं। यहाँ केंद्र सरकार द्वारा प्रायोजित संस्थान, जैसे भारतीय मौसम विज्ञान और नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ वायरोलॉजी भी स्थित हैं। शहर के पश्चिमी सीमा पर खड़गवासला में नेश्नल डिफ़ेंस अकादमी और सेंट्रल वाटर ऐंड पावर रिसर्च स्टेशन; उत्तर में इंस्टिट्यूट ऑफ़ ट्रॉपिकल मेटरोलॉजी; पुणे विश्वविद्यालय परिसर में इंटर यूनिवर्सिटी सेंटर फ़ॉर एस्ट्रोनॉमी ऐंड एस्ट्रो फ़िज़िक्स; पूर्व में किरकी में प्रतिरक्षा उत्पादन इकाइयाँ स्थित हैं। यहाँ एक छावनी भी है, जिसमें प्रतिरक्षा कमान इकाई और आर्म्ड फ़ोर्सेस मेडिकल स्थित हैं।

जनसंख्या

पुणे की जनसंख्या (2001) 25,40,069 है, और ग्रामीण क्षेत्र की जनसंख्या 80,191 है। पुणे ज़िले की जनसंख्या 72,24,224 है।

पर्यटन

प्रमुख धार्मिक, ऐतिहासिक और पर्यटक स्थल सह्याद्रिके आसपास तथा भीमा नदी के किनारे स्थित इसकी ढलानों पर अवस्थित हैं। सिंहगढ़ जैसे कुछ विख्यात मराठा क़िले अब आधुनिक आरामगाह में परिवर्तित कर दिए गए हैं। यहाँ के धार्मिक केंद्रों में भीमशंकर, जो भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। संत कवि तुकाराम का जन्म स्थल देहू, आचार्य रजनीश का आश्रम (ओशो कम्यूम इंटरनेशनल सेंटर)। इसके निकट ही संत मेहरबाबा से संबंधित स्थान मेहराजाद और मेहराबाद हैं।