सरला देवी: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
No edit summary
Line 1: Line 1:
'''सरला देवी''' का जन्म 1827 ई. में हुआ था। सरला देवी गुरुदेव [[रबीन्द्रनाथ टैगोर]] की बड़ी बहिन थीं। स्नातक परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद उन्होंने [[बंगाल]] के सुप्रसिद्ध पत्र 'भारती' का सम्पादन सँभाला। 1905 ई. के [[कांग्रेस]] के ऐतिहासिक बनारस अधिवेशन में उन्होंने भाग लिया एवं पहली बार 'वंदेमातरम' का घोष किया था। तभी से यह नारा भारतीय क्रांतिकारियों का युद्धघोष बन गया।
'''सरला देवी''' ([[अंग्रेज़ी]]: Sarla Devi; जन्म- 1827; मृत्यु- [[1945]]) [[कवि]] के रूप में ख्यातिप्राप्त [[रबीन्द्रनाथ टैगोर|गुरुदेव रबीन्द्रनाथ टैगोर]] की भांजी थीं। [[कांग्रेस]] के ऐतिहासिक 'बनारस अधिवेशन' ([[1911]]) में इन्होंने भाग लिया था और [[भारत]] के राष्ट्रगीत '[[वन्दे मातरम्]]' का उद्घोष किया। अपने कई महत्त्वपूर्ण कार्यों से सरला देवी ने काफ़ी अच्छी लोकप्रियता प्राप्त कर ली थी।
==जन्म तथा शिक्षा==
सरला देवी का जन्म 1827 ई. में हुआ था। स्नातक की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद सरला देवी ने [[बंगाल]] के सुप्रसिद्ध पत्र 'भारती' का सम्पादन कार्य सँभाला। [[वर्ष]] [[1905]] ई. के [[कांग्रेस]] के ऐतिहासिक 'बनारस अधिवेशन' में उन्होंने भाग लिया एवं पहली बार '[[वन्दे मातरम्]]' का घोष किया था। तभी से यह नारा भारतीय क्रांतिकारियों का युद्ध घोष बन गया।
====विवाह====
सरला देवी का [[विवाह]] [[1905]] ई. में [[पंजाब]] के रामभुज दत्त चौधरी के साथ हुआ। इस विवाह से उनका कार्य क्षेत्र विस्तृत होकर पंजाब तक फैल गया था।
==उत्सवों का आरम्भ==
==उत्सवों का आरम्भ==
सरला देवी ने लोकमान्य तिलक द्वारा [[महाराष्ट्र]] में आयोजित 'गणपति' एवं 'शिवाजी' उत्सवों की तरह बंगाल में भी दो उत्सव प्रारम्भ किए।
सरला देवी ने [[लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक]] द्वारा [[महाराष्ट्र]] में आयोजित 'गणपति' एवं 'शिवाजी' उत्सवों की तरह बंगाल में भी दो उत्सव प्रारम्भ किए थे।
==विवाह==
;सम्पादन कार्य
सरला देवी का विवाह 1905 ई. में [[पंजाब]] के रामभुज दत्त चौधरी के साथ हुआ एवं उनका कार्यक्षेत्र पंजाब तक विस्तृत हो गया।
[[पंजाब]] में सरला देवी ने [[उर्दू]] एवं [[अंग्रेज़ी]] भाषा के दो पत्रों का सम्पादन किया।
==सम्पादन==
पंजाब में उन्होंने [[उर्दू]] एवं [[अंग्रेजी]] के दो पत्रों का सम्पादन किया।  
==क्रांतिकारियों की मदद==
==क्रांतिकारियों की मदद==
1919 ई. में [[रौलट एक्ट]] का विरोध करने पर उनके पति को आजीवन कारावास हो गया, परंतु जनजसामान्य में लोकप्रिय सरला देवी को गिरफ्तार करने का साहस अंग्रेज़ सरकार न कर सकी। पति की गिरफ्तारी के बाद वे गुप्त रूप से क्रांतिकारियों की मदद करती रहीं। डॉ. मजूमदार के अनुसार- "सरला देवी बीसवीं [[सदी]] के दूसरे एवं तीसरे दशकों में बंगाल और पंजाब के क्रांतिकारियों के बीच की महत्त्वपूर्ण कड़ी बन गई थीं।"  
[[1919]] ई. में '[[रौलट एक्ट]]' का विरोध करने पर सरला देवी के पति को आजीवन कारावास हो गया, परंतु जन-सामान्य में लोकप्रिय सरला देवी को गिरफ्तार करने का साहस [[अंग्रेज़]] सरकार न कर सकी। पति की गिरफ्तारी के बाद वे गुप्त रूप से क्रांतिकारियों की मदद करती रहीं। डॉ. मजूमदार के अनुसार- "सरला देवी बीसवीं [[सदी]] के दूसरे एवं तीसरे दशकों में बंगाल और पंजाब के क्रांतिकारियों के बीच की महत्त्वपूर्ण कड़ी बन गई थीं।"  
==निधन==
====निधन====
1945 ई. में अस्वस्थता के कारण सरला देवी का निधन हो गया।
[[वर्ष]] [[1945]] ई. में अस्वस्थता के कारण सरला देवी का निधन हो गया।


{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
Line 17: Line 19:
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
{{टैगोर परिवार}}
{{टैगोर परिवार}}
[[Category:इतिहास कोश]]
[[Category:टैगोर परिवार]][[Category:औपनिवेशिक काल]][[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व]][[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व कोश]][[Category:रबीन्द्रनाथ ठाकुर]][[Category:इतिहास कोश]][[Category:चरित कोश]]
[[Category:चरित कोश]]
[[Category:टैगोर परिवार]]
[[Category:औपनिवेशिक काल]]
[[Category:रबीन्द्रनाथ ठाकुर]]
 
__INDEX__
__INDEX__
__NOTOC__
__NOTOC__

Revision as of 12:29, 8 February 2014

सरला देवी (अंग्रेज़ी: Sarla Devi; जन्म- 1827; मृत्यु- 1945) कवि के रूप में ख्यातिप्राप्त गुरुदेव रबीन्द्रनाथ टैगोर की भांजी थीं। कांग्रेस के ऐतिहासिक 'बनारस अधिवेशन' (1911) में इन्होंने भाग लिया था और भारत के राष्ट्रगीत 'वन्दे मातरम्' का उद्घोष किया। अपने कई महत्त्वपूर्ण कार्यों से सरला देवी ने काफ़ी अच्छी लोकप्रियता प्राप्त कर ली थी।

जन्म तथा शिक्षा

सरला देवी का जन्म 1827 ई. में हुआ था। स्नातक की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद सरला देवी ने बंगाल के सुप्रसिद्ध पत्र 'भारती' का सम्पादन कार्य सँभाला। वर्ष 1905 ई. के कांग्रेस के ऐतिहासिक 'बनारस अधिवेशन' में उन्होंने भाग लिया एवं पहली बार 'वन्दे मातरम्' का घोष किया था। तभी से यह नारा भारतीय क्रांतिकारियों का युद्ध घोष बन गया।

विवाह

सरला देवी का विवाह 1905 ई. में पंजाब के रामभुज दत्त चौधरी के साथ हुआ। इस विवाह से उनका कार्य क्षेत्र विस्तृत होकर पंजाब तक फैल गया था।

उत्सवों का आरम्भ

सरला देवी ने लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक द्वारा महाराष्ट्र में आयोजित 'गणपति' एवं 'शिवाजी' उत्सवों की तरह बंगाल में भी दो उत्सव प्रारम्भ किए थे।

सम्पादन कार्य

पंजाब में सरला देवी ने उर्दू एवं अंग्रेज़ी भाषा के दो पत्रों का सम्पादन किया।

क्रांतिकारियों की मदद

1919 ई. में 'रौलट एक्ट' का विरोध करने पर सरला देवी के पति को आजीवन कारावास हो गया, परंतु जन-सामान्य में लोकप्रिय सरला देवी को गिरफ्तार करने का साहस अंग्रेज़ सरकार न कर सकी। पति की गिरफ्तारी के बाद वे गुप्त रूप से क्रांतिकारियों की मदद करती रहीं। डॉ. मजूमदार के अनुसार- "सरला देवी बीसवीं सदी के दूसरे एवं तीसरे दशकों में बंगाल और पंजाब के क्रांतिकारियों के बीच की महत्त्वपूर्ण कड़ी बन गई थीं।"

निधन

वर्ष 1945 ई. में अस्वस्थता के कारण सरला देवी का निधन हो गया।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख