नितिन गडकरी: Difference between revisions

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'''नितिन गडकरी''' (जन्म- [[27 मई]], [[1957]], [[नागपुर]], [[महाराष्ट्र]]), [[भारत]] के उद्योगपति और '[[भारतीय जनता पार्टी]]' के वरिष्ठ राजनेता हैं। उन्हें [[दिसम्बर]], [[2009]] में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नौवें राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में चुना गया। नितिन गडकरी 52 वर्ष की आयु में भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष बनने वाले पार्टी के सबसे कम उम्र के अध्यक्ष हैं। उन्होंने निवर्तमान अध्यक्ष [[राजनाथ सिंह]] की जगह ग्रहण की है। वे भाजपा के अब तक के सबसे युवा अध्यक्ष हैं।
==जन्म तथा शिक्षा==
==जन्म तथा शिक्षा==
गडकरी का जन्म महाराष्ट्र के नागपुर ज़िले में 1957 में एक [[ब्राह्मण]] परिवार में हुआ था। उनका घर राष्‍ट्रीय स्‍वयं सेवक संघ के मुख्‍यालय के पास ही था। उन्होंने वाणिज्य में परास्नातक और इसके अलावा क़ानून तथा बिजनेस मनेजमेंट की पढ़ाई भी की है। उनके [[पिता]] जहाँ संघ के एक सामान्य कार्यकर्ता थे, वहीं [[माता]] एक प्रसिद्ध प्रचारक थीं। गडकरी के परिवार में उनकी पत्नी कंचन सहित दो बेटे, निखिल और सारंग तथा पुत्र वधुएँ और एक बेटी केतकी हैं।
गडकरी का जन्म महाराष्ट्र के नागपुर ज़िले में [[27 मई]], [[1957]] में एक [[ब्राह्मण]] परिवार में हुआ था। उनका घर राष्‍ट्रीय स्‍वयं सेवक संघ के मुख्‍यालय के पास ही था। उन्होंने वाणिज्य में परास्नातक और इसके अलावा क़ानून तथा बिजनेस मनेजमेंट की पढ़ाई भी की है। उनके [[पिता]] जहाँ संघ के एक सामान्य कार्यकर्ता थे, वहीं [[माता]] एक प्रसिद्ध प्रचारक थीं। गडकरी के परिवार में उनकी पत्नी कंचन सहित दो बेटे, निखिल और सारंग तथा पुत्र वधुएँ और एक बेटी केतकी हैं।
====राजनीति में प्रवेश====
====राजनीति में प्रवेश====
नितिन गडकरी ने पहले 'अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद' के लिए काम किया। अपने छात्र जीवन में ही उन्होंने 'अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद' से जुड़कर अपने राजनीतिक सफ़र की शुरुआत कर दी थी। बाद में वे 23 साल की उम्र में 'भारतीय जनता युवा मोर्चा' के अध्यक्ष बने। उन्‍होंने अपने मजबूत राजनीतिक जीवन की शुरुआत भाजपा के लिए ज़मीनी स्‍तर के कार्यकर्ता के रूप में की। नितिन गडकरी की हैसियत राष्ट्रीय स्तर पर बहुत जानी पहचानी नहीं रही है, लेकिव वे आरएसएस के चहेते माने जाते हैं, क्योंकि वे संघ के एक प्रतिबद्ध और निष्ठावान स्वयंसेवक हैं। गडकरी भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने से पहले महाराष्ट्र में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष थे। वे महाराष्ट्र विधान परिषद के सदस्य भी हैं। अपने ऊर्जावान व्यक्तित्व और सब को साथ लेकर चलने की ख़ूबी की वजह से वे हमेशा अपने वरिष्ठ लागों के प्रिय रहे। विवादों से भी उनका रिश्ता रहा है। [[लोक सभा]] के चुनाव के दौरान [[प्रधानमंत्री]] [[मनमोहन सिंह]] के ख़िलाफ़ कथित आपत्तिजनक बयान देने के लिए वे विवादों में घिरे और [[चुनाव आयोग]] ने उनके ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया।
नितिन गडकरी ने पहले 'अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद' के लिए काम किया। अपने छात्र जीवन में ही उन्होंने 'अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद' से जुड़कर अपने राजनीतिक सफ़र की शुरुआत कर दी थी। बाद में वे 23 साल की उम्र में 'भारतीय जनता युवा मोर्चा' के अध्यक्ष बने। उन्‍होंने अपने मजबूत राजनीतिक जीवन की शुरुआत भाजपा के लिए ज़मीनी स्‍तर के कार्यकर्ता के रूप में की। नितिन गडकरी की हैसियत राष्ट्रीय स्तर पर बहुत जानी पहचानी नहीं रही है, लेकिव वे आरएसएस के चहेते माने जाते हैं, क्योंकि वे संघ के एक प्रतिबद्ध और निष्ठावान स्वयंसेवक हैं। गडकरी भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने से पहले महाराष्ट्र में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष थे। वे महाराष्ट्र विधान परिषद के सदस्य भी हैं। अपने ऊर्जावान व्यक्तित्व और सब को साथ लेकर चलने की ख़ूबी की वजह से वे हमेशा अपने वरिष्ठ लागों के प्रिय रहे। विवादों से भी उनका रिश्ता रहा है। [[लोक सभा]] के चुनाव के दौरान [[प्रधानमंत्री]] [[मनमोहन सिंह]] के ख़िलाफ़ कथित आपत्तिजनक बयान देने के लिए वे विवादों में घिरे और [[चुनाव आयोग]] ने उनके ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया।
==मंत्री का पद==
==मंत्री का पद==
[[1995]] में नितिन गडकरी [[महाराष्ट्र]] में शिव सेना और [[भारतीय जनता पार्टी]] की गठबंधन सरकार में लोक निर्माण मंत्री बनाए गए और चार साल तक मंत्री पद पर रहे। एक मंत्री के रुप में वे अपने अच्छे कामों और अपनी साफ़ छवि की वजह से सभी के चहेते रहे। [[1989]] में वे पहली बार विधान परिषद के लिए चुने गए थे, हालाँकि उससे पहले [[1983]] में वे चुनाव हार गए थे। वे पिछले 20 वर्षों से विधान परिषद के सदस्य हैं और आख़िरी बार [[2008]] में विधान परिषद के लिए चुने गए थे। वे महाराष्ट्र विधान परिषद में विपक्ष के नेता भी रहे हैं। उन्होंने अपनी पहचान ज़मीन से जुड़े एक कार्यकर्ता के तौर पर बनाई है। वे एक राजनेता के साथ-साथ एक कृषक और एक उद्योगपति भी हैं।
[[1995]] में नितिन गडकरी [[महाराष्ट्र]] में शिव सेना और [[भारतीय जनता पार्टी]] की गठबंधन सरकार में लोक निर्माण मंत्री बनाए गए और चार साल तक मंत्री पद पर रहे। एक मंत्री के रुप में वे अपने अच्छे कामों और अपनी साफ़ छवि की वजह से सभी के चहेते रहे। [[1989]] में वे पहली बार विधान परिषद के लिए चुने गए थे, हालाँकि उससे पहले [[1983]] में वे चुनाव हार गए थे। वे पिछले 20 वर्षों से विधान परिषद के सदस्य हैं और आख़िरी बार [[2008]] में विधान परिषद के लिए चुने गए थे। वे महाराष्ट्र विधान परिषद में विपक्ष के नेता भी रहे हैं। उन्होंने अपनी पहचान ज़मीन से जुड़े एक कार्यकर्ता के तौर पर बनाई है। वे एक राजनेता के साथ-साथ एक कृषक और एक उद्योगपति भी हैं।
==भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष==
==भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष==
[[लोक सभा]] चुनावों में लगातार दूसरी बार हार के बाद भाजपा में जो उथल पुथल थी, उससे उबरने के लिए आरएसएस ने पार्टी के शीर्ष पदाधिकारियों के बदलने की बात कही थी। जब संघ ने यह कहा कि नया अध्यक्ष [[दिल्ली]] से नहीं होगा, तो नेता की तलाश हुई, जिसमें नितिन गडकरी के साथ [[गोवा]] के पूर्व [[मुख्यमंत्री]] मनोहर पारिक्कर का भी नाम उभरकर सामने आया, किंतु [[लालकृष्ण आडवाणी]] के बारे में पारिक्कर के विवादास्पद बयान ने उनका पत्ता काट दिया और इस तरह उनका रास्ता अधिक आसान हो गया। आख़िर में लालकृष्ण आडवाणी की राय पर नितिन गडकरी के नाम पर आरएसएस ने अपनी मुहर लगा दी। [[शनिवार]], [[19 दिसंबर]] को भाजपा के संसदीय बोर्ड में उन्हें सर्वसम्मति से नया अध्यक्ष चुनने के लिए सहमति बन गई। पार्टी के संविधान के अनुरुप उनका कार्यकाल तीन साल का नियत हुआ।
[[लोक सभा]] चुनावों में लगातार दूसरी बार हार के बाद भाजपा में जो उथल पुथल थी, उससे उबरने के लिए आरएसएस ने पार्टी के शीर्ष पदाधिकारियों के बदलने की बात कही थी। जब संघ ने यह कहा कि नया अध्यक्ष [[दिल्ली]] से नहीं होगा, तो नेता की तलाश हुई, जिसमें नितिन गडकरी के साथ [[गोवा]] के पूर्व [[मुख्यमंत्री]] मनोहर पारिक्कर का भी नाम उभरकर सामने आया, किंतु [[लालकृष्ण आडवाणी]] के बारे में पारिक्कर के विवादास्पद बयान ने उनका पत्ता काट दिया और इस तरह उनका रास्ता अधिक आसान हो गया। आख़िर में लालकृष्ण आडवाणी की राय पर नितिन गडकरी के नाम पर आरएसएस ने अपनी मुहर लगा दी। [[शनिवार]], [[19 दिसंबर]] को भाजपा के संसदीय बोर्ड में उन्हें सर्वसम्मति से नया अध्यक्ष चुनने के लिए सहमति बन गई। पार्टी के संविधान के अनुरुप उनका कार्यकाल तीन साल का नियत हुआ।
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Revision as of 14:27, 29 May 2014

नितिन गडकरी
पूरा नाम नितिन गडकरी
जन्म 27 मई, 1957
जन्म भूमि नागपुर, महाराष्ट्र
पति/पत्नी कंचन गडकरी
संतान पुत्र- निखिल और सारंग; पुत्री- केतकी
नागरिकता भारतीय
पार्टी 'भारतीय जनता पार्टी' (भाजपा)
पद कैबिनेट मंत्री (सड़क परिवहन एवं राजमार्ग, जहाजरानी)
कार्य काल 27 मई, 2014 से पदभार ग्रहण
शिक्षा वाणिज्य में परास्नातक और क़ानून तथा बिजनेस मेनेजमेंट
भाषा हिन्दी, अंग्रेज़ी
अन्य जानकारी गडकरी 52 वर्ष की आयु में भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष बनने वाले पार्टी के सबसे कम उम्र के अध्यक्ष हैं।
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नितिन गडकरी (अंग्रेज़ी: Nitin Gadkari, जन्म- 27 मई, 1957, नागपुर, महाराष्ट्र) भारत के उद्योगपति और 'भारतीय जनता पार्टी' के वरिष्ठ राजनेता एवं वर्तमान सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री, जहाजरानी विभाग के केंद्रीय कैबिनेट मंत्री हैं। उन्हें दिसम्बर, 2009 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नौवें राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में चुना गया। नितिन गडकरी 52 वर्ष की आयु में भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष बनने वाले पार्टी के सबसे कम उम्र के अध्यक्ष बने।

जन्म तथा शिक्षा

गडकरी का जन्म महाराष्ट्र के नागपुर ज़िले में 27 मई, 1957 में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनका घर राष्‍ट्रीय स्‍वयं सेवक संघ के मुख्‍यालय के पास ही था। उन्होंने वाणिज्य में परास्नातक और इसके अलावा क़ानून तथा बिजनेस मनेजमेंट की पढ़ाई भी की है। उनके पिता जहाँ संघ के एक सामान्य कार्यकर्ता थे, वहीं माता एक प्रसिद्ध प्रचारक थीं। गडकरी के परिवार में उनकी पत्नी कंचन सहित दो बेटे, निखिल और सारंग तथा पुत्र वधुएँ और एक बेटी केतकी हैं।

राजनीति में प्रवेश

नितिन गडकरी ने पहले 'अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद' के लिए काम किया। अपने छात्र जीवन में ही उन्होंने 'अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद' से जुड़कर अपने राजनीतिक सफ़र की शुरुआत कर दी थी। बाद में वे 23 साल की उम्र में 'भारतीय जनता युवा मोर्चा' के अध्यक्ष बने। उन्‍होंने अपने मजबूत राजनीतिक जीवन की शुरुआत भाजपा के लिए ज़मीनी स्‍तर के कार्यकर्ता के रूप में की। नितिन गडकरी की हैसियत राष्ट्रीय स्तर पर बहुत जानी पहचानी नहीं रही है, लेकिव वे आरएसएस के चहेते माने जाते हैं, क्योंकि वे संघ के एक प्रतिबद्ध और निष्ठावान स्वयंसेवक हैं। गडकरी भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने से पहले महाराष्ट्र में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष थे। वे महाराष्ट्र विधान परिषद के सदस्य भी हैं। अपने ऊर्जावान व्यक्तित्व और सब को साथ लेकर चलने की ख़ूबी की वजह से वे हमेशा अपने वरिष्ठ लागों के प्रिय रहे। विवादों से भी उनका रिश्ता रहा है। लोक सभा के चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के ख़िलाफ़ कथित आपत्तिजनक बयान देने के लिए वे विवादों में घिरे और चुनाव आयोग ने उनके ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया।

मंत्री का पद

1995 में नितिन गडकरी महाराष्ट्र में शिव सेना और भारतीय जनता पार्टी की गठबंधन सरकार में लोक निर्माण मंत्री बनाए गए और चार साल तक मंत्री पद पर रहे। एक मंत्री के रुप में वे अपने अच्छे कामों और अपनी साफ़ छवि की वजह से सभी के चहेते रहे। 1989 में वे पहली बार विधान परिषद के लिए चुने गए थे, हालाँकि उससे पहले 1983 में वे चुनाव हार गए थे। वे पिछले 20 वर्षों से विधान परिषद के सदस्य हैं और आख़िरी बार 2008 में विधान परिषद के लिए चुने गए थे। वे महाराष्ट्र विधान परिषद में विपक्ष के नेता भी रहे हैं। उन्होंने अपनी पहचान ज़मीन से जुड़े एक कार्यकर्ता के तौर पर बनाई है। वे एक राजनेता के साथ-साथ एक कृषक और एक उद्योगपति भी हैं।

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष

लोक सभा चुनावों में लगातार दूसरी बार हार के बाद भाजपा में जो उथल पुथल थी, उससे उबरने के लिए आरएसएस ने पार्टी के शीर्ष पदाधिकारियों के बदलने की बात कही थी। जब संघ ने यह कहा कि नया अध्यक्ष दिल्ली से नहीं होगा, तो नेता की तलाश हुई, जिसमें नितिन गडकरी के साथ गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर पारिक्कर का भी नाम उभरकर सामने आया, किंतु लालकृष्ण आडवाणी के बारे में पारिक्कर के विवादास्पद बयान ने उनका पत्ता काट दिया और इस तरह उनका रास्ता अधिक आसान हो गया। आख़िर में लालकृष्ण आडवाणी की राय पर नितिन गडकरी के नाम पर आरएसएस ने अपनी मुहर लगा दी। शनिवार, 19 दिसंबर को भाजपा के संसदीय बोर्ड में उन्हें सर्वसम्मति से नया अध्यक्ष चुनने के लिए सहमति बन गई। पार्टी के संविधान के अनुरुप उनका कार्यकाल तीन साल का नियत हुआ।


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