Template:साप्ताहिक सम्पादकीय: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
No edit summary
Line 3: Line 3:
| style="background:transparent;"|
| style="background:transparent;"|
{| style="background:transparent; width:100%"
{| style="background:transparent; width:100%"
|+style="text-align:left; padding-left:10px; font-size:18px"|<font color="#003366">[[भारतकोश सम्पादकीय 30 जुलाई 2014|भारतकोश सम्पादकीय <small>-आदित्य चौधरी</small>]]</font>
|+style="text-align:left; padding-left:10px; font-size:18px"|<font color="#003366">[[भारतकोश सम्पादकीय 23 सितम्बर 2014|भारतकोश सम्पादकीय <small>-आदित्य चौधरी</small>]]</font>
|-
|-
{{मुखपृष्ठ-{{CURRENTHOUR}}}}
{{मुखपृष्ठ-{{CURRENTHOUR}}}}
Line 9: Line 9:
|- valign="top"
|- valign="top"
|  
|  
<center>[[भारतकोश सम्पादकीय 30 जुलाई 2014|टोंटा गॅन्ग का सी.ई.ओ.]]</center>
<center>[[भारतकोश सम्पादकीय 23 सितम्बर 2014|‘ब्रज’ एक अद्‌भुत संस्कृति]]</center>
[[चित्र:Hathkadi.jpg|right|120px|border|link=भारतकोश सम्पादकीय 30 जुलाई 2014]]
[[चित्र:Braj-Kolaz.jpg|right|120px|border|link=भारतकोश सम्पादकीय 23 सितम्बर 2014]]
<poem>
<poem>
          अरे भाई पुलिस को पहले से पता होना चाहिए कि तुम कब, कहाँ और किस टाइम पर वारदात करने वाले हो... ये क्या कि चाहे जब मुँह उठाकर चल दिए वारदात करने..." टनकिया ने अफ़सोस ज़ाहिर किया और थोड़ा रुककर फिर दार्शनिक अंदाज़ में बोला- "अगर क्रिमनल, पुलिस को बता कर क्राइम करे तो भई हम भी बीस तरह की फ़ॅसेलिटी दे सकते लेकिन क्या करें समझ में ही नहीं आता आजकल के नए लड़कों को... देख लेना सरकार को ही एकदिन ऐसा क़ानून बनाना पड़ेगा... हमें भी तो राइट ऑफ़ इनफ़ॉरमेशन का फ़ायदा मिलना चाहिए। [[भारतकोश सम्पादकीय 30 जुलाई  2014|...पूरा पढ़ें]]
            [[ब्रज]] का ज़िक्र आते ही जो सबसे पहली आवाज़ हमारी स्मृति में आती है, वह है घाटों से टकराती हुई [[यमुना]] की लहरों की आवाज़… [[कृष्ण]] के साथ-साथ खेलकर यमुना ने [[बुद्ध]] और [[महावीर]] के प्रवचनों को साक्षात उन्हीं के मुख से अपनी लहरों को थाम कर सुना… [[फ़ाह्यान]] की चीनी भाषा में कहे गये मो-तो-लो (मोरों का नृत्य स्थल ‘मथुरा’) को भी समझ लिया और [[प्लिनी]] के ‘जोमनेस’ उच्चारण को भी… यमुना की ये लहरें [[रसखान|रसख़ान]] और [[रहीम]] के दोहों पर झूमी हैं… [[सूरदास|सूर]] और [[मीरा]] के पदों पर नाची हैं… [[भारतकोश सम्पादकीय 23 सितम्बर 2014|पूरा पढ़ें]]
</poem>
</poem>
<center>
<center>
Line 18: Line 18:
|-
|-
| [[भारतकोश सम्पादकीय -आदित्य चौधरी|पिछले सभी लेख]] →
| [[भारतकोश सम्पादकीय -आदित्य चौधरी|पिछले सभी लेख]] →
| [[भारतकोश सम्पादकीय 30 जुलाई 2014|टोंटा गॅन्ग का सी.ई.ओ.]] ·
| [[भारतकोश सम्पादकीय 27 मई 2014|जनतंत्र की जाति]] ·
| [[भारतकोश सम्पादकीय 27 मई 2014|जनतंत्र की जाति]] ·
| [[भारतकोश सम्पादकीय 1 मार्च 2014|असंसदीय संसद]] ·
| [[भारतकोश सम्पादकीय 1 मार्च 2014|असंसदीय संसद]]  
| [[भारतकोश सम्पादकीय 28 जनवरी 2014|किसी देश का गणतंत्र दिवस]]  
|}</center>
|}</center>
|}  
|}  
|}<noinclude>[[Category:मुखपृष्ठ के साँचे]]</noinclude>
|}<noinclude>[[Category:मुखपृष्ठ के साँचे]]</noinclude>

Revision as of 09:15, 23 September 2014

भारतकोश सम्पादकीय -आदित्य चौधरी
‘ब्रज’ एक अद्‌भुत संस्कृति

right|120px|border|link=भारतकोश सम्पादकीय 23 सितम्बर 2014

            ब्रज का ज़िक्र आते ही जो सबसे पहली आवाज़ हमारी स्मृति में आती है, वह है घाटों से टकराती हुई यमुना की लहरों की आवाज़… कृष्ण के साथ-साथ खेलकर यमुना ने बुद्ध और महावीर के प्रवचनों को साक्षात उन्हीं के मुख से अपनी लहरों को थाम कर सुना… फ़ाह्यान की चीनी भाषा में कहे गये मो-तो-लो (मोरों का नृत्य स्थल ‘मथुरा’) को भी समझ लिया और प्लिनी के ‘जोमनेस’ उच्चारण को भी… यमुना की ये लहरें रसख़ान और रहीम के दोहों पर झूमी हैं… सूर और मीरा के पदों पर नाची हैं… पूरा पढ़ें

पिछले सभी लेख टोंटा गॅन्ग का सी.ई.ओ. · जनतंत्र की जाति · असंसदीय संसद