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         '''[[अहोई अष्टमी]]''' का व्रत [[कार्तिक]] [[कृष्ण पक्ष]] की [[अष्टमी]] के दिन किया जाता है। अहोई अष्टमी का व्रत महिलायें अपनी सन्तान की रक्षा और दीर्घ आयु के लिए रखती हैं। माताएँ अहोई अष्टमी के व्रत में दिन भर उपवास रखती हैं और सायंकाल तारे दिखाई देने के समय अहोई माता का का पूजन किया जाता है। तारों को करवा से अर्ध्य भी दिया जाता है। यह अहोई गेरु आदि के द्वारा दीवार पर बनाई जाती है अथवा किसी मोटे वस्त्र पर अहोई काढ़कर पूजा के समय उसे दीवार पर टांग दिया जाता है। इस दिन धोबी मारन लीला का भी मंचन होता है, जिसमें [[कृष्ण|श्रीकृष्ण]] द्वारा [[कंस]] के भेजे धोबी का वध करते प्रदर्शन किया जाता है। [[अहोई अष्टमी|... और पढ़ें]]
         '''[[अहोई अष्टमी]]''' का व्रत महिलायें अपनी सन्तान की रक्षा और दीर्घ आयु के लिए रखती हैं। अहोई अष्टमी का व्रत [[कार्तिक]] [[कृष्ण पक्ष]] की [[अष्टमी]] के दिन किया जाता है। माताएँ अहोई अष्टमी के [[व्रत]] में दिन भर उपवास रखती हैं और सायंकाल तारे दिखाई देने के समय अहोई माता का का पूजन किया जाता है। अहोई माता के चित्रांकन में ज़्यादातर आठ कोष्ठक की एक पुतली बनाई जाती है। यह अहोई गेरु आदि के द्वारा दीवार पर बनाई जाती है अथवा किसी मोटे वस्त्र पर अहोई काढ़कर पूजा के समय उसे दीवार पर टांग दिया जाता है। इस दिन धोबी मारन लीला का भी मंचन होता है, जिसमें [[कृष्ण|श्रीकृष्ण]] द्वारा [[कंस]] के भेजे धोबी का वध करते प्रदर्शन किया जाता है। [[अहोई अष्टमी|... और पढ़ें]]
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Revision as of 10:32, 13 October 2014

एक त्योहार

        अहोई अष्टमी का व्रत महिलायें अपनी सन्तान की रक्षा और दीर्घ आयु के लिए रखती हैं। अहोई अष्टमी का व्रत कार्तिक कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन किया जाता है। माताएँ अहोई अष्टमी के व्रत में दिन भर उपवास रखती हैं और सायंकाल तारे दिखाई देने के समय अहोई माता का का पूजन किया जाता है। अहोई माता के चित्रांकन में ज़्यादातर आठ कोष्ठक की एक पुतली बनाई जाती है। यह अहोई गेरु आदि के द्वारा दीवार पर बनाई जाती है अथवा किसी मोटे वस्त्र पर अहोई काढ़कर पूजा के समय उसे दीवार पर टांग दिया जाता है। इस दिन धोबी मारन लीला का भी मंचन होता है, जिसमें श्रीकृष्ण द्वारा कंस के भेजे धोबी का वध करते प्रदर्शन किया जाता है। ... और पढ़ें