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'''राजिम''' [[छत्तीसगढ़]] के [[रायपुर ज़िला|रायपुर ज़िले]] में [[महानदी]] के तट पर स्थित है। यह अपने शानदार मन्दिरों के लिए प्रसिद्ध है।  
'''राजिम''' [[छत्तीसगढ़]] के [[रायपुर ज़िला|रायपुर ज़िले]] में [[महानदी]] के तट पर स्थित है। यह अपने शानदार मन्दिरों के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ 'राजिम' या 'राजीवलोचन' [[राम|भगवान रामचंद्र]] का प्राचीन मंदिर है, जो शायद 8वीं या 9वीं शती का है। राजिम के ऐतिहासिक [[माघ मास|माघ]] [[पूर्णिमा]] का मेला पूरे [[भारत]] में प्रसिद्ध है। इस पवित्र नगरी के ऐतिहासिक और पुरातात्विक महत्त्व के मंदिरों में प्राचीन भारतीय [[संस्कृति]] और शिल्पकला का अनोखा समन्वय नजर आता है।
*राजिम का प्रमुख मन्दिर 'राजीवलोचन' है जो भगवान [[विष्णु]] को समर्पित है और इसका निर्माण आठवीं [[शताब्दी]] में हुआ था। इस मन्दिर में बारह स्तम्भ हैं। इन स्तम्भों पर अष्ट भुजा वाली [[दुर्गा]], [[गंगा]]-[[यमुना]] और विष्णु के विभिन्न अवतारों जैसे- [[राम]], [[वराह अवतार|वराह]] और [[नरसिंह अवतार|नरसिंह]] आदि के चित्र बने हुए हैं।  
 
*राजिम का प्रमुख मन्दिर 'राजीवलोचन' है, जो भगवान विष्णु को समर्पित है और इसका निर्माण आठवीं [[शताब्दी]] में हुआ था। इस मन्दिर में बारह स्तम्भ हैं। इन स्तम्भों पर अष्ट भुजा वाली [[दुर्गा]], [[गंगा]]-[[यमुना]] और विष्णु के विभिन्न अवतारों, जैसे- [[राम]], [[वराह अवतार|वराह]] और [[नरसिंह अवतार|नरसिंह]] आदि के चित्र बने हुए हैं।  
*'राजीवलोचन मन्दिर' के पास 'बोधि वृक्ष' के नीचे तपस्या करते [[बुद्ध]] की प्रतिमा भी है।   
*'राजीवलोचन मन्दिर' के पास 'बोधि वृक्ष' के नीचे तपस्या करते [[बुद्ध]] की प्रतिमा भी है।   
*राजिम में 'कुलेश्वर महादेव मन्दिर' भी प्रमुख है जो की नौवीं शताब्दी में स्थापित हुआ था। यह मंदिर महानदी के बीच में द्वीप पर बना हुआ है। इसका निर्माण बड़ी सादगी से किया गया है। मन्दिर के पास सोमा, नाला और [[कलचुरी वंश]] के स्तम्भ भी पाए गए हैं।
*राजिम में 'कुलेश्वर महादेव मन्दिर' भी प्रमुख है जो की नौवीं शताब्दी में स्थापित हुआ था। यह मंदिर महानदी के बीच में द्वीप पर बना हुआ है। इसका निर्माण बड़ी सादगी से किया गया है। मन्दिर के पास सोमा, नाला और [[कलचुरी वंश]] के स्तम्भ भी पाए गए हैं।
*राजिम के ऐतिहासिक [[माघ मास|माघ]] [[पूर्णिमा]] का मेला पूरे [[भारत]] में प्रसिद्ध है। इस पवित्र नगरी के ऐतिहासिक और पुरातात्विक महत्व के मंदिरों में प्राचीन भारतीय [[संस्कृति]] और शिल्पकला का अनोखा समन्वय नजर आता है।  
*राजिम के ऐतिहासिक [[माघ मास|माघ]] [[पूर्णिमा]] का मेला पूरे [[भारत]] में प्रसिद्ध है। इस पवित्र नगरी के ऐतिहासिक और पुरातात्विक महत्व के मंदिरों में प्राचीन भारतीय [[संस्कृति]] और शिल्पकला का अनोखा समन्वय नजर आता है।  
*14वीं शताब्दी में बना 'भगवान रामचंद्र का मंदिर', 'जगन्नाथ मंदिर', 'भक्तमाता राजिम मंदिर' और 'सोमेश्वर महादेव' मंदिर श्रद्धालुओं के लिए आस्था और विश्वास का केन्द्र है।  
*14वीं शताब्दी में बना 'भगवान रामचंद्र का मंदिर', 'जगन्नाथ मंदिर', 'भक्तमाता राजिम मंदिर' और 'सोमेश्वर महादेव' मंदिर श्रद्धालुओं के लिए आस्था और विश्वास का केन्द्र है।
 
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Revision as of 08:13, 10 January 2015

[[चित्र:Rajiv-Lochan-Mandir.jpg|thumb|250px|राजीवलोचन मन्दिर, छत्तीसगढ़]] राजिम छत्तीसगढ़ के रायपुर ज़िले में महानदी के तट पर स्थित है। यह अपने शानदार मन्दिरों के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ 'राजिम' या 'राजीवलोचन' भगवान रामचंद्र का प्राचीन मंदिर है, जो शायद 8वीं या 9वीं शती का है। राजिम के ऐतिहासिक माघ पूर्णिमा का मेला पूरे भारत में प्रसिद्ध है। इस पवित्र नगरी के ऐतिहासिक और पुरातात्विक महत्त्व के मंदिरों में प्राचीन भारतीय संस्कृति और शिल्पकला का अनोखा समन्वय नजर आता है।

  • राजिम का प्रमुख मन्दिर 'राजीवलोचन' है, जो भगवान विष्णु को समर्पित है और इसका निर्माण आठवीं शताब्दी में हुआ था। इस मन्दिर में बारह स्तम्भ हैं। इन स्तम्भों पर अष्ट भुजा वाली दुर्गा, गंगा-यमुना और विष्णु के विभिन्न अवतारों, जैसे- राम, वराह और नरसिंह आदि के चित्र बने हुए हैं।
  • 'राजीवलोचन मन्दिर' के पास 'बोधि वृक्ष' के नीचे तपस्या करते बुद्ध की प्रतिमा भी है।
  • राजिम में 'कुलेश्वर महादेव मन्दिर' भी प्रमुख है जो की नौवीं शताब्दी में स्थापित हुआ था। यह मंदिर महानदी के बीच में द्वीप पर बना हुआ है। इसका निर्माण बड़ी सादगी से किया गया है। मन्दिर के पास सोमा, नाला और कलचुरी वंश के स्तम्भ भी पाए गए हैं।
  • राजिम के ऐतिहासिक माघ पूर्णिमा का मेला पूरे भारत में प्रसिद्ध है। इस पवित्र नगरी के ऐतिहासिक और पुरातात्विक महत्व के मंदिरों में प्राचीन भारतीय संस्कृति और शिल्पकला का अनोखा समन्वय नजर आता है।
  • 14वीं शताब्दी में बना 'भगवान रामचंद्र का मंदिर', 'जगन्नाथ मंदिर', 'भक्तमाता राजिम मंदिर' और 'सोमेश्वर महादेव' मंदिर श्रद्धालुओं के लिए आस्था और विश्वास का केन्द्र है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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