इलाहाबाद उच्च न्यायालय: Difference between revisions

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Revision as of 11:28, 21 February 2015

इलाहाबाद उच्च न्यायालय
विवरण 'इलाहाबाद उच्च न्यायालय' उत्तर प्रदेश स्थित भारत के सबसे पुराने उच्च न्यायालयों में से एक है।
राज्य उत्तर प्रदेश
ज़िला इलाहाबाद
स्थापना आगरा में 1866, इलाहाबाद में 1869
अधिकृत भारतीय संविधान
मुख्य न्यायाधीश (वर्तमान) धनंजय वाई चंद्रचूड़
अन्य जानकारी उत्तराखण्ड राज्य के गठन के बाद इस न्यायालय के कार्यक्षेत्र में से उत्तराखण्ड के तेरह ज़िले निकाल कर 'उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय' से सम्बद्ध कर दिये गये।

इलाहाबाद उच्च न्यायालय (अंग्रेज़ी: Allahabad High Court) उत्तर प्रदेश राज्य का उच्च न्यायालय है। यह भारत में स्थापित सबसे पुराने उच्च न्यायालयों में से एक है। यह न्यायालय वर्ष 1869 ई. से कार्यरत है।

स्थापना

मूल रूप से 'इलाहाबाद उच्च न्यायालय' ब्रिटिश राज में भारतीय उच्च न्यायालय अधिनियम, 1861 के अन्तर्गत आगरा में 17 मार्च, 1866 ई. को स्थापित किया गया था। उत्तरी-पश्चिमी प्रान्तों के लिए स्थापित इस न्यायाधिकरण के पहले मुख्य न्यायाधीश सर वाल्टर मॉर्गन थे। सन 1869 में इसे आगरा से इलाहाबाद स्थानान्तरित कर दिया गया। बाद में इसका नाम 11 मार्च, 1919 को बदल कर 'इलाहाबाद उच्च न्यायालय' किया गया।

लखनऊ में प्रतिस्थापित

2 नवम्बर, 1925 को अवध न्यायिक आयुक्त ने अवध सिविल न्यायालय अधिनियम, 1925 की गवर्नर-जनरल से पूर्व स्वीकृति लेकर संयुक्त प्रान्त विधानमण्डल द्वारा अधिनियमित करवा कर इस न्यायालय को 'अवध चीफ़ कोर्ट' के नाम से लखनऊ में प्रतिस्थापित कर दिया। भारतीय इतिहास में प्रसिद्ध 'काकोरी काण्ड' के ऐतिहासिक मुकदमें का निर्णय 'अवध चीफ़ कोर्ट', लखनऊ में ही दिया गया था।

इलाहाबाद से संचालन

25 फ़रवरी, 1948 को उत्तर प्रदेश विधान सभा ने एक प्रस्ताव पारित कर राज्यपाल द्वारा गवर्नर-जनरल से यह अनुरोध किया गया कि 'अवध चीफ़ कोर्ट', लखनऊ और इलाहाबाद उच्च न्यायालय को मिलाकर एक कर दिया जाये। इसका नतीजा यह हुआ कि लखनऊ और इलाहाबाद के दोनों न्यायालयों को इलाहाबाद उच्च न्यायालय नाम से जाना जाने लगा तथा इसका सारा कामकाज इलाहाबाद से चलने लगा। इतना अवश्य हुआ कि उच्च न्यायालय की एक स्थाई बेंच लखनऊ में बनी रहने दी गयी, जिससे सरकारी काम में व्यवधान उत्पन्न न होने पाए। जब उत्तराखण्ड राज्य का गठन 2000 में हुआ, तब उच्च न्यायालय के कार्यक्षेत्र में से उत्तराखण्ड के तेरह ज़िले निकाल कर 'उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय' से सम्बद्ध कर दिये गये, जिसका मुख्यालय नैनीताल में है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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