नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय: Difference between revisions

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'''नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय''' (एमएनआरई) नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा से संबंधित सभी मामलों के लिए भारत सरकार का नोडल मंत्रालय है। इस मंत्रालय का व्‍यापक उद्देश्‍य [[भारत]] की [[ऊर्जा]] आवश्‍यकताओं की पूर्ति के लिए नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा का विकास तथा उसकी स्‍थापना करना है।
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'''नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय''' ([[अंग्रेज़ी]]:''Ministry of New and Renewable Energy'', संक्षिप्त रूप: एमएनआरई) नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा से संबंधित सभी मामलों के लिए [[भारत सरकार]] का नोडल मंत्रालय है। इस मंत्रालय का व्‍यापक उद्देश्‍य [[भारत]] की [[ऊर्जा]] आवश्‍यकताओं की पूर्ति के लिए नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा का विकास तथा उसकी स्‍थापना करना है।
==सृजन==
==सृजन==
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==संकल्पना==
नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा प्रौद्योगिकियों, प्रक्रमों, सामग्रियों, घटकों, उप प्रणालियों, उत्‍पादों और सेवाओं को अंतरराष्‍ट्रीय विशिष्टियों, मानकों और निष्‍पादन प्राचलों के समकक्ष बनाना ताकि देश इस क्षेत्र में निवल विदेशी मुद्रा अर्जक बन सके और इन स्‍वदेशी रूप से विकसित और / या निर्मित उत्‍पादों और सेवाओं को ऊर्जा सुरक्षा के राष्‍ट्रीय लक्ष्‍य को आगे बढ़ाने में उपयोग किया जा सके।
====मंत्रालय का महत्त्व====
====मंत्रालय का महत्त्व====
नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा की भूमिका को देश की ऊर्जा सुरक्षा के लिए बढ़ती चिंता के साथ हाल के दिनों में अत्‍यधिक महत्त्व दिया गया है। ऊर्जा आत्‍मनिर्भरता को सन [[1970]] के दौरान घटे दो तेल आघातों को ध्‍यान में रखते हुए देश में नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा के लिए प्रमुख प्रेरक के रूप में पहचाना गया। तेल की कीमतों में अचानक वृद्धि, इसकी आपूर्ति से जुड़ी अनिश्चितता और भुगतानों के संतुलन पर प्रतिकूल प्रभाव से [[मार्च]], [[1981]] में विज्ञान और प्रौद्योगिक विभाग के अंदर अतिरिक्‍त ऊर्जा स्रोत आयोग की स्‍थापना की गई थी। इस आयोग को नीति निर्धारण और उनके कार्यान्‍वयन, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा के विकास हेतु कार्यक्रम बनाने के दायित्‍व के साथ क्षेत्र में इनके अनुसंधान और विकास के समन्‍वय तथा सघन बनाने का दायित्‍व भी सौंपा गया था। 1982 में तत्‍कालीन ऊर्जा मंत्रालय में एक नए विभाग अर्थात अपारंपरिक ऊर्जा स्रोत विभाग (डीएनईएस), जिसमें केस को निहित किया गया था, का सृजन किया गया। वर्ष [[1992]] में डीएनईएस को अपारंपरिक ऊर्जा स्रोत मंत्रालय बनाया गया। [[अक्टूबर]], 2006 में इसे 'नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय' का नया नाम दे दिया गया।<ref>{{cite web |url=http://mnre.gov.in/hindi/history.htm |title=नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय |accessmonthday=14 दिसम्बर|accessyear=2012|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=[[हिन्दी]]}}</ref>
नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा की भूमिका को देश की ऊर्जा सुरक्षा के लिए बढ़ती चिंता के साथ हाल के दिनों में अत्‍यधिक महत्त्व दिया गया है। ऊर्जा आत्‍मनिर्भरता को सन [[1970]] के दौरान घटे दो तेल आघातों को ध्‍यान में रखते हुए देश में नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा के लिए प्रमुख प्रेरक के रूप में पहचाना गया। तेल की कीमतों में अचानक वृद्धि, इसकी आपूर्ति से जुड़ी अनिश्चितता और भुगतानों के संतुलन पर प्रतिकूल प्रभाव से [[मार्च]], [[1981]] में विज्ञान और प्रौद्योगिक विभाग के अंदर अतिरिक्‍त ऊर्जा स्रोत आयोग की स्‍थापना की गई थी। इस आयोग को नीति निर्धारण और उनके कार्यान्‍वयन, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा के विकास हेतु कार्यक्रम बनाने के दायित्‍व के साथ क्षेत्र में इनके अनुसंधान और विकास के समन्‍वय तथा सघन बनाने का दायित्‍व भी सौंपा गया था। 1982 में तत्‍कालीन ऊर्जा मंत्रालय में एक नए विभाग अर्थात अपारंपरिक ऊर्जा स्रोत विभाग (डीएनईएस), जिसमें केस को निहित किया गया था, का सृजन किया गया। वर्ष [[1992]] में डीएनईएस को अपारंपरिक ऊर्जा स्रोत मंत्रालय बनाया गया। [[अक्टूबर]], 2006 में इसे 'नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय' का नया नाम दे दिया गया।<ref>{{cite web |url=http://mnre.gov.in/hindi/history.htm |title=नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय |accessmonthday=14 दिसम्बर|accessyear=2012|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=[[हिन्दी]]}}</ref>
==मिशन==
मंत्रालय का अभियान निम्‍नलिखित को सुनिश्चित करना है
# '''ऊर्जा सुरक्षा-''' वैकल्पिक ईंधनों (हाइड्रोजन, जैव ईंधन और संश्‍लेषित ईंधन) के विकास ओर इस्‍तेमाल द्वारा तेल आयातों पर निर्भरता में कमी लाना तथा घरेलू तेल आपूर्ति और मांग के बीच अंतराल को पाटने की दिशा में योगदान हेतु इनके अनुप्रयोग।
# '''स्‍वच्‍छ विद्युत में हिस्‍सेदारी बढ़ाना-''' अक्षय (जैव, पवन, हाइड्रो, सौर, भूतापीय और ज्‍वारीय) विद्युत से जीवाश्‍म ईंधन आधारित विद्युत उत्‍पादन में पूरकता प्रदान करना।
# '''ऊर्जा उपलब्‍धता और अभिगम्‍यता-''' ग्रामीण, शहरी, औद्योगिक तथा वाणिज्यिक क्षेत्रों में भोजन पकाने, गर्म करने, मोटिव विद्युत और कैप्टिव उत्‍पादन की ऊर्जा आवश्‍यकताओं को पूरा करना।
# '''ऊर्जा वहनीयता-''' लागत प्रतिस्‍पर्द्धी, सुविधाजनक, सुरक्षित और भरोसेमंद नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा आपूर्ति विकल्‍प।
# '''ऊर्जा साम्‍यता-''' एक स्‍थायी और विविध ईंधन, सम्मिश्रण के माध्‍यम से वर्ष 2050 तक वैश्विक औसत स्‍तर के समकक्ष प्रति व्‍यक्ति ऊर्जा खपत।
==मंत्रालय के कार्य==
ग्रामीण, शहरी, औद्योगिक और वाणिज्‍य क्षेत्रों में परिवहन, पोर्टेबल और स्‍टेशनरी अनुप्रयोगों के लिए नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा प्रणालियों / युक्तियों के अनुसंधान, डिजाइन, विकास, निर्माण और उपयोग की सुविधा प्रदान करना।
#  प्रौद्योगिकी मानचित्र और बेंचमार्किंग;
#  अनुसंधान, डिजाइन, विकास और निर्माण प्रबलन क्षेत्रों को अभिज्ञा करना और इसकी सुविधा प्रदान करना;
#  अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तरों के समकक्ष मानकों, विशिष्टियों और निष्‍पादन प्राचलों को तैयार करना तथा उद्योग को उन्‍हें प्राप्‍त करने की सुविधा प्रदान करना;
#  नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा उत्‍पादों तथा सेवाओं को अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर की लागतों के बराबर लाना तथा उद्योग को उन्‍हें प्राप्‍त करने की सुविधा प्रदान करना;
# उपयुक्‍त अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर के गुणवत्ता आश्‍वासन प्रत्‍यायन और उद्योग को उन्‍हें प्राप्‍त करने की सुविधा प्रदान करना;
# नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा उत्‍पादों और सेवाओं के निष्‍पादन प्राचलों पर विनिर्माताओं को निरंतर उन्‍नयन लागू करने के लक्ष्‍य सहित निरंतर फीडबैक प्रदान करना, ताकि वे लघुतम समय अवधि के अंदर अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर प्राप्‍त कर सकें;
#  उपरोक्‍त (2) से (5) तक तथा संबंधित उपायों के माध्‍यम से अंतरराष्‍ट्रीय प्रतिस्‍पर्द्धी और निवल विदेशी मुद्रा अर्जक बनने में उद्योग को सहायता देना;
#  संसाधन सर्वेक्षण, आकलन, मानचित्र तथा प्रसार
# उन क्षेत्रों को अभिज्ञात करना जिसमें नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा उत्‍पाद और सेवाओं को राष्‍ट्रीय ऊर्जा सुरक्षा और ऊर्जा स्‍वतंत्रता का लक्ष्‍य पूरा करने के लिए इस्‍तेमाल करने की जरूरत है;
# स्‍वदेशी रूप से विकसित और निर्मित विभिन्‍न नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा उत्‍पादों तथा सेवाओं के लिए उपयोग की कार्यनीति;
# लागत प्रतिस्‍पर्द्धी नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा आपूर्ति विकल्‍पों का प्रावधान।
==कार्य का आबंटन==
नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) के एक वैज्ञानिक मंत्रालय जिसे व्‍यापार नियमों के आबंटन के तहत निम्‍नलिखित विषय / कार्य सौंपे गए हैं-
* बायोगैस इकाई से संबंधित बायोगैस और कार्यक्रमों के अनुसंधान और विकास,
* अतिरिक्‍त ऊर्जा स्रोत आयोग (केस),
* सौर ऊर्जा सहित सौर प्रकाशवोल्‍टीय युक्तियां और उनका विकास, उत्‍पादन तथा अनुप्रयोग,
* उन्‍नत चूल्‍हों से संबंधित कार्यक्रम और इनका अनुसंधान तथा विकास,
* भारतीय अक्षय ऊर्जा विकास एजेंसी (इरेडा),
* छोटे / लघु / सूक्ष्‍म तथा 25 मेगावॉट से कम क्षमता वाली हाइडल परियोजनाओं से संबंधित सभी मामले,
* ऊर्जा के अन्‍य अपारंपरिक / नवीकरणीय स्रोतों का अनुसंधान और विकास और इससे संबंधित कार्यक्रम,
* ज्‍वारीय ऊर्जा
* एकीकृत ग्रामीण ऊर्जा कार्यक्रम (आईआरईपी);
* भूतापीय ऊर्जा,
* जैव ईंधन : (i) राष्‍ट्रीय नीति; (ii) परिवहन, स्‍टेशनरी और अन्‍य अनुप्रयोगों पर अनुसंधान, विकास तथा प्रदर्शन; (iii) एक राष्‍ट्रीय जैव ईंधन विकास बोर्ड का गठन और मौजूदा संस्‍थागत प्रक्रिया का सुदृढ़ीकरण, और (iv) समग्र समन्‍वय।
           


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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
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Revision as of 14:28, 18 March 2015

नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय
विवरण रक्षा मंत्रालय का प्रमुख कार्य है रक्षा और सुरक्षा संबंधी मामलों पर नीति निर्देश बनाना और उनके कार्यान्वयन के लिए उन्हें सुरक्षा बलों के मुख्यालयों, अंतर सेना संगठनों, रक्षा उत्पाद प्रतिष्ठानों और अनुसंधान व विकास संगठनों तक पहुंचाना।
न्याय सीमा भारत सरकार
मुख्यालय ब्लॉक-14, सीजीओ कॉम्पलेक्स, लोधी रोड, नई दिल्ली
वर्तमान नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री पीयूष गोयल
संबंधित लेख वित्त मंत्रालय, गृह मंत्रालय, विदेश मंत्रालय
बाहरी कड़ियाँ आधिकारिक वेबसाइट
अद्यतन‎

नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (अंग्रेज़ी:Ministry of New and Renewable Energy, संक्षिप्त रूप: एमएनआरई) नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा से संबंधित सभी मामलों के लिए भारत सरकार का नोडल मंत्रालय है। इस मंत्रालय का व्‍यापक उद्देश्‍य भारत की ऊर्जा आवश्‍यकताओं की पूर्ति के लिए नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा का विकास तथा उसकी स्‍थापना करना है।

सृजन

सन 1981 में अतिरिक्‍त ऊर्जा स्रोत आयोग (केस) की स्थापना की गई थी। वर्ष 1982 में अपारंपरिक ऊर्जा स्रोत विभाग (डीएनईएस) बनाया गया। इसके बाद 1992 में अपारंपरिक ऊर्जा स्रोत मंत्रालय (एमएनईएस) बनाया गया। वर्ष 2006 में अपारंपरिक ऊर्जा स्रोत मंत्रालय (एमएनईएस) का नाम बदलकर 'नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय' कर दिया गया।

संकल्पना

नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा प्रौद्योगिकियों, प्रक्रमों, सामग्रियों, घटकों, उप प्रणालियों, उत्‍पादों और सेवाओं को अंतरराष्‍ट्रीय विशिष्टियों, मानकों और निष्‍पादन प्राचलों के समकक्ष बनाना ताकि देश इस क्षेत्र में निवल विदेशी मुद्रा अर्जक बन सके और इन स्‍वदेशी रूप से विकसित और / या निर्मित उत्‍पादों और सेवाओं को ऊर्जा सुरक्षा के राष्‍ट्रीय लक्ष्‍य को आगे बढ़ाने में उपयोग किया जा सके।

मंत्रालय का महत्त्व

नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा की भूमिका को देश की ऊर्जा सुरक्षा के लिए बढ़ती चिंता के साथ हाल के दिनों में अत्‍यधिक महत्त्व दिया गया है। ऊर्जा आत्‍मनिर्भरता को सन 1970 के दौरान घटे दो तेल आघातों को ध्‍यान में रखते हुए देश में नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा के लिए प्रमुख प्रेरक के रूप में पहचाना गया। तेल की कीमतों में अचानक वृद्धि, इसकी आपूर्ति से जुड़ी अनिश्चितता और भुगतानों के संतुलन पर प्रतिकूल प्रभाव से मार्च, 1981 में विज्ञान और प्रौद्योगिक विभाग के अंदर अतिरिक्‍त ऊर्जा स्रोत आयोग की स्‍थापना की गई थी। इस आयोग को नीति निर्धारण और उनके कार्यान्‍वयन, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा के विकास हेतु कार्यक्रम बनाने के दायित्‍व के साथ क्षेत्र में इनके अनुसंधान और विकास के समन्‍वय तथा सघन बनाने का दायित्‍व भी सौंपा गया था। 1982 में तत्‍कालीन ऊर्जा मंत्रालय में एक नए विभाग अर्थात अपारंपरिक ऊर्जा स्रोत विभाग (डीएनईएस), जिसमें केस को निहित किया गया था, का सृजन किया गया। वर्ष 1992 में डीएनईएस को अपारंपरिक ऊर्जा स्रोत मंत्रालय बनाया गया। अक्टूबर, 2006 में इसे 'नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय' का नया नाम दे दिया गया।[1]

मिशन

मंत्रालय का अभियान निम्‍नलिखित को सुनिश्चित करना है

  1. ऊर्जा सुरक्षा- वैकल्पिक ईंधनों (हाइड्रोजन, जैव ईंधन और संश्‍लेषित ईंधन) के विकास ओर इस्‍तेमाल द्वारा तेल आयातों पर निर्भरता में कमी लाना तथा घरेलू तेल आपूर्ति और मांग के बीच अंतराल को पाटने की दिशा में योगदान हेतु इनके अनुप्रयोग।
  2. स्‍वच्‍छ विद्युत में हिस्‍सेदारी बढ़ाना- अक्षय (जैव, पवन, हाइड्रो, सौर, भूतापीय और ज्‍वारीय) विद्युत से जीवाश्‍म ईंधन आधारित विद्युत उत्‍पादन में पूरकता प्रदान करना।
  3. ऊर्जा उपलब्‍धता और अभिगम्‍यता- ग्रामीण, शहरी, औद्योगिक तथा वाणिज्यिक क्षेत्रों में भोजन पकाने, गर्म करने, मोटिव विद्युत और कैप्टिव उत्‍पादन की ऊर्जा आवश्‍यकताओं को पूरा करना।
  4. ऊर्जा वहनीयता- लागत प्रतिस्‍पर्द्धी, सुविधाजनक, सुरक्षित और भरोसेमंद नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा आपूर्ति विकल्‍प।
  5. ऊर्जा साम्‍यता- एक स्‍थायी और विविध ईंधन, सम्मिश्रण के माध्‍यम से वर्ष 2050 तक वैश्विक औसत स्‍तर के समकक्ष प्रति व्‍यक्ति ऊर्जा खपत।

मंत्रालय के कार्य

ग्रामीण, शहरी, औद्योगिक और वाणिज्‍य क्षेत्रों में परिवहन, पोर्टेबल और स्‍टेशनरी अनुप्रयोगों के लिए नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा प्रणालियों / युक्तियों के अनुसंधान, डिजाइन, विकास, निर्माण और उपयोग की सुविधा प्रदान करना।

  1. प्रौद्योगिकी मानचित्र और बेंचमार्किंग;
  2. अनुसंधान, डिजाइन, विकास और निर्माण प्रबलन क्षेत्रों को अभिज्ञा करना और इसकी सुविधा प्रदान करना;
  3. अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तरों के समकक्ष मानकों, विशिष्टियों और निष्‍पादन प्राचलों को तैयार करना तथा उद्योग को उन्‍हें प्राप्‍त करने की सुविधा प्रदान करना;
  4. नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा उत्‍पादों तथा सेवाओं को अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर की लागतों के बराबर लाना तथा उद्योग को उन्‍हें प्राप्‍त करने की सुविधा प्रदान करना;
  5. उपयुक्‍त अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर के गुणवत्ता आश्‍वासन प्रत्‍यायन और उद्योग को उन्‍हें प्राप्‍त करने की सुविधा प्रदान करना;
  6. नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा उत्‍पादों और सेवाओं के निष्‍पादन प्राचलों पर विनिर्माताओं को निरंतर उन्‍नयन लागू करने के लक्ष्‍य सहित निरंतर फीडबैक प्रदान करना, ताकि वे लघुतम समय अवधि के अंदर अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर प्राप्‍त कर सकें;
  7. उपरोक्‍त (2) से (5) तक तथा संबंधित उपायों के माध्‍यम से अंतरराष्‍ट्रीय प्रतिस्‍पर्द्धी और निवल विदेशी मुद्रा अर्जक बनने में उद्योग को सहायता देना;
  8. संसाधन सर्वेक्षण, आकलन, मानचित्र तथा प्रसार
  9. उन क्षेत्रों को अभिज्ञात करना जिसमें नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा उत्‍पाद और सेवाओं को राष्‍ट्रीय ऊर्जा सुरक्षा और ऊर्जा स्‍वतंत्रता का लक्ष्‍य पूरा करने के लिए इस्‍तेमाल करने की जरूरत है;
  10. स्‍वदेशी रूप से विकसित और निर्मित विभिन्‍न नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा उत्‍पादों तथा सेवाओं के लिए उपयोग की कार्यनीति;
  11. लागत प्रतिस्‍पर्द्धी नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा आपूर्ति विकल्‍पों का प्रावधान।

कार्य का आबंटन

नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) के एक वैज्ञानिक मंत्रालय जिसे व्‍यापार नियमों के आबंटन के तहत निम्‍नलिखित विषय / कार्य सौंपे गए हैं-

  • बायोगैस इकाई से संबंधित बायोगैस और कार्यक्रमों के अनुसंधान और विकास,
  • अतिरिक्‍त ऊर्जा स्रोत आयोग (केस),
  • सौर ऊर्जा सहित सौर प्रकाशवोल्‍टीय युक्तियां और उनका विकास, उत्‍पादन तथा अनुप्रयोग,
  • उन्‍नत चूल्‍हों से संबंधित कार्यक्रम और इनका अनुसंधान तथा विकास,
  • भारतीय अक्षय ऊर्जा विकास एजेंसी (इरेडा),
  • छोटे / लघु / सूक्ष्‍म तथा 25 मेगावॉट से कम क्षमता वाली हाइडल परियोजनाओं से संबंधित सभी मामले,
  • ऊर्जा के अन्‍य अपारंपरिक / नवीकरणीय स्रोतों का अनुसंधान और विकास और इससे संबंधित कार्यक्रम,
  • ज्‍वारीय ऊर्जा
  • एकीकृत ग्रामीण ऊर्जा कार्यक्रम (आईआरईपी);
  • भूतापीय ऊर्जा,
  • जैव ईंधन : (i) राष्‍ट्रीय नीति; (ii) परिवहन, स्‍टेशनरी और अन्‍य अनुप्रयोगों पर अनुसंधान, विकास तथा प्रदर्शन; (iii) एक राष्‍ट्रीय जैव ईंधन विकास बोर्ड का गठन और मौजूदा संस्‍थागत प्रक्रिया का सुदृढ़ीकरण, और (iv) समग्र समन्‍वय।



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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 14 दिसम्बर, 2012।

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख