गीतांजली: Difference between revisions

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Revision as of 13:20, 2 June 2015

गीतांजली
कवि रबीन्द्रनाथ ठाकुर
अनुवादक रणजीत साहा
प्रकाशक किताबघर प्रकाशन
प्रकाशन तिथि 2006
ISBN 81-7016-755-8
देश भारत
पृष्ठ: 196
भाषा बंगला (मूल भाषा)
विशेष इस रचना का मूल संस्करण बंगला भाषा में था, जिसमें अधिकांशत: भक्तिप्रधान गीत थे। 'गीतांजलि' पश्चिमी जगत में बहुत ही प्रसिद्ध हुई और इसके बहुत-से अनुवाद हुए।

गीतांजली (बंगला: गीतांजोलि) रबीन्द्रनाथ ठाकुर द्वारा रचित प्रसिद्ध कविताओं का संग्रह है। वर्ष 1913 में गीतांजली के लिए रबीन्द्रनाथ ठाकुर को 'नोबेल पुरस्कार' से सम्मानित किया गया था। इस रचना का मूल संस्करण बंगला भाषा में था, जिसमें अधिकांशत: भक्तिप्रधान गीत थे।

  • 'गीतांजली' शब्द 'गीत' और 'अंजली' को मिलाकर बना है, जिसका अर्थ है- "गीतों का उपहार" अथवा "भेंट"।
  • यह अंग्रेज़ी में लिखी 103 कविताएँ हैं। इनमें से ज़्यादातर अनुवादित हैं। यह अनुवाद इंग्लैंड के दौरे पर शुरू किये गये थे, जहाँ इन कविताओं को बहुत ही प्रशंसा से ग्रहण किया गया।
  • एक पतली किताब 1913 में प्रकाशित की गई थी, जिसमें डब्ल्यू. बी. यीट्स ने बहुत ही उत्साह से प्राक्कथन लिखा था और उसी साल में रबीन्द्रनाथ ठाकुर नें तीन पुस्तिकाओं के संग्रह लिखे, जिसे नोबल पुरस्कार मिला। रबीन्द्रनाथ ठाकुर पहले एसे व्यक्ति थे, जिन्हें यूरोपवासी न होते हुये भी नोबल पुरस्कार मिला था।
  • 'गीतांजलि' पश्चिमी जगत में बहुत ही प्रसिद्ध हुई और इसके बहुत-से अनुवाद हुए हैं। इस रचना का मूल संस्करण बंगला मे था, जिसमें अधिकांशत: भक्तिमय गाने थे।
  • रबीन्द्रनाथ ठाकुर सूफ़ी रहस्यवाद और वैष्णव काव्य से प्रभावित थे। फिर भी संवेदना चित्रण में वे इन कवियों को अनुकृति नहीं लगते। जैसे मनुष्य के प्रति प्रेम अनजाने ही परमात्मा के प्रति प्रेम में परिवर्तित हो जाता है। वे नहीं मानते कि भगवान किसी आदम बीज की तरह है।
  • मात्र यह कहना पर्याप्त नहीं है कि 'गीतांजलि' के स्वर में सिर्फ़ रहस्यवाद है। इसमें मध्ययुगीन कवियों का निपटारा भी है। धारदार तरीके से उनके मूल्यबोधों के विरुद्ध। हालांकि पूरी 'गीतांजलि' का स्वर यह नहीं है। उसमें समर्पण की भावना प्रमुख विषयवस्तु है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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