गीतांजलि: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
('{{सूचना बक्सा पुस्तक |चित्र=Rabindranath-Tagore-Gitanjali.jpg |चित्र का नाम...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
No edit summary |
||
Line 29: | Line 29: | ||
}} | }} | ||
'''गीतांजलि''' ([[बंगला भाषा|बंगला]]: ''गीतांजोलि'') [[रबीन्द्रनाथ ठाकुर]] द्वारा रचित प्रसिद्ध [[कविता|कविताओं]] का संग्रह है। [[वर्ष]] [[1913]] में गीतांजलि के लिए रबीन्द्रनाथ ठाकुर को '[[नोबेल पुरस्कार]]' से सम्मानित किया गया था। इस रचना का मूल संस्करण बंगला भाषा में था, जिसमें अधिकांशत: भक्तिप्रधान गीत थे। | '''गीतांजलि''' ([[बंगला भाषा|बंगला]]: ''गीतांजोलि'') [[रबीन्द्रनाथ ठाकुर]] द्वारा रचित प्रसिद्ध [[कविता|कविताओं]] का संग्रह है। [[वर्ष]] [[1913]] में 'गीतांजलि' के लिए रबीन्द्रनाथ ठाकुर को '[[नोबेल पुरस्कार]]' से सम्मानित किया गया था। इस रचना का मूल संस्करण बंगला भाषा में था, जिसमें अधिकांशत: भक्तिप्रधान गीत थे। | ||
*'गीतांजलि' शब्द 'गीत' और 'अंजली' को मिलाकर बना है, जिसका अर्थ है- "गीतों का उपहार" अथवा "भेंट"। | *'गीतांजलि' शब्द 'गीत' और 'अंजली' को मिलाकर बना है, जिसका अर्थ है- "गीतों का उपहार" अथवा "भेंट"। | ||
*यह [[अंग्रेज़ी]] में लिखी 103 कविताएँ हैं। इनमें से ज़्यादातर अनुवादित हैं। यह अनुवाद [[इंग्लैंड]] के दौरे पर शुरू किये गये थे, जहाँ इन कविताओं को बहुत ही प्रशंसा से ग्रहण किया गया। | *यह [[अंग्रेज़ी]] में लिखी 103 कविताएँ हैं। इनमें से ज़्यादातर अनुवादित हैं। यह अनुवाद [[इंग्लैंड]] के दौरे पर शुरू किये गये थे, जहाँ इन कविताओं को बहुत ही प्रशंसा से ग्रहण किया गया। | ||
*एक पतली किताब [[1913]] में प्रकाशित की गई थी, जिसमें डब्ल्यू. बी. यीट्स ने बहुत ही उत्साह से प्राक्कथन लिखा था और उसी | *एक पतली किताब [[1913]] में प्रकाशित की गई थी, जिसमें डब्ल्यू. बी. यीट्स ने बहुत ही उत्साह से प्राक्कथन लिखा था और उसी वर्ष [[रबीन्द्रनाथ ठाकुर]] ने तीन पुस्तिकाओं के संग्रह लिखे, जिसे '[[नोबल पुरस्कार]]' मिला। रबीन्द्रनाथ ठाकुर ऐसे पहले व्यक्ति थे, जिन्हें यूरोपवासी न होते हुये भी नोबल पुरस्कार मिला था। | ||
*'गीतांजलि' पश्चिमी जगत में बहुत ही प्रसिद्ध हुई और इसके बहुत-से अनुवाद | *'गीतांजलि' पश्चिमी जगत में बहुत ही प्रसिद्ध हुई और इसके बहुत-से अनुवाद हुए। इस रचना का मूल संस्करण [[बंगला भाषा|बंगला]] में था, जिसमें अधिकांशत: भक्तिमय गाने थे। | ||
*[[रबीन्द्रनाथ ठाकुर]] [[रहस्यवाद|सूफ़ी रहस्यवाद]] और वैष्णव काव्य से प्रभावित थे। फिर भी संवेदना चित्रण में वे | *[[रबीन्द्रनाथ ठाकुर]] [[रहस्यवाद|सूफ़ी रहस्यवाद]] और वैष्णव काव्य से प्रभावित थे। फिर भी संवेदना चित्रण में वे कवियों को अनुकृति नहीं लगते। जैसे मनुष्य के प्रति प्रेम अनजाने ही परमात्मा के प्रति प्रेम में परिवर्तित हो जाता है। वे नहीं मानते कि भगवान किसी आदम बीज की तरह है। | ||
*मात्र यह कहना पर्याप्त नहीं है कि 'गीतांजलि' के स्वर में सिर्फ़ रहस्यवाद है। इसमें मध्ययुगीन कवियों का निपटारा भी है। धारदार तरीके से उनके मूल्यबोधों के विरुद्ध। हालांकि पूरी 'गीतांजलि' का स्वर यह नहीं है। उसमें समर्पण की भावना प्रमुख विषयवस्तु है। | *मात्र यह कहना पर्याप्त नहीं है कि 'गीतांजलि' के स्वर में सिर्फ़ रहस्यवाद है। इसमें मध्ययुगीन कवियों का निपटारा भी है। धारदार तरीके से उनके मूल्यबोधों के विरुद्ध। हालांकि पूरी 'गीतांजलि' का स्वर यह नहीं है। उसमें समर्पण की भावना प्रमुख विषयवस्तु है। | ||
Revision as of 13:45, 2 June 2015
गीतांजलि
| |
कवि | रबीन्द्रनाथ ठाकुर |
अनुवादक | रणजीत साहा |
प्रकाशक | किताबघर प्रकाशन |
प्रकाशन तिथि | 2006 |
ISBN | 81-7016-755-8 |
देश | भारत |
पृष्ठ: | 196 |
भाषा | बंगला (मूल भाषा) |
विशेष | इस रचना का मूल संस्करण बंगला भाषा में था, जिसमें अधिकांशत: भक्तिप्रधान गीत थे। 'गीतांजलि' पश्चिमी जगत में बहुत ही प्रसिद्ध हुई और इसके बहुत-से अनुवाद हुए। |
गीतांजलि (बंगला: गीतांजोलि) रबीन्द्रनाथ ठाकुर द्वारा रचित प्रसिद्ध कविताओं का संग्रह है। वर्ष 1913 में 'गीतांजलि' के लिए रबीन्द्रनाथ ठाकुर को 'नोबेल पुरस्कार' से सम्मानित किया गया था। इस रचना का मूल संस्करण बंगला भाषा में था, जिसमें अधिकांशत: भक्तिप्रधान गीत थे।
- 'गीतांजलि' शब्द 'गीत' और 'अंजली' को मिलाकर बना है, जिसका अर्थ है- "गीतों का उपहार" अथवा "भेंट"।
- यह अंग्रेज़ी में लिखी 103 कविताएँ हैं। इनमें से ज़्यादातर अनुवादित हैं। यह अनुवाद इंग्लैंड के दौरे पर शुरू किये गये थे, जहाँ इन कविताओं को बहुत ही प्रशंसा से ग्रहण किया गया।
- एक पतली किताब 1913 में प्रकाशित की गई थी, जिसमें डब्ल्यू. बी. यीट्स ने बहुत ही उत्साह से प्राक्कथन लिखा था और उसी वर्ष रबीन्द्रनाथ ठाकुर ने तीन पुस्तिकाओं के संग्रह लिखे, जिसे 'नोबल पुरस्कार' मिला। रबीन्द्रनाथ ठाकुर ऐसे पहले व्यक्ति थे, जिन्हें यूरोपवासी न होते हुये भी नोबल पुरस्कार मिला था।
- 'गीतांजलि' पश्चिमी जगत में बहुत ही प्रसिद्ध हुई और इसके बहुत-से अनुवाद हुए। इस रचना का मूल संस्करण बंगला में था, जिसमें अधिकांशत: भक्तिमय गाने थे।
- रबीन्द्रनाथ ठाकुर सूफ़ी रहस्यवाद और वैष्णव काव्य से प्रभावित थे। फिर भी संवेदना चित्रण में वे कवियों को अनुकृति नहीं लगते। जैसे मनुष्य के प्रति प्रेम अनजाने ही परमात्मा के प्रति प्रेम में परिवर्तित हो जाता है। वे नहीं मानते कि भगवान किसी आदम बीज की तरह है।
- मात्र यह कहना पर्याप्त नहीं है कि 'गीतांजलि' के स्वर में सिर्फ़ रहस्यवाद है। इसमें मध्ययुगीन कवियों का निपटारा भी है। धारदार तरीके से उनके मूल्यबोधों के विरुद्ध। हालांकि पूरी 'गीतांजलि' का स्वर यह नहीं है। उसमें समर्पण की भावना प्रमुख विषयवस्तु है।
|
|
|
|
|