ख़ुदा बक़्श पुस्तकालय: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
(''''ख़ुदाबक़्श ओरिएण्टल पुस्तकालय''' (अंग्रेज़ी: ''Khuda Bakhs...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
No edit summary
Line 1: Line 1:
{{सूचना बक्सा संक्षिप्त परिचय
|चित्र=Khuda-Bakhsh-Oriental-Library.jpg
|चित्र का नाम=ख़ुदाबक़्श ओरिएण्टल पुस्तकालय
|विवरण='ख़ुदाबक़्श ओरिएण्टल पुस्तकालय' [[बिहार]] स्थित प्रमुख राष्ट्रीय पुस्तकालय है। यह [[भारत]] के सबसे प्राचीन पुस्तकालयों में से एक है।
|शीर्षक 1=राज्य
|पाठ 1=[[बिहार]]
|शीर्षक 2=ज़िला
|पाठ 2=[[पटना]]
|शीर्षक 3=शुरुआत
|पाठ 3=[[29 अक्टूबर]], [[1891]] ई.
|शीर्षक 4=संस्थापक
|पाठ 4=मौलवी ख़ुदा बक़्श ख़ान
|शीर्षक 5=
|पाठ 5=
|शीर्षक 6=
|पाठ 6=
|शीर्षक 7=
|पाठ 7=
|शीर्षक 8=
|पाठ 8=
|शीर्षक 9=
|पाठ 9=
|शीर्षक 10=
|पाठ 10=
|संबंधित लेख=
|अन्य जानकारी=लगभग 21,000 प्राच्य [[पांडुलिपि|पांडुलिपियों]] और 2.5 लाख मुद्रित पुस्‍तकों का अद्वितीय संग्रह इस पुस्तकालय में है।
|बाहरी कड़ियाँ=
|अद्यतन=
}}
'''ख़ुदाबक़्श ओरिएण्टल पुस्तकालय''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Khuda Bakhsh Oriental Library'') [[पटना]], [[बिहार]] में स्थित है। यह संस्कृति मंत्रालय, [[भारत सरकार]] के अधीन एक स्वायत्त निकाय है। यह [[भारत]] के सबसे प्राचीन पुस्तकालयों में से एक है।
'''ख़ुदाबक़्श ओरिएण्टल पुस्तकालय''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Khuda Bakhsh Oriental Library'') [[पटना]], [[बिहार]] में स्थित है। यह संस्कृति मंत्रालय, [[भारत सरकार]] के अधीन एक स्वायत्त निकाय है। यह [[भारत]] के सबसे प्राचीन पुस्तकालयों में से एक है।


*लगभग 21,000 प्राच्य [[पांडुलिपि|पांडुलिपियों]] और 2.5 लाख मुद्रित पुस्‍तकों का अद्वितीय संग्रह इस पुस्तकालय में है। यद्यपि इसकी स्‍थापना बहुत पहले की गई थी, किंतु इसे जनता के लिए सन [[1891]] में खोला गया।
*लगभग 21,000 प्राच्य [[पांडुलिपि|पांडुलिपियों]] और 2.5 लाख मुद्रित पुस्‍तकों का अद्वितीय संग्रह इस पुस्तकालय में है। यद्यपि इसकी स्‍थापना बहुत पहले की गई थी, किंतु इसे जनता के लिए [[29 अक्टूबर]] सन [[1891]] में खोला गया।
*मौलवी ख़ुदा बक़्श ख़ान द्वारा संपत्ति एवं पुस्तकों के निज़ी दान से शुरू हुआ यह पुस्तकालय देश की बौद्धिक संपदाओं में काफ़ी प्रमुख है।
*मौलवी ख़ुदा बक़्श ख़ान द्वारा संपत्ति एवं पुस्तकों के निज़ी दान से शुरू हुआ यह पुस्तकालय देश की बौद्धिक संपदाओं में काफ़ी प्रमुख है।
*[[भारत सरकार]] ने [[संसद]] में [[1969]] में पारित एक विधेयक द्वारा इस पुस्तकालय को राष्ट्रीय महत्त्व के संस्थान के रूप में प्रतिष्ठित किया था।
*[[भारत सरकार]] ने [[संसद]] में [[1969]] में पारित एक विधेयक द्वारा इस पुस्तकालय को राष्ट्रीय महत्त्व के संस्थान के रूप में प्रतिष्ठित किया था।

Revision as of 09:08, 19 June 2015

ख़ुदा बक़्श पुस्तकालय
विवरण 'ख़ुदाबक़्श ओरिएण्टल पुस्तकालय' बिहार स्थित प्रमुख राष्ट्रीय पुस्तकालय है। यह भारत के सबसे प्राचीन पुस्तकालयों में से एक है।
राज्य बिहार
ज़िला पटना
शुरुआत 29 अक्टूबर, 1891 ई.
संस्थापक मौलवी ख़ुदा बक़्श ख़ान
अन्य जानकारी लगभग 21,000 प्राच्य पांडुलिपियों और 2.5 लाख मुद्रित पुस्‍तकों का अद्वितीय संग्रह इस पुस्तकालय में है।

ख़ुदाबक़्श ओरिएण्टल पुस्तकालय (अंग्रेज़ी: Khuda Bakhsh Oriental Library) पटना, बिहार में स्थित है। यह संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार के अधीन एक स्वायत्त निकाय है। यह भारत के सबसे प्राचीन पुस्तकालयों में से एक है।

  • लगभग 21,000 प्राच्य पांडुलिपियों और 2.5 लाख मुद्रित पुस्‍तकों का अद्वितीय संग्रह इस पुस्तकालय में है। यद्यपि इसकी स्‍थापना बहुत पहले की गई थी, किंतु इसे जनता के लिए 29 अक्टूबर सन 1891 में खोला गया।
  • मौलवी ख़ुदा बक़्श ख़ान द्वारा संपत्ति एवं पुस्तकों के निज़ी दान से शुरू हुआ यह पुस्तकालय देश की बौद्धिक संपदाओं में काफ़ी प्रमुख है।
  • भारत सरकार ने संसद में 1969 में पारित एक विधेयक द्वारा इस पुस्तकालय को राष्ट्रीय महत्त्व के संस्थान के रूप में प्रतिष्ठित किया था।
  • यह स्वायत्तशासी पुस्तकालय जिसके अवैतनिक अध्यक्ष बिहार के राज्यपाल होते हैं, पूरी तरह भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के अनुदानों से संचालित है।
  • इस पुस्तकालय की शुरुआत मौलवी ख़ुदा बक़्श ख़ान जो छपरा के थे, उनके निजी पुस्तकों के संग्रह से हुई थी। वे स्वयं क़ानून और इतिहास के विद्वान थे और पुस्तकों से उन्हें लगाव था। उनके निजी पुस्तकालय में लगभग चौदह सौ पांडुलिपियाँ और कुछ दुर्लभ पुस्तकें शामिल थीं।
  • 1876 ई. में जब ख़ुदा बक़्श ख़ान अपनी मृत्यु-शैय्या पर थे उन्होंने अपनी पुस्तकों की ज़ायदाद अपने बेटे को सौंपते हुए एक पुस्तकालय खोलने की इच्छा प्रकट की। *सन 1888 ई. में लगभग अस्सी हज़ार रुपये की लागत से एक दोमंज़िले भवन में इस पुस्तकालय की शुरुआत हुई और 1891 में 29 अक्टूबर को इसे जनता की सेवा में समर्पित किया गया। उस समय पुस्तकालय के पास अरबी, फ़ारसी और अंग्रेज़ी की चार हज़ार दुर्लभ पांडुलिपियाँ मौज़ूद थीं।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख