उषा प्रियंवदा: Difference between revisions

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==प्रमुख कृतियाँ==
==प्रमुख कृतियाँ==
उषा जी के कथा साहित्य में शहरी परिवारों के बड़े ही अनुभूति प्रवण चित्र हैं, और आधुनिक जीवन की उदासी, अकेलेपन, ऊब आदि का अंकन करने में उन्होंने अत्यंत गहरे यथार्थबोध का परिचय दिया है। उनकी कुछ प्रमुख कृतियाँ इस प्रकार हैं-
उषा जी के कथा साहित्य में शहरी परिवारों के बड़े ही अनुभूति प्रवण चित्र हैं, और आधुनिक जीवन की उदासी, अकेलेपन, ऊब आदि का अंकन करने में उन्होंने अत्यंत गहरे यथार्थबोध का परिचय दिया है। उनकी कुछ प्रमुख कृतियाँ इस प्रकार हैं-
 
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* 'ज़िंदगी और गुलाब के फूल'
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* 'एक कोई दूसरा'
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* 'मेरी प्रिय कहानियां'
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* 'पचपन खंभे'
* 'पचपन खंभे'

Latest revision as of 09:30, 10 December 2015

उषा प्रियंवदा
पूरा नाम उषा प्रियंवदा
जन्म 24 दिसंबर, 1930
जन्म भूमि कानपुर, उत्तर प्रदेश
कर्म-क्षेत्र उपन्यासकार, कहानीकार
मुख्य रचनाएँ 'ज़िंदगी और गुलाब के फूल', 'एक कोई दूसरा', 'पचपन खंभे', 'लाल दीवारें' आदि
भाषा हिन्दी
विद्यालय इलाहाबाद विश्वविद्यालय
पुरस्कार-उपाधि पद्मभूषण डॉ. मोटूरि सत्यनारायण पुरस्कार
नागरिकता भारतीय
अन्य जानकारी उषा प्रियंवदा की गणना उन कथाकारों में होती है, जिन्होंने आधुनिक जीवन की ऊब, छटपटाहट, संत्रास और अकेलेपन की स्थिति को पहचाना और व्यक्त किया है।
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इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची

उषा प्रियंवदा (अंग्रेज़ी: Usha Priyamvada, जन्म- 24 दिसम्बर, 1930, कानपुर, उत्तर प्रदेश) हिंदी की उन कथाकारों में से एक हैं, जिनके उल्लेख के बिना हिंदी साहित्य का इतिहास पूरा नहीं होता। वे आज की एक सशक्त कहानी लेखिका हैं।

परिचय

उषा प्रियंवदा का जन्म 24 दिसंबर, 1930 को कानपुर, उत्तर प्रदेश में हुआ था। उन्होंने उच्च शिक्षा 'इलाहाबाद विश्वविद्यालय' से हासिल की। अंग्रेज़ी की अध्येता रहीं उषा जी की लेखनी से हिंदी साहित्य कोश हमेशा समृद्ध होता रहा। उषा प्रियंवदा की गणना उन कथाकारों में होती है, जिन्होंने आधुनिक जीवन की ऊब, छटपटाहट, संत्रास और अकेलेपन की स्थिति को पहचाना और व्यक्त किया है। यही कारण है कि उनकी रचनाओं में एक ओर आधुनिकता का प्रबल स्वर मिलता है तो दूसरी ओर उसमें विचित्र प्रसंगों तथा संवेदनाओं के साथ हर वर्ग का पाठक तादात्म्य का अनुभव करता है।

कार्यक्षेत्र

तीन साल दिल्ली के लेडी श्रीराम कॉलेज और 'इलाहाबाद विश्वविद्यालय' मे प्राध्यापन के बाद फुलब्राइट स्कालरशिप पर अमरीका प्रस्थान किया, जहाँ ब्लूमिंगटन, इंडियाना में दो वर्ष पोस्ट डाक्टरल अध्ययन किया। संप्रति विस्कांसिन विश्वविद्यालय, मैडीसन में दक्षिण एशियाई विभाग में प्रोफेसर के पद से अवकाश प्राप्त किया।[1]

प्रमुख कृतियाँ

उषा जी के कथा साहित्य में शहरी परिवारों के बड़े ही अनुभूति प्रवण चित्र हैं, और आधुनिक जीवन की उदासी, अकेलेपन, ऊब आदि का अंकन करने में उन्होंने अत्यंत गहरे यथार्थबोध का परिचय दिया है। उनकी कुछ प्रमुख कृतियाँ इस प्रकार हैं- [[चित्र:Usha-priyavanda-pratibha-patil.jpg|thumb|250px|left|राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल से पुरस्कार प्राप्त करतीं उषा प्रियंवदा]]

कहानी संग्रह
  • 'ज़िंदगी और गुलाब के फूल'
  • 'एक कोई दूसरा'
  • 'मेरी प्रिय कहानियां'


उपन्यास
  • 'पचपन खंभे'
  • 'लाल दीवारें'
  • 'रुकोगी नहीं राधिका'
  • 'शेष यात्रा'
  • 'अंतर्वंशी'

सम्मान और पुरस्कार


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. व्यक्तित्व- उषा प्रियवंदा (हिन्दी) अभिव्यक्ति। अभिगमन तिथि: 10 दिसम्बर, 2015।

बाहरी कड़ियाँ

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