Template:साप्ताहिक सम्पादकीय: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
No edit summary
Line 1: Line 1:
{| style="background:transparent; width:100%"
{| style="background:transparent; width:100%"
|+style="text-align:left; padding-left:10px; font-size:18px"|<font color="#003366">[[घूँघट से मरघट तक -आदित्य चौधरी|भारतकोश सम्पादकीय <small>-आदित्य चौधरी</small>]]</font>
|+style="text-align:left; padding-left:10px; font-size:18px"|<font color="#003366">[[सत्ता का रंग -आदित्य चौधरी|भारतकोश सम्पादकीय <small>-आदित्य चौधरी</small>]]</font>
|-
|-
{{मुखपृष्ठ-{{CURRENTHOUR}}}}
{{मुखपृष्ठ-{{CURRENTHOUR}}}}

Revision as of 06:56, 12 November 2016

भारतकोश सम्पादकीय -आदित्य चौधरी
सत्ता का रंग

border|right|140px|link=सत्ता का रंग -आदित्य चौधरी

     शेरशाह सूरी जब दिल्ली की गद्दी पर बैठा तो कहते हैं कि सबसे पहले वह शाही बाग़ के तालाब में अपना चेहरा देखकर यह परखने गया कि उसका माथा बादशाहों जैसा चौड़ा है या नहीं !
जब शेरशाह से पूछा गया "आपके बादशाह बनने पर क्या-क्या किया जाय ?"
तब शेरशाह ने कहा "वही किया जाय जो बादशाह बनने पर किया जाता है!"
एक साधारण से ज़मीदार परिवार में जन्मा ये 'फ़रीद' जब हुमायूँ को हराकर 'बादशाह शेरशाह सूरी' बना तो उसने सबसे पहले यही सोचा कि उसका आचरण बिल्कुल बादशाहों जैसा ही हो। शेरशाह ने सड़कें, सराय, प्याऊ आदि विकास कार्य तो किए, लेकिन हिंदुओं पर लगने वाले कर 'जज़िया' को नहीं हटाया, क्योंकि अफ़ग़ानी सहयोगियों को ख़ुश रखना ज़्यादा ज़रूरी था। पूरा पढ़ें

पिछले सभी लेख घूँघट से मरघट तक शहीद मुकुल द्विवेदी के नाम पत्र