जगदीप: Difference between revisions
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हिन्दी सिनेमा | हिन्दी सिनेमा जगत् के प्रसिद्ध हास्य कलाकार जगदीप का जन्म [[19 मार्च]], [[1939]] को [[मध्य प्रदेश]] के [[दतिया ज़िला|दतिया ज़िले]] में हुआ। उनका पूरा नाम सैय्यद इश्तियाक अहमद जाफ़री है। उनको दो बेटे जावेद और नावेद जाफ़री भी हास्य कलाकार हैं, जिन्होंने ‘बूगी-बूगी’ जैसे लोकप्रिय कार्यक्रम को होस्ट किया था। | ||
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250 से भी ज़्यादा फ़िल्मों में काम कर चुके जगदीप ‘शोले’, फिर वही रात, कुरबानी, शहनशाह, अंदाज अपना-अपना जैसी फ़िल्मों में काम कर चुके हैं। साल [[1957]] में आयोजित ‘बाल फ़िल्म समारोह’ के अंतिम दौर के लिए चुनी गयीं 3 फ़िल्में ‘मुन्ना’ ([[1954]]), ‘अब दिल्ली दूर नहीं’ और ‘हम पंछी एक डाल के’ (1957) में जगदीप ने अहम भूमिका निभाई। | 250 से भी ज़्यादा फ़िल्मों में काम कर चुके जगदीप ‘शोले’, फिर वही रात, कुरबानी, शहनशाह, अंदाज अपना-अपना जैसी फ़िल्मों में काम कर चुके हैं। साल [[1957]] में आयोजित ‘बाल फ़िल्म समारोह’ के अंतिम दौर के लिए चुनी गयीं 3 फ़िल्में ‘मुन्ना’ ([[1954]]), ‘अब दिल्ली दूर नहीं’ और ‘हम पंछी एक डाल के’ (1957) में जगदीप ने अहम भूमिका निभाई। |
Revision as of 13:57, 30 June 2017
जगदीप
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पूरा नाम | सैय्यद इश्तियाक अहमद जाफ़री |
प्रसिद्ध नाम | जगदीप |
जन्म | 19 मार्च, 1939 |
जन्म भूमि | दतिया, मध्य प्रदेश |
पति/पत्नी | नशीम बेगम |
संतान | पुत्र- जावेद जाफ़री, नावेद जाफ़री पुत्री- मुस्कान जाफ़री |
कर्म भूमि | महाराष्ट्र, भारत |
कर्म-क्षेत्र | अभिनेता |
मुख्य फ़िल्में | शोले, फिर वही रात, कुरबानी, शहनशाह, अंदाज अपना-अपना। |
प्रसिद्धि | हास्य अभिनेता |
नागरिकता | भारतीय |
अद्यतन | 18:45, 28 मई 2017 (IST)
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सैय्यद इश्तियाक अहमद जाफ़री (अंग्रेज़ी: Syed Ishtiaq Ahmed Jafri, जन्म- 19 मार्च, 1939, दतिया, मध्य प्रदेश) भारतीय सिनेमा के मशहूर हास्य अभिनेता हैं। उन्होंने अपने हास्य अभिनय से दर्शकों में काफी लोकप्रियता हासिल की। उन्होंने अपने कॅरियर की शुरुआत बाल कलाकार के रूप में फ़िल्म अफसाना से की थी। जगदीप 250 से अधिक फ़िल्मों काम कर चुके हैं। उन्हें लोग इनके वास्तविक नाम से न जानकर जगदीप नाम से जानते हैं।
परिचय
हिन्दी सिनेमा जगत् के प्रसिद्ध हास्य कलाकार जगदीप का जन्म 19 मार्च, 1939 को मध्य प्रदेश के दतिया ज़िले में हुआ। उनका पूरा नाम सैय्यद इश्तियाक अहमद जाफ़री है। उनको दो बेटे जावेद और नावेद जाफ़री भी हास्य कलाकार हैं, जिन्होंने ‘बूगी-बूगी’ जैसे लोकप्रिय कार्यक्रम को होस्ट किया था।
फ़िल्मी कॅरियर
अपने हाव भाव से दर्शकों को हंसाने वाले जगदीप ने उस दौर में काम किया, जब फ़िल्म उद्योग में महमूद, जॉनी वॉकर, घूमल, केश्टो मुखर्जी जैसे हास्य कलाकार मौज़ूद थे। जगदीप ने अपने फ़िल्मी कॅरियर की शुरुआत बाल कलाकार के रूप में बी. आर. चोपड़ा की फ़िल्म अफसाना से की। इसके बाद चाइल्ड आर्टिस्ट के रूप में ही उन्होंने 'लैला मजनूं' में काम किया। उसके बाद उन्हें के. ए. अब्बास, विमल राय ने भी मौके दिए। जगदीप ने हास्य भूमिका विमल राय की फ़िल्म 'दो बीघा जमीन' से करने शुरू किए थे इस फ़िल्म ने उन्हें एक नई पहचान दी। इसके बाद उन्होंने बहुत सी कामयाब फ़िल्मों में काम किया। अपने हास्य अभिनय से उन्होंने दर्शकों के दिल में अपने लिए जगह बना ली और फ़िल्म जगत् में सफलता हासिल की।
प्रमुख फ़िल्में
250 से भी ज़्यादा फ़िल्मों में काम कर चुके जगदीप ‘शोले’, फिर वही रात, कुरबानी, शहनशाह, अंदाज अपना-अपना जैसी फ़िल्मों में काम कर चुके हैं। साल 1957 में आयोजित ‘बाल फ़िल्म समारोह’ के अंतिम दौर के लिए चुनी गयीं 3 फ़िल्में ‘मुन्ना’ (1954), ‘अब दिल्ली दूर नहीं’ और ‘हम पंछी एक डाल के’ (1957) में जगदीप ने अहम भूमिका निभाई।
यादगार भूमिका
जगदीप ने कई फ़िल्मों में हास्य किरदार निभाए हैं। हालांकि, फ़िल्म 'शोले' में उनके किरदार 'सूरमा भोपाली' को दर्शकों ने इतना पसंद किया गया कि वे आज भी दर्शकों के बीच इसी नाम से लोकप्रिय हो गये। शोले का सूरमा भोपाली हमेशा से ही लोगों के जेहन में मौज़ूद रहने वाला चरित्र रहा है। आज भी अगर लोग उनको को याद करते हैं तो शोले में निभाया गया यह किरदार कभी नहीं भूलते। सूरमा भोपाली का किरदार इतना चर्चित हुआ कि इसी नाम से जगदीप ने एक फ़िल्म का निर्देशन भी कर दिया।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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