नारायण शास्त्री मराठे: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
m (Text replace - "अविभावक" to "अभिभावक")
m (Text replacement - "विद्वान " to "विद्वान् ")
Line 32: Line 32:
|अद्यतन=
|अद्यतन=
}}
}}
'''नारायण शास्त्री मराठे''' ([[अंग्रेज़ी]]:''Narayan Shastri Marathe'' , जन्म- [[8 दिसंबर]], [[1877]], [[महाराष्ट्र]]; मृत्यु- [[18 मार्च]], [[1956]]) एक प्रसिद्ध [[मराठी]] विद्वान थे। नारायण शास्त्री ने [[संस्कृत भाषा]] और धर्मशास्त्रों का अध्ययन करने के लिए गृह त्याग दिया।
'''नारायण शास्त्री मराठे''' ([[अंग्रेज़ी]]:''Narayan Shastri Marathe'' , जन्म- [[8 दिसंबर]], [[1877]], [[महाराष्ट्र]]; मृत्यु- [[18 मार्च]], [[1956]]) एक प्रसिद्ध [[मराठी]] विद्वान् थे। नारायण शास्त्री ने [[संस्कृत भाषा]] और धर्मशास्त्रों का अध्ययन करने के लिए गृह त्याग दिया।
==परिचय==
==परिचय==
प्रसिद्ध मराठी विद्वान नारायण शास्त्री मराठे का जन्म 8 दिसंबर, 1877 ई. को [[महाराष्ट्र]] के [[कोलाबा ज़िला|कोलाबा ज़िले]] में हुआ था। उनकी आरंभिक शिक्षा घर पर हुई। वे ग्यारह वर्ष के थे तभी उन्होंने संस्कृत भाषा और धर्मशास्त्रों का अध्यपन करने के लिए गृह त्याग दिया। वे कई विद्वानों के पास रहे, पर सर्वाधिक प्रभाव उन पर प्रज्ञानानंद स्वामी का पड़ा। उनके पास रहकर नारायण शास्त्री ने [[वेदांत]] का अध्ययन किया।  
प्रसिद्ध मराठी विद्वान् नारायण शास्त्री मराठे का जन्म 8 दिसंबर, 1877 ई. को [[महाराष्ट्र]] के [[कोलाबा ज़िला|कोलाबा ज़िले]] में हुआ था। उनकी आरंभिक शिक्षा घर पर हुई। वे ग्यारह वर्ष के थे तभी उन्होंने संस्कृत भाषा और धर्मशास्त्रों का अध्यपन करने के लिए गृह त्याग दिया। वे कई विद्वानों के पास रहे, पर सर्वाधिक प्रभाव उन पर प्रज्ञानानंद स्वामी का पड़ा। उनके पास रहकर नारायण शास्त्री ने [[वेदांत]] का अध्ययन किया।  
==कार्यक्षेत्र==
==कार्यक्षेत्र==
====विद्यालय की स्थापना====
====विद्यालय की स्थापना====

Revision as of 14:31, 6 July 2017

नारायण शास्त्री मराठे
पूरा नाम नारायण शास्त्री मराठे
जन्म 8 दिसंबर, 1877
जन्म भूमि कोलाबा ज़िला, महाराष्ट्र
मृत्यु 18 मार्च, 1956
भाषा संस्कृत
विशेष योगदान 'प्रज्ञा मठ' नामक विद्यालय की स्थापना
नागरिकता भारतीय
अन्य जानकारी सन्न्यास लेने के बाद भी भारतीय शास्त्रों के और हिन्दू दार्शनिक विचारधारा के प्रचार-प्रसार के लिए वे जीवन पर्यंत प्रयत्नशील रहे।
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची

नारायण शास्त्री मराठे (अंग्रेज़ी:Narayan Shastri Marathe , जन्म- 8 दिसंबर, 1877, महाराष्ट्र; मृत्यु- 18 मार्च, 1956) एक प्रसिद्ध मराठी विद्वान् थे। नारायण शास्त्री ने संस्कृत भाषा और धर्मशास्त्रों का अध्ययन करने के लिए गृह त्याग दिया।

परिचय

प्रसिद्ध मराठी विद्वान् नारायण शास्त्री मराठे का जन्म 8 दिसंबर, 1877 ई. को महाराष्ट्र के कोलाबा ज़िले में हुआ था। उनकी आरंभिक शिक्षा घर पर हुई। वे ग्यारह वर्ष के थे तभी उन्होंने संस्कृत भाषा और धर्मशास्त्रों का अध्यपन करने के लिए गृह त्याग दिया। वे कई विद्वानों के पास रहे, पर सर्वाधिक प्रभाव उन पर प्रज्ञानानंद स्वामी का पड़ा। उनके पास रहकर नारायण शास्त्री ने वेदांत का अध्ययन किया।

कार्यक्षेत्र

विद्यालय की स्थापना

नारायण शास्त्री ने अपने गुरु के नाम पर 1906 में 'प्रज्ञा मठ' नामक विद्यालय की स्थापना की। इसमें छात्रों को भारतीय दर्शन की शिक्षा देने की विशेष व्यवस्था थी। बाद में इस संस्था का नाम 'प्रज्ञा पाठशाला' हो गया। हिन्दू धर्म की विचारधारा का शोध कार्य करने के लिए उनके प्रयत्न से 'धर्म निर्णय मंडल' स्थापित किया गया। इसमें महामहोपाध्याय वामन काणे जैसे विद्वानों का भी सहयोग था। 1927 में उन्होंने प्रज्ञा पाठशाला के अंतर्गत 'धर्मकोश कार्यालय' का गठन किया। इस संस्था ने हिन्दुत्व के विविध अंगों से संबंधित सात खंडों का विशाल ग्रंथ प्रकाशित किया जो अपने क्षेत्र का विश्वकोश स्तरीय प्रकाशन माना जाता है।

सन्न्यास

नारायण शास्त्री मराठे ने इतना काम करने के बाद 1931 ई. में सन्न्यास ले लिया। अब वे केवलानंद सरस्वती के नाम से विख्यात हुए। सन्न्यास लेने के बाद भी भारतीय शास्त्रों के और हिन्दू दार्शनिक विचारधारा के प्रचार-प्रसार के लिए वे जीवन पर्यंत प्रयत्नशील रहे।

निधन

प्रसिद्ध मराठी नारायण शास्त्री 18 मार्च, 1956 को ब्रह्मलीन हो गए।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

भारतीय इतिहास कोश |लेखक: सच्चिदानन्द भट्टाचार्य |प्रकाशक: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान |पृष्ठ संख्या: 427 |


बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख