कुमारराज: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
m (Text replacement - "khoj.bharatdiscovery.org" to "bharatkhoj.org")
 
Line 7: Line 7:
*भास्करवर्मा और हर्षवर्धन की मित्रता हर्ष के जीवन पर्यंत तक बनी रही। किंतु हर्ष की मृत्यु के बाद उसने समुचे कर्णमुवर्ण (गौड़ देश) और उसके आस पास के प्रदेशों को अपने अधिकार मे कर लिया।  
*भास्करवर्मा और हर्षवर्धन की मित्रता हर्ष के जीवन पर्यंत तक बनी रही। किंतु हर्ष की मृत्यु के बाद उसने समुचे कर्णमुवर्ण (गौड़ देश) और उसके आस पास के प्रदेशों को अपने अधिकार मे कर लिया।  
*उधर हर्ष के बाद जब [[कान्यकुब्ज]] में राजनीतिक अव्यवस्था फैली, तब उसके मंत्री अर्जुन ने उस पर अधिकार जमा लिया। इस स्थिति का लाभ उठाकर चीन सम्राट ने वैंगह्वेन शे के नेतृत्व में [[भारत]] पर आक्रमण के लिए सेनाएँ भेजी।
*उधर हर्ष के बाद जब [[कान्यकुब्ज]] में राजनीतिक अव्यवस्था फैली, तब उसके मंत्री अर्जुन ने उस पर अधिकार जमा लिया। इस स्थिति का लाभ उठाकर चीन सम्राट ने वैंगह्वेन शे के नेतृत्व में [[भारत]] पर आक्रमण के लिए सेनाएँ भेजी।
*भास्करवर्मा ने [[चीन]] की मदद की। इससे भास्करवर्मा की महत्वकांक्षाएँ स्पष्ट प्रकट होती हैं; किंतु उसका अपना राज्य बहुत दिनों तक टिक नहीं सका। उसकी मृत्यु के थोडे ही दिनों बाद [[कामरूप]] म्लेच्छ कहे जाने वाले सालस्तंभ के अधिकार में चला गया।<ref>{{cite web |url=http://khoj.bharatdiscovery.org/india/%E0%A4%95%E0%A5%81%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%9C|title=कुमारराज|accessmonthday=17 मई|accessyear= 2014|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिन्दी}}</ref>
*भास्करवर्मा ने [[चीन]] की मदद की। इससे भास्करवर्मा की महत्वकांक्षाएँ स्पष्ट प्रकट होती हैं; किंतु उसका अपना राज्य बहुत दिनों तक टिक नहीं सका। उसकी मृत्यु के थोडे ही दिनों बाद [[कामरूप]] म्लेच्छ कहे जाने वाले सालस्तंभ के अधिकार में चला गया।<ref>{{cite web |url=http://bharatkhoj.org/india/%E0%A4%95%E0%A5%81%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%9C|title=कुमारराज|accessmonthday=17 मई|accessyear= 2014|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिन्दी}}</ref>





Latest revision as of 12:28, 25 October 2017

कुमारराज चीनी यात्री ह्वेन त्सांग के कथानुसार कामरूप का शासक 'भास्करवर्मा'। वह नारायणदेव का वंशज ब्राह्मणवंशी राजा था। उसने संभवत छठी शताब्दी के अंत अथवा सातवीं के प्रारंभ में गद्दी ग्रहण की थी।

  • कुमारराज कान्यकुब्ज के प्रसिद्ध सम्राट हर्षवर्धन के समकालीन था। उन दोनों की गौड़ देश के शासक शशांक से समान शत्रुता थी।
  • जब हर्षवर्धन ने अपना विजय प्रयाण प्रारंभ किया, तब भास्करवर्मा ने अपने दूत हंसवेग को भरपूर उपहारों के साथ भेजकर उसके साथ मित्र संधि कर ली।
  • हर्षवर्धन के आदेश पर कुमारराज ने चीनी यात्री ह्वेन त्सांग को अनिच्छा से उसके सम्मुख उपस्थित किया।
  • चीनी यात्री ह्वेन त्सांग के विवरणों से ज्ञात होता है कि कुमारराज कन्नौज की धर्म सभा और प्रयाग की छठी 'महामोक्षपरिषद' में संमिलित हुआ था।
  • भास्करवर्मा और हर्षवर्धन की मित्रता हर्ष के जीवन पर्यंत तक बनी रही। किंतु हर्ष की मृत्यु के बाद उसने समुचे कर्णमुवर्ण (गौड़ देश) और उसके आस पास के प्रदेशों को अपने अधिकार मे कर लिया।
  • उधर हर्ष के बाद जब कान्यकुब्ज में राजनीतिक अव्यवस्था फैली, तब उसके मंत्री अर्जुन ने उस पर अधिकार जमा लिया। इस स्थिति का लाभ उठाकर चीन सम्राट ने वैंगह्वेन शे के नेतृत्व में भारत पर आक्रमण के लिए सेनाएँ भेजी।
  • भास्करवर्मा ने चीन की मदद की। इससे भास्करवर्मा की महत्वकांक्षाएँ स्पष्ट प्रकट होती हैं; किंतु उसका अपना राज्य बहुत दिनों तक टिक नहीं सका। उसकी मृत्यु के थोडे ही दिनों बाद कामरूप म्लेच्छ कहे जाने वाले सालस्तंभ के अधिकार में चला गया।[1]


  1. REDIRECTसाँचा:मुख्य


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. कुमारराज (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 17 मई, 2014।

संबंधित लेख