जोशीया: Difference between revisions
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*609 ई. पू. में जब [[मिस्र]] के राजा नेको बाबुल के विरुद्ध असीरिया की सहायता करने के उद्देश्य से फिलिस्तीन पार कर रहा था, तब जोशीया ने अपनी सेना के साथ उसको एसट्रालोन के मैदान में रोकना चाहा। वह उस युद्ध में आहत होकर शीघ्र ही योरुसलेम में चल बसा। | *609 ई. पू. में जब [[मिस्र]] के राजा नेको बाबुल के विरुद्ध असीरिया की सहायता करने के उद्देश्य से फिलिस्तीन पार कर रहा था, तब जोशीया ने अपनी सेना के साथ उसको एसट्रालोन के मैदान में रोकना चाहा। वह उस युद्ध में आहत होकर शीघ्र ही योरुसलेम में चल बसा। | ||
*जोशीय की मृत्यु के बाद उसके द्वारा चलाए हुए सुधार आंदोलन की प्रगति रुक गई। जेरेनिया आदि कुछ लोगों ने इसे बनाए रखने का व्यर्थ प्रयास किया। जोशीया के सुधारांदोलन की असफलता [[यहूदी|यहूदी जाति]] के लिये महाविपत्ति सिद्ध हुई।<ref>{{cite web |url= http:// | *जोशीय की मृत्यु के बाद उसके द्वारा चलाए हुए सुधार आंदोलन की प्रगति रुक गई। जेरेनिया आदि कुछ लोगों ने इसे बनाए रखने का व्यर्थ प्रयास किया। जोशीया के सुधारांदोलन की असफलता [[यहूदी|यहूदी जाति]] के लिये महाविपत्ति सिद्ध हुई।<ref>{{cite web |url= http://bharatkhoj.org/india/%E0%A4%9C%E0%A5%8B%E0%A4%B6%E0%A5%80%E0%A4%AF%E0%A4%BE|title= जोशीया|accessmonthday= 15 फरवरी|accessyear= 2015|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= भारतखोज|language= हिन्दी}}</ref> | ||
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जोशीया या 'योशीया' यहूदिया अर्थात् दक्षिण फिलिस्तीन 16वाँ राजा (639-609 ई. पू.) था। पतनोन्मुख यहूदी धर्म का सुधार आंदोलन उसके द्वारा प्रारंभ हुआ था।
- जोशीया ने यहूदिया तथा इसराएल (उत्तरी फिलिस्तीन) में मूर्ति पूजा के सभी मंदिर नष्ट करवा दिए और मूर्ति पूजा पर प्रतिबंध लगाया।
- येरुसलम के मंदिर का पुनरुद्धार जोशीया ने करवाया तथा मूसा की संहिता को पूर्ण रूप से लागू कर दिया।
- 609 ई. पू. में जब मिस्र के राजा नेको बाबुल के विरुद्ध असीरिया की सहायता करने के उद्देश्य से फिलिस्तीन पार कर रहा था, तब जोशीया ने अपनी सेना के साथ उसको एसट्रालोन के मैदान में रोकना चाहा। वह उस युद्ध में आहत होकर शीघ्र ही योरुसलेम में चल बसा।
- जोशीय की मृत्यु के बाद उसके द्वारा चलाए हुए सुधार आंदोलन की प्रगति रुक गई। जेरेनिया आदि कुछ लोगों ने इसे बनाए रखने का व्यर्थ प्रयास किया। जोशीया के सुधारांदोलन की असफलता यहूदी जाति के लिये महाविपत्ति सिद्ध हुई।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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