प्रयोग:कविता सा.-1: Difference between revisions
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{[[भारतीय फ़िल्म एंड टेलीविजन संस्थान]] कहां स्थित है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-206,प्रश्न-161 | {[[भारतीय फ़िल्म एंड टेलीविजन संस्थान]] कहां स्थित है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-206,प्रश्न-161 | ||
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-[[मुंबई]] | -[[मुंबई]] | ||
||भारतीय फिल्म एंड टेलीविजन संस्थान (Film and Television Institute India-FTII) [[भारत]] के [[पुणे]] शहर में स्थित है। यह संस्थान [[भारत सरकार]] के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अंतर्गत एक स्वशासी संस्था है। इसकी स्थापना वर्ष [[1960]] में पुणे के [[प्रभात फ़िल्म कंपनी|प्रभात स्टूडियो]] परिसर में भारतीय फ़िल्म संस्थान (Film Institute of India-FII) के रूप में की गई। वर्ष [[1971]] में इसका पुनर्नामकरण 'भारतीय फिल्म एंड टेलीविजन संस्थान' कर दिया गया। | ||भारतीय फिल्म एंड टेलीविजन संस्थान (Film and Television Institute India-FTII) [[भारत]] के [[पुणे]] शहर में स्थित है। यह संस्थान [[भारत सरकार]] के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अंतर्गत एक स्वशासी संस्था है। इसकी स्थापना वर्ष [[1960]] में पुणे के [[प्रभात फ़िल्म कंपनी|प्रभात स्टूडियो]] परिसर में भारतीय फ़िल्म संस्थान (Film Institute of India-FII) के रूप में की गई। वर्ष [[1971]] में इसका पुनर्नामकरण 'भारतीय फिल्म एंड टेलीविजन संस्थान' कर दिया गया। | ||
{पी.आर.बी. का मतलब क्या है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-236,प्रश्न-370 | |||
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-पेंटिंग रिजर्व बैंक | |||
-प्री-रिनेसां ब्रदरहुड | |||
-पोस्ट-रिनेसां ब्रदरहुड | |||
+प्री-रैफेलाइट ब्रदरहुड | |||
||पी.आर.बी. का पूर्ण रूप प्री-रैफेलाइट ब्रदरहुड है। यह इंगलिश चित्रकरों, कवियों का एक समूह है, जो वर्ष 1848 में विलियम हॉलमैन हंट, जॉन इवेरेट मिलाइस तथा दांते ग्रैब्रिल रोसेटी ने स्थापना की थी। बाद में 4 सदस्यों विलियम माइकेल रोसेटी, जेम्स कोलिन्सन, फ्रेडरिक जॉर्ज स्टीफेन्स और थॉमस वूल्नर के जुड़ने के बाद 7 सदस्यों वाली 'ब्रदरहुड' हो गई। | |||
{[[भीमबेटका गुफ़ाएँ|भीमबेटका]] में कौन से चित्र हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-19,प्रश्न-7 | |||
|type="()"} | |||
+प्रागैतिहासिक | |||
-[[मुगल काल|मुगल]] | |||
-[[बौद्ध]] | |||
-[[जैन]] | |||
||विष्णु श्रीधर वाकड़कर ने भीमबेटका के प्रागैतिहासिक चित्रों का सर्वप्रथम वर्ष [[1958]] में पता लगाया। यहां 500 वर्गमील के क्षेत्र में 30 पर्वतश्रेणियां अवस्थित हैं जिनकी समुद्रतल से ऊंचाई 1345 फीट (420 मी.) से 2000 फीट (600 मी.) तक है। इन्हीं के ऊपर एक ट्रिगनोमैट्रिक स्टेशन स्थापित किया गया था, जहां गत शताब्दी में सर्वेक्षण किए गए थे। इन पर्वतश्रेणियों की शिलाएं बकुआ पत्थर की हैं। | |||
{[[बाघ की गुफाएं]] कहा स्थित हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-26,प्रश्न-27 | |||
|type="()"} | |||
-[[महाराष्ट्र]] | |||
+[[मध्य प्रदेश]] | |||
-[[उत्तर प्रदेश]] | |||
-[[गुजरात]] | |||
||बाघ गुफाओं को उपर्युक्त में से किस नाम से नहीं जाना जाता है किंतु गुफा संख्या 1 को गृह गुफा, गुफा संख्या 2 को पंच-पांडव गुफा तथा सबसे महत्त्वपूर्ण गुफा संख्या 4 को रंग महल के रूप में जाना जाता है। | |||
{सित्तनवासल के गुफा मंडप किस नदी के तट पर स्थित है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-42,प्रश्न-16 | |||
|type="()"} | |||
-[[ब्रह्मपुत्र]] | |||
-[[घाघरा]] | |||
-[[कावेरी]] | |||
+[[कृष्णा]] | |||
||सित्तनवासल का गुफा मंडप [[तमिलनाडु]] राज्य के [[तंजौर]] के निकट [[कृष्णा नदी]] तट पर सित्तनवासल नामक स्थान पर स्थित है। | |||
{के.जी सुब्रह्मण्यम की प्रसिद्ध पेंटिंग है- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-209,प्रश्न-182 | |||
|type="()"} | |||
-स्वतंत्रता | |||
+अनुष्ठान | |||
-यात्रा | |||
-सेंट एंडूज में विवाह | |||
||के.जी सुब्रह्मण्यम के कार्यों की एक शृंखला है जिसे 'सरस' कहते हैं। सरस वास्तव से बंगाल की लोक कला में व्याप्त कर्मकांडी/अनुष्ठानिक कला की एक शैली है। | |||
{[[नालंदा विश्वविद्यालय]] किस राज्य में स्थित है?- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-223,प्रश्न-282 | |||
|type="()"} | |||
-[[उत्तर प्रदेश]] में | |||
-[[बंगाल]] में | |||
+[[बिहार]] में | |||
-[[मध्य प्रदेश]] में | |||
||प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय [[बिहार]] राज्य के [[पटना]] से 64 किमी. दक्षिण अस्तित्व में आया। | |||
{[[अकबर]] के शासनकाल में विद्बानों के एक दल ने [[महाभारत]] का [[संस्कृत]] से फारसी में अनुवाद किया और उसे बाद में कलाकारों को चित्रण हेतु दिया गया। यह फारसी अनुवाद क्या कहलाता है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-65,प्रश्न-62 | |||
|type="()"} | |||
-तूतीनामा | |||
-खम्सा निजामी | |||
+रज्मनामा | |||
-अनवर-ए-सुहैली | |||
||'रज्मनामा' ग्रंथ, हिंदू ग्रंथ महाभारत का फारसी अनुवाद अकबर के शासनकाल में किया गया। मौलाना अब्दुल कादिर बदायूंनी ने 'महाभारत' का फारसी में अनुवाद किया और उसका नाम '[[रज्मनामा]]' रखा। इसे पूरा करने में लगभग एक वर्ष लगा और 1582 ई. में पूर्ण किया गया। इसकी सचित्र प्रति बादशाह के लिए 1588 ई. में तैयार की गई थी, जिसकी तीन बड़ी सचित्र जिल्दें हैं। | |||
{'बसौली' क्षेत्र आज किस राज्य के अंतर्गत है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-76,प्रश्न-2 | |||
|type="()"} | |||
-पंजाब | |||
+जम्मू-कश्मीर | |||
-हरियाणा | |||
-कुमाऊं गढ़वाला | |||
||बसौली शैली के चित्र पंजाब के विभिन्न संग्रहालयों में सुरक्षित हैं। | |||
{नंदलाल बोस की कला संबंधी पुस्तकें हैं- शिल्पकथा, रूपावली व शिल्पचर्चा। नंदलाल बोस ने 'चयनिका' काव्य संग्रह का चित्रांकन किया था। (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-82,प्रश्न-39 | |||
|type="()"} | |||
-असित कुमार हल्दर | |||
-[[नंदलाल बोस]] | |||
-[[अवनीन्द्रनाथ टैगोर|अबनीन्द्रनाथ टैगोर]] | |||
+[[शांतिनिकेतन]] | |||
||नंदलाल बोस वर्ष [[1922]] में शांतिनिकेतन में स्थापुत विश्वभारती के कला भवन में प्रधानाध्यापक नियुक्त किए गए। इससे पहले इसी कला भवन में उन्होंने शिक्षण कार्य किया था। | |||
{अजंता में कितने प्रकार की रेखा शैली का प्रयोग किया गया है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-162,प्रश्न-32 | |||
|type="()"} | |||
-2 | |||
+20 | |||
-22 | |||
-21 | |||
||रेखाओं द्वारा भाव प्रदर्शन अजंता गुफा की चित्रशैली की विशेषता है। अजंता की चित्रकला की अपनी शैली है जो चित्रकला की अन्य शैलियों से भिन्न है। [[अजंता]] के चित्रों में रेखांकन का प्राधान्य है जिसमें चित्रों की रूपरेखा भावमय एवं सप्राण है। अजंता में करीब 20 प्रकार की रेखा शैलियां प्रयुक्त हुई हैं। | |||
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Revision as of 12:24, 11 November 2017
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