अब्दुल बारी: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
m (Text replacement - "पृथक " to "पृथक् ")
m (Adding category Category:भारतीय चरित कोश (को हटा दिया गया हैं।))
 
Line 16: Line 16:
{{स्वतंत्रता सेनानी}}
{{स्वतंत्रता सेनानी}}
[[Category:स्वतन्त्रता सेनानी]][[Category:इतिहास कोश]][[Category:चरित कोश]][[Category:आधुनिक काल]]
[[Category:स्वतन्त्रता सेनानी]][[Category:इतिहास कोश]][[Category:चरित कोश]][[Category:आधुनिक काल]]
[[Category:भारतीय चरित कोश]]
__INDEX__
__INDEX__
__NOTOC__
__NOTOC__

Latest revision as of 12:30, 6 January 2020

अब्दुल बारी बिहार राज्य के प्रमुख राष्ट्रवादी और प्रसिद्ध श्रमिक नेता थे। ये 'स्वराज्य पार्टी' और 'इंडियन इंडिपैंडेंस लीग' के सक्रिय सदस्यों में से एक थे। अब्दुल बारी राष्ट्रीय शिक्षा की नीति को राष्ट्र के लिए हितकारी मानते थे। इनका प्रारम्भ से ही श्रमिक आन्दोलन के प्रति झुकाव रहा था। इन्होंने श्रमिकों को संगठित किया और उनकी मांगों को पूरा करने के लिए कई हड़तालें भी करवाईं। 28 मार्च, 1947 ई. को पटना जाते समय पुलिस की फ़ायरिंग में इनकी मृत्यु हुई।

शिक्षा व राजनीतिक जीवन

बिहार के प्रसिद्ध राष्ट्रवादी और श्रमिक नेता अब्दुल बारी का जन्म शाहाबाद ज़िले के कोइलवार नामक स्थान में हुआ था। उनके पिता क़ुरबान अली पुलिस इंस्पेक्टर थे। पटना विश्वविद्यालय से 1919 में उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद अब्दुल बारी 'असहयोग आन्दोलन' में सम्मिलित हो गये। 'ख़िलाफ़त आन्दोलन' में भी उन्होंने प्रमुख रूप से भाग लिया और अपने प्रदेश की ख़िलाफ़त कमेटी के संयुक्त सचिव बने। 1921 में उन्होंने कुछ दिन तक 'बिहार विद्यापीठ' में अध्यापन का कार्य भी किया। वे 'स्वराज्य पार्टी' और 'इंडियन इंडिपैंडेंस लीग' के सदस्य थे।

पदों की प्राप्ति

अब्दुल बारी स्वराज्य पार्टी की ओर से 'बिहार लेजिस्लेटिव कौंसिल' के सदस्य चुने गए थे। कांग्रेस के निश्चय पर 1930 में उन्होंने यह पद त्याग दिया। 'नमक सत्याग्रह' में भाग लेने के कारण उन्हें जेल की सज़ा भी हुई। 1934 में पटना में हुए 'अखिल भारतीय कांग्रेस समाजवादी सम्मेलन' की स्वागत समिति के अध्यक्ष वही थे। 1937 में वे 'बिहार प्रदेश असेम्बली' के सदस्य चुने गए और उसके उपाध्ययक्ष बने। 1946 में उन्हें 'बिहार प्रदेश कांग्रेस कमेटी' ने अपना अध्यक्ष बनाया।

श्रमिक नेता

श्रमिक आन्दोलन के प्रति अब्दुल बारी का झुकाव आरम्भ से ही था। उन्होंने विभिन्न विभिन्न उद्योगों के श्रमिकों को संगठित किया, आवश्यकता पड़ने पर हड़तालें कराईं और श्रमिकों की मांगें पूरी करवाईं। वे कृषि के आधुनिकीकरण के पक्षपाती थे। वे पृथक् निर्वाचन के घोर विरोधी थे। उनका कहना था कि मुस्लिमों को कांग्रेस के नेतृत्व में राष्ट्रीय आन्दोलन में भाग लेना चाहिए। उन्होंने पंडित मोतीलाल नेहरू के पत्र 'दि इंडिपैंडेंट' के सम्पादकीय विभाग में भी काम किया था। 'असहयोग आन्दोलन' में राष्ट्रीय शिक्षा की जो नीति आरम्भ की गई थी, वे उसे ही राष्ट्र के लिए हितकारी मानते थे।

निधन

28 मार्च, 1947 ई. को धनबाद से कार द्वारा पटना जाते समय भ्रमवश वे पुलिस फ़ायरिंग के शिकार हुए और उसी में उनका निधन हो गया।  

पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

भारतीय चरित कोश |लेखक: लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय' |प्रकाशक: शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली |पृष्ठ संख्या: 36 |


संबंधित लेख

  1. REDIRECTसाँचा:स्वतन्त्रता सेनानी