अगोरानोमी: Difference between revisions

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'''अगोरानोमी''' नामक मंडियों के अध्यक्षों के पद ग्रीक नगरों में 120 से भी अधिक विद्यमान थे। सामान्यतया इनका चुनाव पत्रक या गुटिका द्वारा हुआ करता था। एथेंस में इन अध्यक्षों की संख्या 10 थी जिनमें से मुख्य पाँच नगर के लिए और पाँच पिरेयस्‌ नामक एथेंस के बंदरगाह के लिए चुने जाते थे। इनका कर्तव्य हाट बाजार में व्यवस्था रखना, नाप तौल और पण्य वस्तुओं के गुणावगुण की देखभाल और हाट शुल्क संचय करना था। सामान्य नियमों का उल्लंघन करने वाले अर्थदंड के भागी होते थे तथा इस धन से हाट के भवनों का विस्तार एवं जीर्णोद्धार हुआ करता था। अधिक गंभीर अपराधों के मामलों को यह न्यायालयों में भेज दिया करते थे और इन अभियोगों की अध्यक्षता भी यही करते थे।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 1|लेखक= |अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक= नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी|संकलन= भारत डिस्कवरी पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=73 |url=}}</ref>  
'''अगोरानोमी''' नामक मंडियों के अध्यक्षों के पद ग्रीक नगरों में 120 से भी अधिक विद्यमान थे। सामान्यतया इनका चुनाव पत्रक या गुटिका द्वारा हुआ करता था। [[एथेंस]] में इन अध्यक्षों की संख्या 10 थी जिनमें से मुख्य पाँच नगर के लिए और पाँच पिरेयस्‌ नामक एथेंस के [[बंदरगाह]] के लिए चुने जाते थे।  
 
इनका कर्तव्य हाट बाजार में व्यवस्था रखना, नाप तौल और पण्य वस्तुओं के गुणावगुण की देखभाल और हाट शुल्क संचय करना था। सामान्य नियमों का उल्लंघन करने वाले अर्थदंड के भागी होते थे तथा इस धन से हाट के भवनों का विस्तार एवं जीर्णोद्धार हुआ करता था। अधिक गंभीर अपराधों के मामलों को यह न्यायालयों में भेज दिया करते थे और इन अभियोगों की अध्यक्षता भी यही करते थे।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 1|लेखक= |अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक= नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी|संकलन= भारत डिस्कवरी पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=73 |url=}}</ref>  





Revision as of 05:53, 9 January 2020

अगोरानोमी नामक मंडियों के अध्यक्षों के पद ग्रीक नगरों में 120 से भी अधिक विद्यमान थे। सामान्यतया इनका चुनाव पत्रक या गुटिका द्वारा हुआ करता था। एथेंस में इन अध्यक्षों की संख्या 10 थी जिनमें से मुख्य पाँच नगर के लिए और पाँच पिरेयस्‌ नामक एथेंस के बंदरगाह के लिए चुने जाते थे।

इनका कर्तव्य हाट बाजार में व्यवस्था रखना, नाप तौल और पण्य वस्तुओं के गुणावगुण की देखभाल और हाट शुल्क संचय करना था। सामान्य नियमों का उल्लंघन करने वाले अर्थदंड के भागी होते थे तथा इस धन से हाट के भवनों का विस्तार एवं जीर्णोद्धार हुआ करता था। अधिक गंभीर अपराधों के मामलों को यह न्यायालयों में भेज दिया करते थे और इन अभियोगों की अध्यक्षता भी यही करते थे।[1]



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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 1 |प्रकाशक: नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 73 |

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