रामवीर उपाध्याय: Difference between revisions

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==परिचय==
==परिचय==
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Revision as of 11:11, 3 September 2022

रामवीर उपाध्याय
पूरा नाम रामवीर उपाध्याय
जन्म 1 अगस्त, 1957
जन्म भूमि ग्राम बमोरी, ज़िला हाथरस, उत्तर प्रदेश
मृत्यु 2 सितम्बर, 2022
मृत्यु स्थान आगरा, उत्तर प्रदेश
अभिभावक पिता- रामचरण उपाध्याय
पति/पत्नी सीमा उपाध्याय
संतान दो पुत्री, एक पुत्र
नागरिकता भारतीय
प्रसिद्धि राजनीतिज्ञ
पार्टी बहुजन समाज पार्टी

भारतीय समाज पार्टी

विद्यालय मेरठ यूनिवर्सिटी
अन्य जानकारी रामवीर उपाध्याय बीएसपी की टिकट पर 1996, 2002 और 2007 में विधायक चुने गए थे। वह हर बार मायावती मंत्रिमंडल में मंत्री बने।

रामवीर उपाध्याय (अंग्रेज़ी: Ramveer Upadhyay, जन्म- 1 अगस्त, 1957; मृत्यु- 2 सितम्बर, 2022) उत्तर प्रदेश की राजनीति में ख़ास स्थान रखने वाले राजनीतिज्ञ थे। वह उत्तर प्रदेश की 16वीं विधानसभा सभा में विधायक रहे। साल 2012 के उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में उन्होंने प्रदेश की सिकन्‍दराराऊ विधानसभा से निर्वाचन क्षेत्र (निर्वाचन संख्या-80) से चुनाव जीता था। रामवीर उपाध्याय उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री रहीं मायावती की सरकार में कैबिनेट मंत्री थे। बाद में वह भाजपा में शामिल हो गए। लगभग 25 साल तक हाथरस की विभिन्न विधानसभा सीटों से विधायक रहने वाले रामवीर उपाध्याय की गिनती कद्दावर नेताओं में होती थी।

परिचय

रामवीर उपाध्याय का जन्म 1 अगस्त, 1957 को ग्राम बमोरी, ज़िला हाथरस, उत्तर प्रदेश में हुआ था। उनके पिता का नाम रामचरण उपाध्याय था। रामवीर उपाध्याय ने अपनी स्नातक की डिग्री मेरठ यूनिवर्सिटी से प्राप्त की थी। उनका विवाह 14 फरवरी, 1985 को हुआ। उनके दो बेटियां और एक बेटा है। लगभग 25 साल तक हाथरस की विभिन्न विधानसभा सीटों से विधायक रहने वाले रामवीर उपाध्याय की गिनती कद्दावर नेताओं में होती थी। उनकी पत्नी सीमा उपाध्याय जिला पंचायत हाथरस की अध्यक्ष हैं। रामवीर उपाध्याय के भाई रामेश्वर ब्लॉक प्रमुख हैं। उनके एक और भाई मुकुल उपाध्याय पूर्व विधायक हैं।

राजनीति

उत्तर प्रदेश के भूतपूर्व ऊर्जा मंत्री रहे रामवीर उपाध्याय बसपा की सरकार में चिकित्सा शिक्षा और परिवहन मंत्री भी रहे थे। उनका आगरा से गहरा जुड़ाव रहा। ब्राह्मण समाज में उनकी खासी पकड़ थी। वर्ष 2009 में उन्होंने पत्नी सीमा उपाध्याय को आगरा की फतेहपुर सीकरी लोकसभा सीट से चुनाव मैदान में उतारा था। वह राज बब्बर को हराकर चुनाव जीती थीं।

मूल रूप से सादाबाद निवासी रामवीर उपाध्याय ने बसपा सरकार के दौरान ही आगरा को अपनी कर्मभूमि बना लिया था। उन्होंने शास्त्रीपुरम में आवास बनवाया। बसपा के कद्दावर नेता रहे रामवीर उपाध्याय का पार्टी से वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान मोहभंग हो गया। उनकी पत्नी सीमा उपाध्याय और भाई मुकुल उपाध्याय पहले ही भाजपा का दामन थाम चुके थे। विधानसभा चुनाव से पहले उनके पुत्र चिराग भी आगरा में ही भाजपा में शामिल हो गए। विधानसभा चुनाव में भाजपा ने उन्हें सादाबाद से चुनाव मैदान में उतारा था, लेकिन वह जीत नहीं सके। आगरा समेत आसपास के जिलों में ब्राह्मण समाज के साथ ही सर्वसमाज में रामवीर उपाध्याय की गहरी पैठ थी। यही कारण था कि भाजपा ने उन्हें न केवल पार्टी में शामिल किया बल्कि विधानसभा चुनाव में भी उतारा।[1]

साल 1991 के चुनाव से पहले रामवीर उपाध्याय क्षेत्र में सक्रिय हुए। हाथरस सीट से बीजेपी का टिकट पाने की कोशिश की। टिकट नहीं मिलने पर निर्दलीय चुनाव लड़कर अपनी भारी भरकम उपस्थिति दर्ज कराई, लेकिन जीत नहीं मिली। 1996 में वह हाथरस से बीएसपी की टिकट पर चुनाव जीते। मायावती सरकार में कैबिनेट मंत्री बने। बीएसपी की टिकट पर 1996, 2002 और 2007 में वह विधायक चुने गए और हर बार मायावती मंत्रिमंडल में मंत्री बने। पूर्व ऊर्जा मंत्री और मायावती के निकट के कद्दावर नेताओं में रामवीर उपाध्याय की पहचान रही। 2012 का चुनाव वे हाथरस की सिकंदराराऊ सीट से जीते। 2017 में सादाबाद विधानसभा सीट से चुनाव जीतकर विधायक बने।[2]

मृत्यु

हाथरस की सियासत के पर्याय समझे जाने वाले रामवीर उपाध्याय आखिर मौत से हार गए। लंबे समय से कैंसर से जूझ रहे उपाध्याय को आगरा स्थित आवास से देर रात हालत बिगड़ने पर आगरा के रेनबो अस्पताल ले जाया गया। जहां चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. पूर्व मंत्री रामवीर उपाध्याय का निधन (हिंदी) amarujala.com। अभिगमन तिथि: 03 सितंबर, 2021।
  2. 25 साल बाद हाथी से उतरे पूर्व मंत्री रामवीर उपाध्याय अब खिलाएंगे कमल (हिंदी) livehindustan.com। अभिगमन तिथि: 03 सितंबर, 2021।

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