बुंदेलखंड मराठों का शासन: Difference between revisions
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अंग्रेज़ों का बुंदेलखंड में आगमन हानिकारक सिद्ध हुआ था। कलपी पर कर्नल वेलेज़ली ने सन्1778 में आक्रमण किया और उसमें मराठों को हराया था। कालांतर में नाना फड़नवीस की सलाह मे माधव नारायण को पेशवा बनाया गया तथा मराठों और अंग्रेज़ों में संधि हो गई। | अंग्रेज़ों का बुंदेलखंड में आगमन हानिकारक सिद्ध हुआ था। कलपी पर कर्नल वेलेज़ली ने सन्1778 में आक्रमण किया और उसमें मराठों को हराया था। कालांतर में नाना फड़नवीस की सलाह मे माधव नारायण को पेशवा बनाया गया तथा मराठों और अंग्रेज़ों में संधि हो गई। |
Revision as of 09:45, 20 September 2010
बुंदेलखंड के इतिहास में मराठों का शासन बुंदेलखंड पर छत्रसाल के समय से ही प्रारंभ हो गया था। उस समय मराठों को ओरछा का शासक भी चौथ देता था। उत्तर भारत में अंग्रेज़ी शासन दिल्ली के मुसलमान शासकों द्वारा अराजकता फैलाने के कारण फैलता जा रहा था। अहमदशाह अब्दाली के विरुद्ध युद्ध में सन् 1759 में गोविन्दराव पतं मारे गए थे।
अंग्रेज़ों का बुंदेलखंड में आगमन हानिकारक सिद्ध हुआ था। कलपी पर कर्नल वेलेज़ली ने सन्1778 में आक्रमण किया और उसमें मराठों को हराया था। कालांतर में नाना फड़नवीस की सलाह मे माधव नारायण को पेशवा बनाया गया तथा मराठों और अंग्रेज़ों में संधि हो गई।
अंग्रेज़ों नें बुंदेलखंड पर कब्ज़ा हिम्मत बहादुर की सहायता से किया था। सन्1818 ई. तक बुंदेलखंड के अधिकांश भाग अंग्रेज़ों के अधीन हो गए।