Template:सूक्ति और कहावत: Difference between revisions
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| class="headbg43" style="border:1px solid #b1bcc3;padding:10px;" valign="top" | <div class="headbg44" style="padding-left:8px;">'''[[सूक्ति और कहावत]]'''</div> | | class="headbg43" style="border:1px solid #b1bcc3;padding:10px;" valign="top" | <div class="headbg44" style="padding-left:8px;">'''[[सूक्ति और कहावत]]'''</div> | ||
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*जो कमजोर होता है वही सदा रोष करता है और द्वेष करता है। हाथी चींटी से द्वेष नहीं करता। चींटी, चींटी से द्वेष करती है। -'''[[महात्मा गाँधी]]''' (नवजीवन, 16-1-1912) | |||
*कला का सत्य जीवन की परिधि में सौन्दर्य के माध्यम द्वारा व्यक्त अखण्ड सत्य है। -'''[[महादेवी वर्मा]]''' (दीपशिखा चिंतन के कुछ क्षण, पृ. 10) | |||
*द्वेष का मायाजाल बड़ी-बड़ी मछलियों को ही फँसाता है। छोटी मछलियाँ या तो उसमें फँसती ही नहीं या तुरन्त निकल जाती हैं। उनके लिए वह घातक जाल क्रीड़ा की वस्तु है, भय की नहीं। -'''[[प्रेमचंद|प्रेमचन्द]]''' (गोदान, पृ॰ 44) | |||
*सौभाग्य और दुर्भाग्य मनुष्य की दुर्बलता के नाम है। मैं तो पुरुषार्थ को ही सबका नियामक समझता हूँ। पुरुषार्थ ही सौभाग्य को खीच लाता है। -'''[[जयशंकर प्रसाद]]''' (ध्रुवस्वामिनी, पृ॰ 38) | |||
*कनक कनक ते सौ गुनी मादकता अधिकाय।<br> वा खाये बौरात है, या पाये बौराय ॥ -'''[[बिहारी लाल|बिहारी]]''' (बिहारी सतसई) | |||
*प्रेम रीति से जो मिलै, तासों मिलिए धाय ।<br > अंतर राखे जो मिलै, तासौ मिलै बलाय॥ -'''[[कबीर]]''' | |||
*धन खोकर अगर हम अपनी आत्मा को पा सकें, तो यह कोई महँगा सौदा नहीं है। -'''[[प्रेमचंद|प्रेमचन्द]]''' (गोदान, पृ॰297) | |||
*जामैं रस कछु होत है पढ़त ताहि सब कोय।<br>बात अनूठी चाहिए भाषा कोऊ होय॥ -'''[[भारतेन्दु हरिश्चंद्र]]''' | |||
*भाषा संस्कृति का वाहन है और उसका अंग भी। -'''रामविलास शर्मा''' (भाषा औए समाज, पृ॰ 445)<br /> | |||
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Revision as of 06:30, 21 November 2010
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