अस्करी: Difference between revisions
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जब हुमायूँ बंगाल गया तो दिल्ली में उसकी अनुपस्थिति में अस्करी ने गद्दी पर क़ब्ज़ा करने की कोशिश की, लेकिन पराजित हुमायूँ के दिल्ली लौटने से उसकी योजना सफल नहीं हो सकी। 1540-54 ई. के बीच जब हुमायूँ को [[कन्नौज]] की लड़ाई में पराजित होने के बाद दर-दर भटकना पड़ा और [[भारत]] छोड़कर भागना पड़ा, तो अस्करी ने उसकी कोई मदद नहीं की। अस्करी ने [[शेरशाह]] के सामने आत्मसमर्पण करके अपने प्राण बचाये। हुमायूँ ने जब दिल्ली पर फिर से क़ब्ज़ा किया, तो उसने अस्करी को क्षमा कर दिया, लेकिन उसे [[मक्का]] जाना पड़ा, जहाँ पर उसकी मृत्यु हो गई। | जब हुमायूँ बंगाल गया तो दिल्ली में उसकी अनुपस्थिति में अस्करी ने गद्दी पर क़ब्ज़ा करने की कोशिश की, लेकिन पराजित हुमायूँ के दिल्ली लौटने से उसकी योजना सफल नहीं हो सकी। 1540-54 ई. के बीच जब हुमायूँ को [[कन्नौज]] की लड़ाई में पराजित होने के बाद दर-दर भटकना पड़ा और [[भारत]] छोड़कर भागना पड़ा, तो अस्करी ने उसकी कोई मदद नहीं की। अस्करी ने [[शेरशाह]] के सामने आत्मसमर्पण करके अपने प्राण बचाये। हुमायूँ ने जब दिल्ली पर फिर से क़ब्ज़ा किया, तो उसने अस्करी को क्षमा कर दिया, लेकिन उसे [[मक्का]] जाना पड़ा, जहाँ पर उसकी मृत्यु हो गई। |
Revision as of 08:03, 28 November 2010
वंश परिचय
अस्करी प्रथम मुग़ल सम्राट बाबर (1526-30 ई.) का चौथा और सबसे छोटा बेटा था।
अस्करी को उसके सबसे बड़े भाई हुमायूँ (1530-56 ई.) ने सम्भल की जागीर दी थी। बाद में अस्करी 1534 ई. में हुमायूँ के गुजरात अभियान में उसके साथ रहा, जहाँ आसानी से विजय मिलने के बाद वह ऐश-आराम में पड़ गया। वह हुमायूँ के साथ दिल्ली लौट आया। जब हुमायूँ 1539 ई. में बंगाल के अभियान पर गया तो अस्करी उसके साथ नहीं गया और इस प्रकार बक्सर की लड़ाई में हुमायूँ की पराजय में वह भागीदार नहीं था।
द्धेष भाव
जब हुमायूँ बंगाल गया तो दिल्ली में उसकी अनुपस्थिति में अस्करी ने गद्दी पर क़ब्ज़ा करने की कोशिश की, लेकिन पराजित हुमायूँ के दिल्ली लौटने से उसकी योजना सफल नहीं हो सकी। 1540-54 ई. के बीच जब हुमायूँ को कन्नौज की लड़ाई में पराजित होने के बाद दर-दर भटकना पड़ा और भारत छोड़कर भागना पड़ा, तो अस्करी ने उसकी कोई मदद नहीं की। अस्करी ने शेरशाह के सामने आत्मसमर्पण करके अपने प्राण बचाये। हुमायूँ ने जब दिल्ली पर फिर से क़ब्ज़ा किया, तो उसने अस्करी को क्षमा कर दिया, लेकिन उसे मक्का जाना पड़ा, जहाँ पर उसकी मृत्यु हो गई।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ