नारद पांचरात्र

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  • वैष्णव सम्प्रदाय के आधारभूत ग्रंथ भागवत पांचरात्र सम्प्रदाय की 16 संहिताएँ, नारद पांचरात्र '16वीं संहिता' का एक ग्रंथ है।
  • रात्र का अर्थ है ज्ञान।
  • वासुदेव, संकर्षण, प्रद्युम्न, अनिरुद्ध और ब्रह्मा इन पाँचों का व्यूह, विभरअंतर्यामी और अर्चा, इन पाँच रूपों का ज्ञान जिस शास्त्र में है, उसे पांचरात्र कहते हैं।
  • यह शास्त्र श्रीकृष्ण द्वारा प्रदत्त था।
  • नारद ने उसका प्रचार किया।
  • तत्व, मुक्ति, भक्ति, योग विषय इसके अंग हैं।
  • इसमें कृष्ण और राधा की भक्ति का उपदेश दिया गया है।
  • श्रीकृष्ण का भजन, ध्यान, नामकीर्तन, चरणामृतपान और तदर्पित भोजन का प्रसाद ग्रहण करने से सभी वांछित सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं, वैकुंठ प्राप्ति होती है।
  • अहिंसा, इन्द्रिय संयम, जीवदया, क्षमा, शम, दम, ध्यान, सत्य, इन आठ पुष्पों से कृष्ण संतुष्ट होते हैं।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

भारतीय संस्कृति के सर्जक, पेज न. (22)


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