तराइन का युद्ध

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 12:03, 22 March 2011 by व्यवस्थापन (talk | contribs) (Text replace - " ई0" to " ई.")
Jump to navigation Jump to search

1191 ई. और 1192 ई. में दिल्ली और अजमेर के चौहान राजा पृथ्वीराज और शहाबुद्दीन मुहम्मद ग़ोरी के मध्य हुआ। तराइन के पहले युद्ध में पृथ्वीराज ने शहाबुद्दीन को पराजित किया। वह घायल होकर भाग खड़ा हुआ। परन्तु एक वर्ष बाद ही 1192 ई. में होने वाले दूसरे युद्ध में शहाबुद्दीन ने पृथ्वीराज को परास्त करके मार डाला। इस दूसरे युद्ध में विजय के बाद शहाबुद्दीन ने दिल्ली पर अपना अधिकार लिया। इसके फलस्वरूप पूरा उत्तरी भारत कई शताब्दियों तक मुसलमानों के शासनों में रहा।

तराइन

तरायन थानेसर से 14 मील दक्षिण में स्थित है। 1009-10 में कुछ दिनों तक यहाँ महमूद गजनवी का अधिकार रहा। तत्पश्चात यहाँ मुहम्मद ग़ोरी और चौहान नरेश पृथ्वीराज के बीच 1191 ई. में पहला युद्ध हुआ। 1192 ई. में ग़ोरी ने दुबारा भारत पर आक्रमण किया और इसी स्थान पर घोर युद्ध हुआ, जिसमें ग़ोरी की कूटनीति और छद्म के करण पृथ्वीराज मारे गए। इस विजय के पश्चात् मुसलमानों के क़दम उत्तर भारत में जम गये। 1216 ई. (15 फ़रवरी) को एक बार फिर तरायन के मैदान में इल्तुतमिश तथा उसके प्रतिद्वन्द्वी सरदार इल्दोज में एक निर्णायक युद्ध हुआ जिसमें इल्तुतमिश की विजय हुई और उसका दिल्ली की गद्दी पर अधिकार मज़बूत हो गया। तरावड़ी या तरायन को आज़माबाद भी कहते हैं।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  • भारतीय इतिहास कोशी से पेज संख्या 186
  • ऐतिहासिक स्थानावली से पेज संख्या 392

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः