विष्णुगोप

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 05:28, 12 February 2011 by रविन्द्र प्रसाद (talk | contribs) ('*प्रयाग प्रशस्ति के विवरण से स्पष्ट होता है कि, जिस ...' के साथ नया पन्ना बनाया)
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Jump to navigation Jump to search
  • प्रयाग प्रशस्ति के विवरण से स्पष्ट होता है कि, जिस समय समुद्रगुप्त ने दक्षिणापथ को जीता, उस समय कांची पर विष्णुगोप शासन कर रहा था।
  • विष्णुगोप के बाद ईसा की पांचवीं एवं छठीं शताब्दी में पल्लव वंश का इतिहास अंधेरे में था।
  • समुद्रगुप्त द्वारा विष्णुगुप्त के पराजित होने के बाद पल्लव राज्य विघटन के कागार पर पहुँच गया था।
  • विभिन्न शासको ने भिन्न-भिन्न प्रदेशों में अपनी स्वतंत्रता घोषित कर स्वतंत्र शाखाओं की स्थापना कर ली थी।
  • विष्णुगोप (चौथा शती ई. के मध्य काल) से लेकर सिंह वर्मा (लगभग छठी शती ई. का उत्तरार्ध) के बीच लगभग आठ शासकों ने शासन किया।
  • इन शासकों में-कुमार विष्णु प्रथम, बुद्ध वर्मा, कुमार विष्णु द्वितीय, स्कन्द वर्मा द्वितीय, सिंह वर्मा, स्कंद वर्मा तृतीय, नन्दिवर्मा प्रथम तथा शान्तिवर्मा चण्डदण्ड आदि प्रमुख थे।
  • सिंह वर्मा प्रथम के काल में प्रसिद्ध जैन ग्रंथ लोक विभाग की रचना की गईं।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ


वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः