पंचमढ़ी

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 11:08, 8 March 2011 by लक्ष्मी गोस्वामी (talk | contribs) ('पंचमढ़ी सतपुड़ा पर्वतमाला में समुद्रतट से 3,500 फुट से ...' के साथ नया पन्ना बनाया)
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Jump to navigation Jump to search

पंचमढ़ी सतपुड़ा पर्वतमाला में समुद्रतट से 3,500 फुट से 4,000 फुट तक की ऊँचाई पर नर्मदा नदी के निकट बसा है। पंचमढ़ी को मध्य प्रदेश की छ्त भी कहा जाता है।

इतिहास

पंचमढ़ी का नाम पाँच मढ़ियों या प्राचीन गुफाओं के कारण पंचमढ़ी पड़ा है। पंचमढ़ी में महादेव पहाड़ी के शैलाश्रयों में शैलचित्रों का भण्डार मिला है। इनमें से अधिकतर शैलचित्र पाँचवी से आठवीं शताब्दी के हैं, किंतु सबसे प्राचीन चित्र दस हजार साल पहले के माने जाते हैं। महादेव पर्वत श्रृंखलाओं में 5 मील के घेरे में लगभग पचास शिलाश्रय चित्रित पाए गए हैं। इन गुफा एवं चित्रों की खोज का श्रेय डॉ.एच. गार्डन को दिया जाता है। इन गुफाओं के चित्र आदिकाल से ऐतिहासिक काल तक निरंतर रचे गए थे। पूर्वकाल के चित्र डमरुनुमा तथा तख्तीनुमा मानवाकार वाले हैं तथा बाद के काल के चित्र परिष्कृत रूप में दृष्टिगोचर होते हैं। इस स्थल की मुख्य गुफाएँ इमली-खोह, बनियाबेरी, मोण्टेरोजा, डोरोथीडीप, जम्बूदीप, निम्बूभोज, लश्करिया खोह, भांडादेव आदि हैं। पंचमढ़ी के चित्रकारों ने मानव जीवन के सामान्य जन-जीवन की झाँकी बखूबी चित्रित की है। इन गुफाओं में शेर का आखेट, स्वास्तिक पूजन, क्रीड़ा- नर्तन, बकरी, सितारवादक, गर्दभ मुँह वाला पुरुष, तंतुवाद्य का वादन करते पुरुष, दिव्यरथवाही, धनुर्धर तथा अनेक मानव व पशुओं की आकृतियाँ चित्रित की गई हैं। सर्वाधिक चित्रण शिकार पर आधारित है।

पंचमढ़ी में लगभग उन्नीसवीं सदी के उत्तरार्द्ध में गौड़ और कोरकू नामक आदिवासियों का निवास था। पंचमढ़ी की अनेक चट्टानों पर आदिम निवासियों के लेख पाए गए हैं। उनके चित्र भी शिलाओं पर उत्कीर्ण हैं, जिनके विषय मुख्यतः गाय ,बैल, घोड़ा, हाथी, माला, रथ, युद्ध तथा शिकार के दृश्य हैं।



पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ


वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः