आरामशाह

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 11:25, 10 January 2011 by व्यवस्थापन (talk | contribs) (Text replace - "{{लेख प्रगति" to "{{प्रचार}} {{लेख प्रगति")
Jump to navigation Jump to search

कुतुबुद्दीन ऐबक के मरने के बाद लाहौर के तुर्क सरदारों ने आरामशाह को 1210 में सुल्तान घोषित कर दिया और आरामशाह ने 'मुज़फ़्फ़्रर सुल्तान महमूद शाह' की उपाधि ली और अपने नाम की मुद्राएँ चलायीं। आरामशाह में सुल्तान बनने के गुण नहीं थे। सल्तनत की स्थिति भी संकटग्रस्त थी और आरामशाह के लिए स्थिति को सम्भालना दुष्कर काम था। इस बात पर भी सन्देह किया जाता है कि वह ऐबक का पुत्र था। विद्वानों की धारणा है कि वह ऐबक का पुत्र नहीं था वरन उसका प्रिय व्यक्ति था।

  • इस बात का समर्थन इतिहासकार मिनहाज-उस-सिराज ने लिखा है कि -'लाहौर के अमीरों ने शांति और सुव्यवस्था बनाये रखने के लिए आरामशाह को सिंहासन पर बैठा दिया।
  • अब्दुल्ला वस्साफ ने लिखा है कि कुतुबुद्दीन का कोई पुत्र न था।
  • अबुल फजल के मतानुसार आरामशाह कुतुबुद्दीन ऐबक का भाई था।

दिल्ली के अमीरों ने इल्तुतमिश को , जो ऐबक का दामाद और एक योग्य एवम प्रतिभाशाली ग़ुलाम था, दिल्ली के सिंहासन पर बैठने के लिए आमंत्रित किया। इल्तुतमिश ने अपनी सेना के साथ बदायूँ से दिल्ली की ओर कूच कर दिया। नगर के बाहर इल्तुतमिश की आरामशाह के साथ मुठभेड़ हुई। आरामशाह हार गया और क़ैद कर लिया गया। अमीरों ने इल्तुतमिश का स्वागत किया और 1210 में इल्तुतमिश दिल्ली का सुल्तान बन गया। आरामशाह की या तो हत्या कर दी गयी या वह कारागार में मारा गया।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ


वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः