काग़ज़ पर उतर गई पीड़ा -दिनेश रघुवंशी

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 11:55, 23 August 2011 by स्नेहा (talk | contribs)
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Jump to navigation Jump to search
काग़ज़ पर उतर गई पीड़ा -दिनेश रघुवंशी
कवि दिनेश रघुवंशी
जन्म 26 अगस्त, 1964
जन्म स्थान ग्राम ख़ैरपुर, बुलन्दशहर ज़िला, (उत्तर प्रदेश)
बाहरी कड़ियाँ आधिकारिक वेबसाइट
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
दिनेश रघुवंशी की रचनाएँ

पहले मन में पीड़ा जागी
फिर भाव जगे मन-आँगन में
जब आँगन छोटा लगा उसे
कुछ ऐसे सँवर गई पीड़ा
क़ागज़ पर उतर गई पीड़ा…

    जाने-पहचाने चेहरों ने
    जब बिना दोष उजियारों का
    रिश्ता अँधियारों से जोड़ा
    जब क़समें खाने वालों ने
    अपना बतलाने वालों ने
    दिल का दरपन पल-पल तोड़ा

टूटे दिल को समझाने को
मुश्किल में साथ निभाने को
छोड़ के सारे ज़माने को
हर हद से गुज़र गई पीड़ा…

    ये चाँद सितारे और अम्बर
    पहले अपने-से लगे मगर
    फिर धीरे-धीरे पहचाने
    ये धन-वैभव, ये कीर्ति-शिखर
    पहले अपने - से लगे मगर
    फिर ये भी निकले बेगाने

फिर मन का सूनापन हरने
और सारा ख़ालीपन भरने
ममतामयी आँचल को लेकर
अन्तस में ठहर गई पीड़ा
काग़ज़ पर उतर गई पीड़ा…

    कुछ ख़्वाब पले जब आँखों में
    बेगानों तक का प्यार मिला
    यूँ लगा कि ये संसार मिला
    जब आँसू छ्लके आँखों से
    अपनों तक से प्रतिकार मिला
    चुप रहने का अधिकार मिला

फिर ख़ुद में इक विश्वास मिला
कुछ होने का अहसास मिला
फिर एक खुला आकाश मिला
तारों-सी बिखर गई पीड़ा
काग़ज़ पर उतर गई पीड़ा…


टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख


वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः