संवाद -कुलदीप शर्मा

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 14:02, 15 July 2012 by व्यवस्थापन (talk | contribs) (Text replace - "जाहिर" to "ज़ाहिर")
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Jump to navigation Jump to search
संवाद -कुलदीप शर्मा
कवि कुलदीप शर्मा
जन्म स्थान (उना, हिमाचल प्रदेश)
बाहरी कड़ियाँ आधिकारिक वेबसाइट
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
कुलदीप शर्मा की रचनाएँ

 
युद्ध के समय तटस्थता
एक अपराध है
क्या नहीं जानते थे तुम ?
संजय! ज़रा सोचो,
व्यास के दिव्य चक्षु पाकर
तुम्हे क्या मिला?
तुम न इस ओर हो न उस ओर
निष्पक्ष होकर भी
युद्ध की विभीषिका से संतप्त हो
युद्ध क्षेत्र से दूर
तुम कौन सा सच कहने के लिए अभिशप्त हो?
अब जबकि युद्ध क्षेत्र में तब्दील हो गया है
हर भाषाई प्रान्त
तुम अन्धे धृतराष्ट्र के आगे
अलाप रहे हो युद्ध का वृतांन्त
और पूछते हो कैसा लग रहा है
उन पुत्रों का मृत्यु समाचार सुनकर
जिन्हें तुमने देखा ही नहीं
अन्याय के प्रतिकार में
विक्षिप्त अश्वत्थामा
जब भविष्य के गर्भ को लक्षित करके
फैंकता है ब्रहमास्त्र्र
तब कैसा लगता है
तुम पूछते हो
और तुम्हारे सारे प्रश्नों से
इतिहास का मौन अंधापन टकराता है

निरपेक्ष होने की पीड़ा
आज भी नहीं जान पाए हो तुम
अन्धे धृतराष्ट्र के सामने
उसके अन्धेपन का सत्य है.
ज़ाहिर है कि तुम्हारा
सारा संवाद निर्थक है
क्योंकि युद्घ के दृष्य के पीछे
जो नेपथ्य है
वहां घने जंगल से आदिम स्वर में
एक नागरिक निरन्तर चीखता है
कि तुम्हारा सारा का सारा
प्रचारतन्त्र झूठा है
गाण्डीव की हर टंकार के पीछे
किसी न किसी एकलव्य का
कटा हुआ अंगूठा है
जिसमें से आज तक निरंतर रक्त बहता है

तुम गिनती करते हो कि युद्घ में
कौन कितने आदमी मारता है
पक्ष या विपक्ष
जहां भी, जब भी
अन्याय के ख़िलाफ़ लड़ता हुआ कोई
अपनी लड़ाई हारता है
तुम्हारे भीतर
एक अभिमन्यु, एक अष्वत्थामा
तुम्हें पुकारता है़

इसलिए कहता हूँ संजय !
अंधे धृतराष्टृ को
युद्ध का वृत्तांत मत सुनाओ
हो सके तो एक बार
सीधे कुरूक्षेत्र में जाकर
अन्याय के ख़िलाफ़ भिड़ जाओ !


टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः