संयोगिता

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संयोगिता कन्नौज के महाराज जयचन्द्र की पुत्री थी। पृथ्वीराज चौहान और संयोगिता की प्रेमकथा राजस्थान के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में अंकित है। जयचन्द्र ने संयोगिता के विवाह हेतु स्वयंवर का आयोजन किया था, किंतु पृथ्वीराज चौहान से शत्रुता के कारण उसने उसे स्वयंवर का निमंत्रण नहीं भेजा।

  • जब राजकुमारी संयोगिता के स्वयंवर का आयोजन किया गया, तब पृथ्वीराज चौहान के अपमान के लिए महल में दरबान के स्थान पर पृथ्वीराज की प्रतिमा लगाई गई।
  • स्वयंवर में सही समय पर पहुँचकर पृथ्वीराज चौहान संयोगिता का हरण कर ले जाते हैं।
  • इस अपमान का बदला लेने के लिए जयचन्द्र मुहम्मद ग़ोरी से मिल गया और बाद में उसने ग़ोरी को पृथ्वीराज पर आक्रमण करने का निमंत्रण दिया।


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