भले चौके न हों -वीरेन्द्र खरे ‘अकेला’

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भले चौके न हों -वीरेन्द्र खरे ‘अकेला’
जन्म 18 अगस्त, 1968
जन्म स्थान किशनगढ़, छतरपुर, मध्यप्रदेश
मुख्य रचनाएँ शेष बची चौथाई रात (ग़ज़ल संग्रह), सुबह की दस्तक (ग़ज़ल-गीत संग्रह), अंगारों पर शबनम (ग़ज़ल संग्रह)
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
वीरेन्द्र खरे ‘अकेला’ की रचनाएँ


भले चौके न हों, दो एक रन तो आएँ बल्ले से
कई ओवर गंवा कर भी खड़े हो तुम निठल्ले से

वो मरियल चोर आखि़र माल लेकर हो गया चंपत
न क़ाबू पा सके उस पर सिपाही दस मुटल्ले से

जो क़ानूनन सही हैं उनको करवाना बड़ा मुश्किल
कि जिन पर रोक है वो काम होते हैं धड़ल्ले से

करो तुम दुश्मनी हमसे मगर ये भी समझ लेना
तुम्हारे घर का रस्ता है हमारे ही मुहल्ले से

ज़रा सी उम्र में ढो-ढो के चिंताएँ पहाड़ों सी
ये लड़के आजकल के हो गए कैसे बुढ़ल्ले से

अमीरी की ठसक तू मुझको दिखलाया न कर नादाँ
मैं सच बोलूँ तेरी दौलत मेरे जूते के तल्ले से

ये नेता आज के भगवान हैं समझे ‘अकेला’ जी
मजे़ में हैं वही जो इनके पीछे हैं पुछल्ले से

टीका टिप्पणी और संदर्भ

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