नई सदी के लटके झटके -वीरेन्द्र खरे ‘अकेला’

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 16:10, 27 May 2013 by तनवीर क़ाज़ी (talk | contribs) ('{| style="background:transparent; float:right" |- | {{सूचना बक्सा कविता |चित्र= Virendra khare-...' के साथ नया पन्ना बनाया)
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Jump to navigation Jump to search
नई सदी के लटके झटके -वीरेन्द्र खरे ‘अकेला’
जन्म 18 अगस्त, 1968
जन्म स्थान किशनगढ़, छतरपुर, मध्यप्रदेश
मुख्य रचनाएँ शेष बची चौथाई रात (ग़ज़ल संग्रह), सुबह की दस्तक (ग़ज़ल-गीत संग्रह), अंगारों पर शबनम (ग़ज़ल संग्रह)
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
वीरेन्द्र खरे ‘अकेला’ की रचनाएँ


कब चलता है काम समय से कट के
सीखो नई सदी के लटके झटके

पोथन्नों पर पोथन्ने पढ़ कर किसने क्या पाया
सारी सुख सुविधाएँ त्यागीं, नाहक समय गँवाया
कॉलिज टॉप हुआ वो लड़का ट्वेन्टी क्वेशचन रट के
सीखो नई सदी................................................

दो धन दो को चार सिद्ध करते रह गए अभागे
सात पे नौ उनहत्तर जिनने बाँचा वो हैं आगे
विद्या नई, पुरानी विद्याओं से है कुछ हट के
सीखो नई सदी...............................................

घोर असंगत है अब संगत सच्चे इंसानों की
दसों उंगलियाँ घी में रहती हैं बेईमानों की
देव खड़े ललचाएँ अमरित असुर गटागट गटके
सीखो नई सदी...............................................

कथनी-करनी में समानता का मत ढोंग रचाना
ख़ुद रहना सिद्धान्तहीन सबको आदर्श रटाना
उन्नति का जब मिले सुअवसर लाभ उठाना डटके
सीखो नई सदी...............................................

रावण, कंस और दुर्योधन की धुकती है इक्कर
हार गए हैं राम, कृष्ण, अर्जुन ले ले कर टक्कर
अब किसमें दम है जो फोड़े पापों के ये मटके
सीखो नई सदी...............................................

टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख


वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः