ऊँची उड़ान फिर -वीरेन्द्र खरे ‘अकेला’

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ऊँची उड़ान फिर -वीरेन्द्र खरे ‘अकेला’
जन्म 18 अगस्त, 1968
जन्म स्थान किशनगढ़, छतरपुर, मध्यप्रदेश
मुख्य रचनाएँ शेष बची चौथाई रात (ग़ज़ल संग्रह), सुबह की दस्तक (ग़ज़ल-गीत संग्रह), अंगारों पर शबनम (ग़ज़ल संग्रह)
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
वीरेन्द्र खरे ‘अकेला’ की रचनाएँ


इक ख़्वाब ले रहा है ऊँची उड़ान फिर
थामे समय खड़ा है तीरो-कमान फिर

मन का कृषक न कैसे पाले उदासियाँ
उत्पादनों से ज़्यादा बैठा लगान फिर

सच था अगर बयाँ तो मुन्सिफ़ के सामने
क्यों लड़खड़ा रही थी तेरी ज़बान फिर

रोका न था, हवेली हक़ मांगने न जा
ले मिल गए बदन को नीले निशान फिर

सुख तो बरफ़ सा घुल कर ढेले सा रह गया
दुख है कि हो चला है परबत समान फिर

सूरज तो है तमाशा बस दिन का दोस्तो
नन्हें से जुगनुओं ने दाग़ा बयान फिर

हरदम ‘अकेला’ तेरे मन की कहाँ से हो
सर पे उठा रखा है क्यों आसमान फिर

टीका टिप्पणी और संदर्भ

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