आओ अब समय नहीं बाक़ी -कैलाश शर्मा

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आओ अब समय नहीं बाक़ी -कैलाश शर्मा
कवि कैलाश शर्मा
जन्म 20 दिसम्बर, 1949
जन्म स्थान मथुरा, उत्तर प्रदेश
सम्मान ‘तस्लीम परिकल्पना सम्मान - 2011'
अन्य जानकारी कैलाश शर्मा जी की 'श्रीमद्भगवद्गीता' (भाव पद्यानुवाद)’ पुस्तक प्रकाशित हो चुकी है। ब्लॉग लेखन के अतिरिक्त विभिन्न पत्र/पत्रिकाओं, काव्य-संग्रहों में भी इनकी रचनाएँ प्रकाशित हुई हैं।
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची

चहुँ ओर गहन अँधियारा है,  
विश्वास सुबह का पर बाक़ी.
हो रहा अधर्म है आच्छादित,  
है स्थापन धर्म वचन बाक़ी.  
 
अब नहीं धर्म का राज्य यहाँ,
अपने स्वारथ में सभी व्यस्त.
दुर्योधन जाग उठा फ़िर से,
बेबस द्रोपदी फिर आज त्रस्त.
 
द्वापर में आये तुम कान्हा,
कलियुग में आना अब बाक़ी.
 
ब्रज में अब सूनापन पसरा,
गोपियाँ सुरक्षित नहीं कहीं.
हर जगह दु:शासन घूम रहे,
पर चीर बढ़ाने कृष्ण नहीं.
 
विश्वास न टूटे इनका गिरधर,
अब विश्वास दिलाना है बाक़ी.
 
अब भक्ति तेरी व्यवसाय हुई,
निष्काम कर्म को भूल गए.
प्रवचन करते हैं जो गीता पर,
वह घृणित कर्म में लिप्त हुए.
 
भर गया पाप का घड़ा बहुत,    
आओ अब समय नहीं बाक़ी.


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