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कैलाश शर्मा जी की 'श्रीमद्भगवद्गीता' (भाव पद्यानुवाद)’ पुस्तक प्रकाशित हो चुकी है। ब्लॉग लेखन के अतिरिक्त विभिन्न पत्र/पत्रिकाओं, काव्य-संग्रहों में भी इनकी रचनाएँ प्रकाशित हुई हैं।
ऊधो, कहाँ गये मेरे श्याम।
श्याम बिना कैसे मन लागे, अश्रु बहें अविराम।
कछू न भावत है जग माहीं, बिन सूरत अभिराम।
ज्ञान लगे नीरस इस मन को, ढूंढ रहा मन श्याम।
अब तो आन मिलो हे कान्हा, सूना है बृज धाम।
निकस न पायें प्राण हमारे, बिना दरस के श्याम।
हुआ कठोर तुम्हारा मन क्यों, ऐसे कब थे श्याम।