पहले तेरी जेब टटोली जाएगी -वीरेन्द्र खरे ‘अकेला’

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 14:01, 2 June 2017 by व्यवस्थापन (talk | contribs) (Text replacement - " दुख " to " दु:ख ")
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Jump to navigation Jump to search
पहले तेरी जेब टटोली जाएगी -वीरेन्द्र खरे ‘अकेला’
जन्म 18 अगस्त, 1968
जन्म स्थान किशनगढ़, छतरपुर, मध्यप्रदेश
मुख्य रचनाएँ शेष बची चौथाई रात (ग़ज़ल संग्रह), सुबह की दस्तक (ग़ज़ल-गीत संग्रह), अंगारों पर शबनम (ग़ज़ल संग्रह)
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
वीरेन्द्र खरे ‘अकेला’ की रचनाएँ


पहले तेरी जेब टटोली जाएगी
फिर यारी की भाषा बोली जाएगी

तेरी तह ली जाएगी तत्परता से
ख़ुद के मन की गाँठ न खोली जाएगी

नैतिकता की मैली होती ये चादर
दौलत के साबुन से धो ली जाएगी

टूटी इक उम्मीद पे ये मातम कैसा
फिर कोई उम्मीद संजोली जाएगी

कौन तुम्हारा दुख, अपना दु:ख समझेगा
दिखलाने को आँख भिगो ली जाएगी

कह दे, कह दे, फिर मुस्काकर कह दे तू
“तेरे ही घर मेरी डोली जाएगी”

झूठी शान ‘अकेला’ कितने दिन की है
एक ही बारिश में रंगोली जाएगी

टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख


वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः