प्रामित्यक

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 07:51, 3 July 2017 by रिंकू बघेल (talk | contribs) (रिंकू बघेल ने प्रामित्यक कर पर पुनर्निर्देश छोड़े बिना उसे प्रामित्यक पर स्थानांतरित किया)
Jump to navigation Jump to search

प्रामित्यक प्राचीन भारत की अर्थव्यवस्था में प्रचलित एक शब्द था, जिसका वर्णन कौटिल्य ने अपने अर्थशास्त्र में किया है।

  • किसी मित्र आदि से सहायता रूप में लिया गया ऐसा धन लेना जो फिर लौटाया न जाए प्रामित्यक कहलाता है।
  • प्राचीन भारतीय अर्थव्यवस्था में निम्नांकित कर भी प्रचलित थे-
  1. सीता कर
  2. राष्ट्र कर
  3. सिंहनिका कर



पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ


कौटिलीय अर्थशास्त्रम्‌ |लेखक: वाचस्पति गैरोला |प्रकाशक: चौखम्बा विधाभवन, चौक (बैंक ऑफ़ बड़ौदा भवन के पीछे , वाराणसी 221001, उत्तर प्रदेश |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 158 |

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः