शेख़ अब्दुल्ला

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शेख़़ मोहम्मद अब्दुल्ला (अंग्रेज़ी: Sheikh Mohammed Abdullah, जन्म- 5 दिसम्बर, 1905, जम्मू और कश्मीर; मृत्यु- 8 सितम्बर, 1982) भारतीय राजनीतिज्ञ थे, जिन्होंने जम्मू-कश्मीर की राजनीति में केंद्रीय भूमिका निभाई थी। 'शेर-ए-कश्‍मीर'" कहलाने वाले शेख़ अब्‍दुल्‍ला, जो कि नेशनल कांफ्रेंस के संस्‍थापक थे और तीन बार जम्‍मू-कश्‍मीर के मुख्‍यमंत्री (पहले कार्यकाल में प्रधानमंत्री, जब राज्‍य के सत्‍ता प्रमुख को 'वजीर-ए-आजम' और संवैधानिक प्रमुख को 'सदर-ए-रियासत' कहा जाता था) रहे थे। उनके बाद उनके बेटे फ़ारूक़ अब्दुल्ला भी तीन बार और उनके पोते उमर अब्‍दुल्‍ला एक बार जम्‍मू-कश्‍मीर के मुख्‍यमंत्री रहे। यह कहा जा सकता है कि अब्‍दुल्‍ला परिवार जम्‍मू-कश्‍मीर की सियासत में फर्स्‍ट फैमिली की हैसियत रखता है और शेख़ अब्‍दुल्‍ला उसके प्रथम पुरुष थे।

परिचय

शेख़़ अब्दुल्ला का जन्म 5 दिसबर सन 1905 को जम्मू-कश्मीर के सौरा नामक स्थान पर हुआ था। उनके प्रारम्भिक जीवन के बारे में मुख्य महत्वपूर्ण स्रोत उनके द्वारा लिखी गया 'आतिश-ए-चिनार' नामक आत्मकथा है। शेख़़ अब्दुल्ला का गाँव सौरा श्रीनगर से बाहर था। उनका जन्म उनके पिता शेख़ मोहम्मद इब्राहिम की मौत के ग्यारह दिनों के बाद हुआ था। शेख़़ अब्दुल्ला के पिता कश्मीरी शाल बनाने और बेचने का कार्य करते थे। शेख़़ अब्दुल्ला ने मैट्रिक की परीक्षा पंजाब विश्वविद्यालय से सन 1922 में उत्तीर्ण की थी।

मुख्यमंत्री

शेख़़ अब्दुल्ला के जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री के पद ग्रहण के पश्चात केन्द्र सरकार और शासन करने वाली कांग्रेस पार्टी ने समर्थन वापस ले लिया था, जिसके कारण दुबारा चुनाव की स्थिति उत्पन्न हो गई थी। चुनाव में भारी मतों से जीतने के बाद शेख़ अब्दुल्ला फिर से मुख्यमंत्री बने थे। वे 1982, अपनी मृत्यु तक मुख्यमंत्री बने रहे। उनकी मौत के बाद उनके सबसे बड़े बेटे फ़ारूक़ अब्दुल्ला ने मुख्यमंत्री पद हेतु चुनाव लड़ा।

साहित्य

शेख़़ अब्दुल्ला के द्वारा रचित एक आत्मकथा 'आतिश-ए–चिनार' के लिये उन्हें सन 1988 में 'साहित्य अकादमी पुरस्कार' (उर्दू) से मरणोपरांत सम्मानित किया गया था।


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