वायव्य

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वायव्य
विवरण वायव्य एक दिशा है। उत्तर और पश्चिम दिशा के मध्य में वायव्य दिशा का स्थान है।
देवता वायु देव
वास्तु महत्व यह दिशा पड़ोसियों, मित्रों और संबंधियों से आपके रिश्तों पर प्रभाव डालती है। वास्तु ज्ञान के अनुसार इनसे अच्छे और सदुपयोगी संबंध बनाए जा सकते हैं। इस दिशा में खिड़कियों का बनवाना लाभदायी होता है।
अन्य जानकारी प्राचीनकाल में दिशा निर्धारण प्रातःकाल व मध्याह्न के पश्चात एक बिन्दु पर एक छड़ी लगाकर सूर्य रश्मियों द्वारा पड़ रही छड़ी की परछाई तथा उत्तरायणदक्षिणायन काल की गणना के आधार पर किया जाता था।

वायव्य (अंग्रेज़ी:North-West) एक दिशा है। उत्तर और पश्चिम दिशा के मध्य में वायव्य दिशा का स्थान है। इस दिशा के देव वायुदेव हैं और इस दिशा में वायु तत्व की प्रधानता रहती है। इस दिशा को अंग्रेज़ी में Aerial Angle भी कहा जाता है। जैसाकि इसके नाम से ही पता चलता है कि इस दिशा का मूल तत्व वायु है।

वास्तु शास्त्र के अनुसार

यह दिशा वायु का स्थान है। अतः भवन निर्माण में गोशाला, बेड रूम और गैरेज इसी दिशा में बनाना चाहिए। इस दिशा में खिड़कियों का बनवाना लाभदायी होता है। जैसी इस दिशा से हवा आती है वैसे ही आपके बाहर वाले लोगों के साथ संबंध बनते हैं। इसलिए आप इस दिशा में कभी भी कूड़ा कचरा न डालें। सेवक कक्ष भी इसी दिशा में होना चाहिए। यह दिशा पड़ोसियों, मित्रों और संबंधियों से आपके रिश्तों पर प्रभाव डालती है। वास्तु ज्ञान के अनुसार इनसे अच्छे और सदुपयोगी संबंध बनाए जा सकते हैं। इस दिशा में किसी भी प्रकार की रुकावट नहीं होना चाहिए। इस दिशा के स्थान को हल्का बनाए रखें। खिड़की, दरवाजे, घंटी, जल, पेड़-पौधे से इस दिशा को सुंदर बनाएं।

दिशाओं के नाम

अंग्रेज़ी संस्कृत (हिन्दी)
East पूरब, प्राची, प्राक्
West पश्चिम, प्रतीचि, अपरा
North उत्तर, उदीचि
South दक्षिण, अवाचि
North-East ईशान्य
South-East आग्नेय
North-West वायव्य
South-West नैऋत्य
Zenith ऊर्ध्व
Nadir अधो


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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