Difference between revisions of "विष्णुवर्धन"

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*'''विष्णुवर्धन''' [[होयसल वंश]] का एक वीर और प्रतापी राजा था, जो 1110 ई. में [[द्वारसमुद्र]] की राजगद्दी पर आरूढ़ हुआ।
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*'''विष्णुवर्धन''' [[होयसल वंश]] का एक वीर और प्रतापी राजा था, जो 1110 ई. में [[द्वारसमुद्र]] की राजगद्दी पर आरूढ़ हुआ। इसने 1141 ई. तक राज्य किया और अनेक युद्ध किए तथा अपने राज्य का विस्तार किया। वह नाममात्र के लिए ही [[चालुक्य वंश|चालुक्यों]] का अधीनस्थ बना था। बाद में उसने अपने राज्य को चालुक्यों की अधीनता से मुक्त कर अन्य राज्यों पर आक्रमण शुरू किए।
*इसने 1141 ई. तक राज्य किया और अनेक युद्ध किए तथा अपने राज्य का विस्तार किया।
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*वह नाममात्र के लिए ही [[चालुक्य वंश|चालुक्यों]] का अधीनस्थ बना था।
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*सुदूर दक्षिण में [[चोल वंश|चोल]], [[पांड्य राजवंश|पांड्य]] और मलाबार के क्षेत्र में विष्णुवर्धन ने विजय यात्राएँ कीं और अपनी शक्ति को प्रदर्शित किया।
*बाद में उसने अपने राज्य को चालुक्यों की अधीनता से मुक्त कर अन्य राज्यों पर आक्रमण शुरू किए।
 
*सुदूर दक्षिण में [[चोल वंश|चोल]], [[पांड्य राजवंश|पांड्य]] और मलाबार के क्षेत्र में उसने विजय यात्राएँ कीं और अपनी शक्ति को प्रदर्शित किया।
 
 
*तत्कालीन [[भारत का इतिहास|भारतीय इतिहास]] में उसने महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की।
 
*तत्कालीन [[भारत का इतिहास|भारतीय इतिहास]] में उसने महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की।
 
*प्रारम्भ में वह [[जैन]] मतावलम्बी था, किंतु प्रख्यात [[वैष्णव]] आचार्य [[रामानुज]] के प्रभाव से वह वैष्णव मतावलम्बी हो गया।
 
*प्रारम्भ में वह [[जैन]] मतावलम्बी था, किंतु प्रख्यात [[वैष्णव]] आचार्य [[रामानुज]] के प्रभाव से वह वैष्णव मतावलम्बी हो गया।
 
*मत परिवर्तन के बाद उसने अपना पहले का नाम 'विहिदेव' या 'विहिव' त्याग दिया और 'विष्णुवर्धन' नाम धारण कर लिया।
 
*मत परिवर्तन के बाद उसने अपना पहले का नाम 'विहिदेव' या 'विहिव' त्याग दिया और 'विष्णुवर्धन' नाम धारण कर लिया।
*इसमें सन्देह नहीं कि, विष्णुवर्धन के शासन काल में होयसाल राज्य बहुत शक्तिशाली हो गया था।
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*इसमें सन्देह नहीं कि विष्णुवर्धन के शासन काल में होयसाल राज्य बहुत शक्तिशाली हो गया था।
*विष्णुवर्धन ने वैष्णव धर्म के प्रचार के लिए अनेक भव्य मन्दिरों का निर्माण करवाया था।  
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*विष्णुवर्धन ने [[वैष्णव धर्म]] के प्रचार के लिए अनेक भव्य मन्दिरों का निर्माण करवाया था। इन मन्दिरों में से कुछ आज भी बेलूर और हलेविड में विद्यमान हैं। इनमें सर्वोत्कृष्ट उदाहरण हलेविड होयसलेश्वर मन्दिर का है, जिसमें ग्यारह सज्जा पट्टियाँ हैं। प्रत्येक पट्टी सात सौ फुट या इससे भी अधिक लम्बी हैं। ये पट्टियाँ [[हाथी]], सिंह, अश्वारोही, वृक्षलता, पशु-पक्षी आदि विविध अलंकरणों से सुसज्जित हैं।
*इन मन्दिरों में से कुछ आज भी बेलूर और हलेविड में विद्यमान हैं।
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*कुछ आलोचकों का विचार है कि यह मन्दिर मानव श्रम और कौशल का सर्वाधिक अनूठा उदाहरण है।
*इनमें सर्वोत्कृष्ट उदाहरण हलेविड होयसलेश्वर मन्दिर का है, जिसमें ग्यारह सज्जा पट्टियाँ हैं।
 
*प्रत्येक पट्टी सात सौ फुट या इससे भी अधिक लम्बी हैं। ये पट्टियाँ [[हाथी]], सिंह, अश्वारोही, वृक्षलता, पशु-पक्षी आदि विविध अलंकरणों से सुसज्जित हैं।
 
*कुछ आलोचकों का विचार है कि, यह मन्दिर मानव श्रम और कौशल का सर्वाधिक अनूठा उदाहरण है।
 
 
*1141 ई. में विष्णवर्धन की मृत्यु हो गई थी।
 
*1141 ई. में विष्णवर्धन की मृत्यु हो गई थी।
  
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==संबंधित लेख==
 
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Latest revision as of 11:35, 5 July 2018

  • vishnuvardhan hoyasal vansh ka ek vir aur pratapi raja tha, jo 1110 ee. mean dvarasamudr ki rajagaddi par aroodh hua. isane 1141 ee. tak rajy kiya aur anek yuddh kie tatha apane rajy ka vistar kiya. vah namamatr ke lie hi chalukyoan ka adhinasth bana tha. bad mean usane apane rajy ko chalukyoan ki adhinata se mukt kar any rajyoan par akraman shuroo kie.
  • sudoor dakshin mean chol, paandy aur malabar ke kshetr mean vishnuvardhan ne vijay yatraean kian aur apani shakti ko pradarshit kiya.
  • tatkalin bharatiy itihas mean usane mahattvapoorn bhoomika ada ki.
  • prarambh mean vah jain matavalambi tha, kiantu prakhyat vaishnav achary ramanuj ke prabhav se vah vaishnav matavalambi ho gaya.
  • mat parivartan ke bad usane apana pahale ka nam 'vihidev' ya 'vihiv' tyag diya aur 'vishnuvardhan' nam dharan kar liya.
  • isamean sandeh nahian ki vishnuvardhan ke shasan kal mean hoyasal rajy bahut shaktishali ho gaya tha.
  • vishnuvardhan ne vaishnav dharm ke prachar ke lie anek bhavy mandiroan ka nirman karavaya tha. in mandiroan mean se kuchh aj bhi beloor aur halevid mean vidyaman haian. inamean sarvotkrisht udaharan halevid hoyasaleshvar mandir ka hai, jisamean gyarah sajja pattiyaan haian. pratyek patti sat sau phut ya isase bhi adhik lambi haian. ye pattiyaan hathi, sianh, ashvarohi, vrikshalata, pashu-pakshi adi vividh alankaranoan se susajjit haian.
  • kuchh alochakoan ka vichar hai ki yah mandir manav shram aur kaushal ka sarvadhik anootha udaharan hai.
  • 1141 ee. mean vishnavardhan ki mrityu ho gee thi.


panne ki pragati avastha
adhar
prarambhik
madhyamik
poornata
shodh

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